मीटर बदलने का इनाम चूत चुदाई

Antarvasna 2015-01-21 Comments

Meter Badalne Ka Inam Choot Chudai

अन्तर्वासना के पाठकों को मनु शर्मा का नमस्कार।

मैं कोटा सिटी में रहता हूँ और बिजली विभाग में जॉब करता हूँ।

बात कुछ समय पहले की है, जब मैं विभाग के एक उपभोक्ता का बिजली का मीटर लगाने गया था।

कनेक्शन किसी सुनीता जैन महिला के नाम से इश्यू हुआ था।

मैं मीटर ले कर अपनी बाइक से उनके घर पहुँचा तो वो घर के बाहर ही कुर्सी पर बैठी थीं।

मुझे देखते ही वो खड़ी हो गईं और मैं उनसे बोला- आपका बिजली कनेक्शन इश्यू हो गया ओर मैं आपके घर मीटर लगाने आया हूँ।

अब इधर पहले मैं आप लोगों को सुनीता जी के बारे में बता दूँ।
मेरे अनुमान से उनकी उम्र 30-32 साल की होगी.. उनका रंग बिल्कुल साफ़ था और चूचे तो उनके बड़े ही मस्त थे।
उनके जिस्म का साइज़ शायद 34-30-36 के आस-पास था।

जिस वक्त मैं उनके घर गया था उस वक्त ब्लाउज तो उन्होंने बिल्कुल खुले गले का पहना हुआ था… जिसके कारण उनके चूचे मुझे साफ़ दिखाई दे रहे थे और उन चूचों की घाटी की गहराई तो देखने लायक थी।
कुल मिला कर ऊपर वाले ने उनको बड़ी फ़ुर्सत से बनाया था।

शायद उन्होंने मुझे पकड़ लिया था कि मेरी नज़र उनके चूचों पर थी।
फिर वे मुझे अपने घर में मीटर लगाने के लिए बोलीं।

मैं उनका मीटर लगा रहा था तो मेरी नज़र बार-बार उनके चूचों पर ही जा रही थी।

मेरी इस हरकत पर वो मुस्कुरा रही थीं। थोड़ी देर में मैंने उनका मीटर लगा दिया।

उसके बाद उन्होंने मुझे अन्दर बैठने के लिए बोला।

मैं जाकर एक सोफे पर बैठ गया।

थोड़ी देर बाद वो चाय लेकर आईं और झुक कर कप में चाय डालने लगीं।

इस कारण मुझे उनके बड़े-बड़े चूचों के सम्पूर्ण दर्शन हो रहे थे।
उनको मस्त चूचों को देखते ही मेरा लंड तो पैन्ट के अन्दर ही तंबू हो गया था और सुनीता जी ने भी इसे भाँप लिया था।

वो मेरे पास आकर बैठ गईं और मुझे चाय देते हुए बोलीं- आपको मेरे घर पर नया मीटर लगाने का इनाम तो देना ही पड़ेगा।

ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरा लंड पैन्ट के ऊपर से ही पकड़ लिया और उसे सहलाने लगीं।

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मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वो ऐसा करेंगी।

फिर भी उनकी तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं तो उनके ऊपर टूट पड़ा।
मैं अपने होंठों से उनके होंठों का रसपान करने लगा।

क्या मुलायम होंठ थे मुझे उनके होंठों को चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

फिर धीरे-धीरे मेरे हाथ उनके चूचों पर रेंगने लगे ओर उन्हें ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा।

थोड़ी देर में मैंने उनके चूचों को उनके कपड़ों से आज़ाद कर दिया।

सुनीता जी ने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी.. जिसमें से उनके गोरे-गोरे चूचे चमक रहे थे। मैंने उसको भी निकाल फेंका और उनके एक मम्मे को पकड़ कर पागलों की तरह चूसने लगा।

मैं एक को चूसता और दूसरे को मसलता..

इस तरह करते हुए मुझे 15 मिनट के ऊपर हो गए थे और सुनीता जी अपनी मस्ती में अपने चूचों को मसलवाने का मज़ा ले रही थीं और बड़बड़ा रही थीं, ‘ओर मसलो.. और ज़ोर-ज़ोर से दबाओ इन्हें… सारा दूध निकाल दो इनका…’ मैंने देर ना करते हुए हम दोनों के बाकी के कपड़े भी उतार दिए।

अब हम पूरी तरह नंगे थे। फिर सुनीता मेरा लंड अपने मुँह में लेकर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। उस समय मेरे पूरे शरीर में हाई-वोल्टेज का करंट दौड़ रहा था।

वाकयी में सुनीता जी लंड चूसने में माहिर थीं। उस समय मेरे मुँह से मज़े में अजीब-अजीब सी सिसकारियाँ निकल रही थीं। थोड़ी देर में ही मेरा जिस्म अकड़ने लगा और सुनीता जी मेरा पूरा वीर्य गटक गईं।

अब बारी मेरी थी.. मैंने उनको बिस्तर पर लिटाया और उनके जिस्म को चूमने लगा। थोड़ी देर बाद जैसे ही मैंने उनकी चूत के दाने को अपनी ज़ुबान से चाटा तो वो एकदम से अपनी गाण्ड मटकाने लगीं।

फिर तो मैं उनकी चूत को रस ले-ले कर चूस और चाट रहा था।

अब तो मैं एक तरह से अपनी ज़ुबान से उनकी चूत चोद रहा था।

सुनीता जी अपनी गाण्ड उचका-उचका कर अपनी चूत चटवा रही थीं।

वो बोलीं- अब देर ना करो और अपना लंड मेरी चूत में पेल दो.. क्योंकि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

मैंने उनकी टाँगों को अपने कन्धों पर रखा और लंड के टोपे को चूत के मुँह पर टिका कर एक ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड सुनीता जी की चूत की गहराइयों में ‘गच्छ’ की आवाज़ के साथ उतरता चला गया।

जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत में गया.. उन्होंने अपने पैरों का घेरा मेरी कमर पर बना लिया।

मेरे लंड के धक्के लगातार उनकी चूत को चोद रहे थे।
चूत गीली होने की वजह से लंड चूत से ‘फ़चक.. फ़चक..’ की आवाजें आ रही थीं।

सुनीता जी अपनी पूरी मस्ती से चुदवा रही थीं और मेरे लंड के हर धक्के का जवाब वो अपनी गाण्ड उचका कर दे रही थीं।

फिर करीब 20-30 धक्कों के बाद उनका जिस्म अकड़ने लगा और चूत से फॅक-फॅक की आवाजें आने लगीं। थोड़ी देर बाद मेरे लंड ने भी अपना लावा उनकी चूत में उड़ेल दिया।

फिर हम दोनों के जिस्म थोड़ी देर के लिए किसी चुंबक की तरह चिपक गए।
फिर हमने अपने-अपने कपड़े पहन लिए।

वो मुझसे बोलीं- ये तुम्हारे मीटर लगाने का इनाम था।

दोस्तो, यह थी मेरी आपबीती.. आप लोगों को मेरी गाथा कैसी लगी.. मुझे ईमेल ज़रूर कीजिएगा।

 

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