पड़ोसन लड़कियों आंटियों की चूत चुदाई-2

(Padosan Lakiyon, Auntiyon ki Choot Chudai-Part 2)

Antarvasna 2015-03-04 Comments

This story is part of a series:

मेरी और पलक की चुदाई का जो तूफान उठा.. वो मेरे झड़ने के बाद ही खत्म हुआ।
हम दोनों काफी देर तक एक-दूसरे में समाए पड़े रहे।
इस बीच अनुजा हम दोनों की चुदाई को बड़े मजे से देख रही थी।

अनुजा.. पलक और मेरी चुदाई देखकर अपनी बुर को हाथ से रगड़ रही थी.. बीच-बीच में ऊँगली भी अन्दर-बाहर कर रही थी।
वो बोली- अब मेरी बुर की खुजली को शाँत करो।
उसकी बुर लाल हो गई थी।

मैंने कहा- अभी नाश्ता कर लूँ.. फिर तुम्हारी बुर की प्यास बुझाता हूँ।

पलक देशी घी में भूने काजू, बादाम और अखरोट ले आई।

मेवा खाने के बाद अनुजा के मैं अर्धविकसित वक्षस्थल के खड़े चूचूकों को मसलने लगा.. वो सिसकारने लगी।

कुछ देर तक उसको गर्म करने के बाद उसकी चूत को चूस कर उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर दिया.. बस बुर की सील तोड़ने की तैयारी थी।

पलक बोली- जरा ध्यान से.. इसने कभी नहीं चुदवाया है।

पलक ने उसके ऊपरी हिस्से को पकड़ा और मैंने टाँगों को फैलाया और अपने लंड को उसकी बुर यानि बुना चुदी योनि के छोटे छेद में घुसेड़ने लगा।

काफी प्रयास के बाद लंड का टोपा ही अन्दर फंसा पाया।

अनुजा दर्द के कारण मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी.. पर मेरे और पलक के दोहरे बंधन से आजाद नहीं हो सकी।

पलक बोली- बिना रूके लंड पेल दो। इसके बुर में रूक-रूक कर पेलने पर दर्द अधिक होगा।

मैंने जोर लगाना शुरू किया… कुछ अन्दर जाने पर लंड किसी अवरोध पर रूका.. मैंने जोर से पेला.. तो वह अवरोध फट गया और लंड अन्दर प्रविष्ट हो गया।

अनुजा दर्द के कारण ऐंठ गई थी।
अब मैं रूक कर उसके चूची से खेलने लगा।

पलक ने अनुजा के बुर के पास दर्द निवारक जैल लगा दिया।

कुछ देर बाद सामान्य होने पर मंथर गति से चुदाई शुरू कर दी और वीर्यपात होने तक जम कर चोदा।

जब मैंने अपना लंड को बाहर निकाला तो अनुजा अपनी रक्त-रंजित बुर को देखकर डर गई और रोने लगी।

पलक ने उसे समझाया कि पहली बार ऐसा ही होता है.. अब कभी चुदवाने पर ना तो दर्द होगा.. न ही खून निकलेगा।

इसके बाद एक हफ्ते तक रोज उनकी चुदाई करता रहा।

फिर कुछ दिनों के बाद पलक और अनुजा चली गईं तो मेरा लवड़ा अनाथ हो गया था..

अब मैं केवल आंटी को नहाते देख कर मुठ मार कर काम चला रहा था।

फिर कुछ दिनों बाद कविता के भाई की शादी होने वाली थी।
प्रोफेसर जी ने अब लॉज में अपना ठिकाना उसी लॉज में शिफ्ट कर लिया और उन्होंने एक दो कमरे वाला कमरा ले लिया।

वे दोनों कमरे आपस में जुड़े हुए थे।

पुराने वाले कमरे में एक भाभी जी रहने को आईं.. उनके चार बच्चे थे.. जो पढ़ते थे।

उनके पति सरकारी विभाग में थे.. उनका तबादला दूसरे शहर में हो गया था.. पर बच्चों की पढ़ाई के लिए वो यही रहती रहीं।
उनका नाम कुसुम था, पति हफ्ते में एक बार आते थे। हमसे उनका परिचय हो गया था।

एक दिन मोबाइल पर ब्लू-फिल्म देखते हुए मैं सड़का मारने लगा।
तभी उन्होंने मुझे ऐसा करते देख लिया।
मैं एकदम से अकबका गया पर कुसुम भाभी ने कुछ नहीं कहा और मुँह फेर कर चली गईं।

दूसरे दिन कुसुम हमेशा की तरह सुबह मेरे घर आई और बातों बातों में मेरी मम्मी से बोली- अब सुदर्शन की शादी करवा दीजिए।

इतना कह कर भाभी हँस दीं और मेरी ओर देख कर कातिल नजरों से देखने लगीं।

मैं कसमसा कर रह गया।

शाम को कुसुम भाभी ने सब्जी मंगवाने के लिए मुझे बुलाया।

मैं सब्जियाँ ले आकर उन्हें देकर वापस आने लगा।
उन्होंने कहा- बैठो न.. चाय पी कर जाना।

मैं रात वाली घटना के कारण नजरें नीचे किए चाय पीने लगा।

कुसुम बोली- रात में जो कर रहे थे.. मत किया करो। डरो मत मैं किसी से नहीं कहूँगी.. ये उम्र ऐसी ही होती है।
मैंने कहा- वो.. कभी-कभी कर लेता हूँ।
वो बोली- अगर तुम चाहो तो मेरे साथ मस्ती कर लो।

मैं चौंक गया.. मैंने पूछा- आप अपने पति से खुश नहीं हैं क्या?

भाभी ने कहा- वो मेरे मन के अन्दर की भावनाओं को नहीं समझते हैं वे नई-नई चुदाई तकनीक को नहीं अपनाते और मैं चुदाई में नवीनता चाहती हूँ।

उनके मुँह से खुल्लम-खुल्ला चुदाई शब्द को सुन कर मैं अपने लौड़े को सहलाने लगा।

भाभी ने मेरे लौड़े की तरफ देखते हुए आगे कहा- बच्चे शाम को ट्यूशन जाते हैं.. तभी तुम आ जाना और जैसे-जैसे मैं कहूँ.. वैसे ही करना।

मैंने कहा- ठीक है।

दूसरे दिन मैंने सही समय पर पहुँच गया।
वो नीली साड़ी पहने हुई थी.. बहुत खूबसूरत माल लग रही थी।
वो दोहरे बदन की चौड़े पिछवाड़े की मदमाती हुई माल लग रही थी।

मैंने दु:शासन बन कर उनके बदन से एक-एक चीर का हरण कर लिया। उनकी बुर उनके गालों की तरह गोरी नहीं थी.. पर साँवले रंग से ज्यादा गोरी थी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो बोली- मेरी बुर चूसो।

मैंने कहा- पहले आप इसे साफ कर लें।
वो मुझे ‘V-WASH’ की बोतल देकर बोली- सूघों।

मैंने उसे सूँघा फिर उसने अपना बुर सूंघने को कहा।

मैंने बुर सूंघा उससे भी ‘V-WASH’ की खूशबू आ रही थी।
मतलब साफ था उसने बुर अच्छी तरह कीटाणु मुक्त किया हुआ था।

अब वो बिस्तर पर अपनी टाँगें चौड़ी करके लेट गई।
मैं पहले ऊपर से चूत चाटने लगा।

थोड़ी देर बाद भाभी बोली- फांकों को फैला कर चाटो।
मैं वैसा ही करने लगा.. थोड़ी देर बाद मुझे हल्का नमकीन स्वाद आने लगा।

वो सिसकार रही थी, बोली- बस करो।

वो नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने और चाटने लगी।

मैं अपनी टाँगें हिला कर मुख-चोदन करने लगा और उनके मुँह में ही झड़ गया.. वो वीर्य को पी गई।

हम दोनों ब्लू-फिल्म देखते हुए.. एक-दूसरे के अंगों से खेलने लगे।

करीब 20 मिनट बाद वो बोली- मुझे घोड़ी स्टाईल में चोदो।

वो अपने हाथ के पंजे के बल बैठ गई गाण्ड पीछे को निकल आई थी, बुर भी पीछे से उभर गई थी।

मैंने लंड को बुर में सटाकर धक्का मारा.. तो एक बार में पूरा लंड अन्दर तक घुस गया और चौड़ी गद्दीदार गाण्ड के पीछे से धक्का लगाते हुए मैं चुदाई के असीम आनन्द के सागर में गोते लगाने लगा।

भाभी भी चूतड़ हिला-हिला कर मेरा उत्साहवर्धन कर रही थीं।

अचानक वो अकड़ने लगीं और झड़ गईं मैं भी उनके पानी की गर्मी को सह न सका और उनकी लटकती चूचियों को पकड़ कर दनादन लौड़ा पेलने लगा।

कुछ ही पलों बाद मैं जोर से उनकी कमर को पकड़ कर उनकी चूत में ही झड़ गया। बस इसके बाद मेरा उनसे टांका भिड़ गया.. जब तक वो रही.. मुझसे चुदवाती रही।

उनकी विचार था चूत खत्म या घिसने वाली वस्तु नहीं है.. अतः सभी बुर वाली शादी-शुदा महिलाओं को कुंवारों के लंड को अपनी बुर में आसरा देकर भलाई की सप्लाई जारी रखनी चाहिए।

कमरा छोड़ते समय भाभी ने अपने पति से मेरे लिए एक लाँग बूट और कोट गिफ्ट दिलाया।

कैसे मैंने एक बारात में सैटिंग की.. अगली कहानी में। आपके कमेंट का इंतजार रहेगा।
आपका अपना सुदर्शन

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top