शिल्पा के साथ ट्रेन का सफ़र-6

लेखक : माइक डिसूज़ा

अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह मुझे ट्रेन में शिल्पा नाम की एक लड़की मिली और मुझसे और टीटी से चुदवाया और बीच बीच में अपनी चुदाई के किस्से सुनाये। टीटी के जाने के बाद शिल्पा नंगी ही मेरे बगल में लेट गई, मैंने एक ऊपर से चादर डाल ली और उसके मम्मे दबाने लगा। उसने भी मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगी। उसके बाद शिल्पा ने अपनी चुदाई का अगला किस्सा सुनाया। वह बोली कि उसके बाद मैं राजीव के घर अक्सर जाकर उसके बाप और ड्राईवर से चुदवाने लगी।

अब आगे शिल्पा के ही शब्दों में !

एक दिन मुझे बाज़ार में अपनी एक पुरानी सहेली अनु मिली। अनु की शादी दिल्ली में हो गई थी और अपने पति और परिवार के साथ रहती थी।

उसने मुझे कहा- एक दिन तुम घर आओ और मेरे साथ रुको ! तुम्हारे साथ बहुत सारी बातें करनी हैं।

एक दिन मैं छुट्टी लेकर उसके घर गई। वह घर में अकेली थी। हम दोनों ने पहले बहुत बातें की। फिर मैंने उसको अपने चुदाई के किस्से भी सुनाये।

वह बोली- तूने तो बहुत एश की है।

फिर मैंने उसके पति के बारे में पूछा।

वह बोली- बहुत अच्छे हैं।

मैंने कहा- तुझे हर तरह से खुश रखते हैं?

वह बोली- हाँ, यहाँ परिवार में सब अच्छे हैं।

मैंने फिर शरारत से पूछा- और तेरे पति बिस्तर में कैसे हैं?

वह बोली- बहुत मज़ा आता है ! मस्त चुदाई करते हैं।

मैंने कहा- अच्छा ! पर मैं कैसे मान लूं कि वह मेरी दोस्त को भरपूर मज़ा देते हैं।

तो वो बोली- थोड़ी ही देर में वो आते होंगे, अभी घर में कोई नहीं है तू परदे के पीछे छुप जाना फिर देखना।

मेरे अन्दर उस ख़याल से ही झुरझुरी उठ गई। थोड़ी देर में उसका पति अशोक घर आ गया। मैं परदे के पीछे छिप गई। अशोक को देखकर मेरी आह निकल गई, वह एक लम्बा चौड़ा मस्त आदमी था। उसने घर में घुसते ही अनु को बाहों में लेकर चूमा। मैं अनु से जल कर रह गई कि साली को कैसा मस्त आदमी मिला है। मैं बेसब्री से उनके बीच कुछ होने का इंतज़ार करने लगी। मैं उस आदमी को नंगा देखना चाहती थी। थोड़ी ही देर में वह दोनों मस्त होने लगे और एक दूसरे को चूमने लगे। फिर अशोक अनु के सामने खड़ा हो गया और अनु ने उसकी पैंट और अंडरवियर दोनों नीचे कर दिए, उसका लंड बाहर निकल आया। उसको देखकर मेरी आह निकल गई।

अनु ने घुटनों के बल बैठ कर उसको चूसना शुरू किया। मैं कसमसा कर रह गई। मेरा मन कर रहा था कि बाहर निकलकर उससे वह लंड छीन कर अपने मुँह में ले लूँ। मैं वही खड़ी खड़ी अपने मम्मे दबाने लगी और ऊँगली से चूत रगड़ने लगी। तभी मैंने देखा कि अनु नंगी डाईनिंग टेबल पर लेटी हुई है और अशोक उसकी चूत में लंड घुसा कर धक्के मार रहा है। फिर थोड़ी देर में दोनों सोफे पर बैठ कर चूमा-चाटी करने लगे।

तभी मैंने देखा कि अनु मेरी तरफ देख रही है। उसने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया। अशोक अचानक मुझे देखकर चौंक गया फिर मुस्कुराने लगा।

अनु ने बताया- यह मेरी दोस्त शिल्पा है और बहुत देर से हमें चुदाई करते हुए देख रही है ! मुझे नहीं लगता कि यह और रुक पाएगी।

मैं अशोक के बगल में बैठ गई। बार बार मेरी नज़र उसके लम्बे, मोटे लंड की तरफ जा रही थी। अशोक ने मुस्कुराकर मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। मैं नीचे बैठ गई और उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैंने फिर अपने सारे कपड़े उतार दिए और अशोक के सामने नंगी हो गई। मैं उसके सामने घुटनों पर बैठ कर उसका लंड चूसने लगी। तभी पीछे से अनु ने मेरी चूत में ऊँगली डाल कर उसक रगड़ना शुरू कर दिया। मैं मस्त होने लगी और थोड़ी देर में झड़ गई। अशोक भी मेरे मुँह में झड़ गया और मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया।

तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, हम लोगों ने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए। अनु के सास-ससुर घर आ गए थे और थोड़ी देर में उसका देवर भी आ गया। हम सबने खाना खाया।

अनु ने मुझे कहा- घर फ़ोन कर दे और आज यहीं रुक जा।

मैं वैसे भी घर जाना कहाँ चाहती थी बिना अशोक के साथ चुदाई किये हुए। खाना खाने के थोड़ी देर के बाद बाद हम सोने चले गए। अनु मुझे अपने बेडरूम में ले गई। मैं बेसब्र हो रही थी लेकिन अनु और उसका पति सब धीरे धीरे कर रहे थे और मेरी बेचैनी का मज़ा ले रहे थे।

अशोक ने कहा- आज मैं एक नई ब्लू फिल्म लाया हूँ, तीनों मिलकर देखते हैं।

अशोक ने फिल्म लगाई और हम दोनों के बीच में आकर लेट गया। थोड़ी देर में हम उसके चुदाई के सीन देखकर गर्म हो गए। मैंने देखा कि वे दोनों शुरू हो चुके थे। मुझसे भी रुका नहीं गया, मैंने पीछे से अशोक से चिपटना शुरू कर दिया और धीरे से हाथ उसके लौड़े पर ले गई जो कि पूरी तरह खड़ा हो चुका था। मुझसे रुका नहीं गया मैं नीचे गई उसका पजामा नीचे किया और लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वह भी मजे ले ले कर मुझसे चुसवा रहा था।

फिर हम तीनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरे नंगे हो गए। मैं अशोक के ऊपर चढ़ गई और उसका लंड अपनी चूत में डाल कर चुदाई करने लगी। वो मेरे मम्मे कस कस के दबा रहा था- आह आह….। कितना मज़ा आ रहा था।

तभी अनु ने भी मेरी एक चूची अपने मुँह में डाली और चूसने लगी। मुझे और मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए। फिर अशोक ने अनु की चुदाई की और इस बार मैंने अनु की चूचियाँ चूसी, बड़ा मज़ा आया। उसके बाद थक कर हम सो गए।

रात में मेरी आँख खुली तो देखा कि अनु बिस्तर पर नहीं है। मुझे लगा कि शायद बाथरूम गई होगी। मुझे भी प्यास लग रही थी तो मैंने गाउन पहना और हाल में फ्रिज से पानी पीने लगी। तभी मैंने देखा कि एक कमरे की बत्ती जली हुई है और उसमें से आवाजें आ रही हैं।

मुझे लगा कि अंकल और आंटी इस उम्र में भी मज़े ले रहे हैं। मैं धीरे से कमरे के पास गई और दरवाज़े से अन्दर झाँका और नज़ारा देखकर दंग रह गई। अंकल नंगे बिस्तर के किनारे बैठे हुए हैं और अनु घुटनों के बल नीचे बैठ कर उनका लंड चूस रही है, पीछे से उसका देवर उसके मम्मे दबा रहा है और चूम रहा है।

मैंने मन ही मन कहा- बहनचोद साली एक और चुदासा परिवार !

तभी मैंने महसूस किया कि अशोक मेरे पीछे नंगा खड़ा है। उसने मेरा गाउन उतार दिया और मुझे भी नंगा कर दिया। हम दोनों भी उस कमरे में चले गए। अनु के ससुर ने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरे मम्मे दबाने और चूसने लगा। फिर अपनी ऊँगली मेरी चूत पर ले गया और रगड़ने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था उस बुड्ढे के खेल में। फिर उसने अपना लंड अनु के मुँह से निकाल कर मुझे चूसने के लिए कहा। मैं उसके सामने बैठ कर उसका लंड चूसने लगी।

तभी मैंने देखा कि अशोक की माँ हमारे बगल में नीचे घुटनों के बल नंगी बैठी है और उसका लंड चूस रही है। अनु का ससुर मेरे मुँह में झड़ गया और उसके बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनों वहाँ का सीन देखने लगे। अनु अपने देवर से चुद रही थी और अशोक की माँ उसका लंड चूस रही थी। मैं अनु के ससुर की गोद में उसके लंड से खेल रही थी। थोड़ी देर में अनु का देवर उसकी चूत में झड़ गया, तब तक मैं उसके ससुर के लंड को तैयार कर चुकी थी।

अनु के ससुर ने अनु के पीछे जाकर उसकी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया। अनु की आह निकल गई, वो बोली- भोंसड़ी के ! थोड़ा तो धीरे से घुसाया कर ! मेरी जान निकाल दी !

ससुर बोला- बहन की लौड़ी ! इतने दिनों से तेरी गांड मार रहा हूँ, अभी भी इतना दर्द होता है?

दूसरी तरफ तरफ अनु के देवर ने अपनी माँ के पीछे जाकर अपना लंड उसकी चूत में रगड़ना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में उसका फिर खड़ा हो गया और उसने अपनी माँ को कुतिया की तरह चोदना शुरू कर दिया। मैं अकेले ही तड़प रही थी। पर उन लोगों ने मुझे ज्यादा तड़पने नहीं दिया, उसके बाद उन तीनों ने मुझे बारी बारी से चोदा।

कसम से, अनु के गांडू ससुर से अपनी गांड मरवाने में बहुत मज़ा आया। उस रात के बाद मैं कई दिनों तक उनके घर जाकर चुदवाती रही।

उसका किस्सा सुनकर मैं बोला- चल तू नीचे घुटनों पर बैठकर सीट पर औंधे मुँह लेट ! मैं फिर तेरी गांड मारूंगा।

उसने औंधे मुँह होकर दोनों हाथों से चूतड़ अलग करके अपनी गांड का छेद मेरे सामने खोल दिया, मैंने उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और उसकी गांड मारने लगा। तभी टी टी अपने दोस्त के साथ केबिन में घुसा। मैंने शिल्पा की गांड मारना जारी रखा। उन दोनों ने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार कर अपने लंड बाहर निकाल लिए। फिर उसका दोस्त मेरे पीछे आया और मेरी गांड के छेद में उंगली डालने लगा। मैं चौंक कर रुक गया और कहने लगा- प्लीज़ यह मत करो।

वो बोला- भोंसडी के ! चुप कर, नहीं तो अश्लीलता के जुर्म में अन्दर करवा दूंगा।

फिर उसने मेरी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया और मेरी गांड मारने लगा। उसी धक्के से मेरा लंड शिल्पा की गांड के अंदर-बाहर होने लगा। थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा। मैं गांड मार भी रहा था और मरवा भी रहा था। थोड़ी देर में उसका लंड मेरी गांड में झड़ गया और दूसरा टीटी आकर मेरी गांड चाटने लगा। फिर उसने भी अपना लौड़ा मेरी गांड के छेद में घुसेड़ दिया। उसका लंड भी मेरी गांड में झड़ गया।

मेरा गांड मरवाने का यह पहला अनुभव था। मैं नहीं जानता था कि गांड मरवाने में भी इतना मज़ा आता है।

मैं भी तब तक शिल्पा की गांड में झड़ चुका था। मैं उठकर सीट पर बैठ गया। पहला टी टी मेरे सामने नीचे बैठ गया और मेरा लौड़ा उसने अपने हाथ में लेकर उसे चाटना और चूसना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी आदमी से अपना लंड चुसवा रहा था। मुझे मज़ा आने लगा। उधर शिल्पा भी दूसरे टीटी का लंड चूसने लगी।

थोड़ी देर में मेरा खड़ा हो गया तो वो टीटी सीट पर उल्टा लेट गया। मैं समझ गया कि वो मुझसे अपनी गांड मरवाना चाहता है। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी गांड के छेद में अपना लंड घुसेड़ दिया और उसकी गांड मारने लगा। दूसरी सीट पर शिल्पा दूसरे टीटी से अपनी गांड मरवा रही थी। हम लोग काफी देर तक एक दूसरे की गांड मारते रहे। फिर अगला स्टेशन आ गया और वो दोनों टीटी स्टेशन पर उतर गए।

उसके बाद क्या हुआ मैं आपको अगली बार बताऊँगा। आपको कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके बताएँ।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top