मज़बूरी में-2

प्रेषक : राजवीर

उसका स्टॉप आ गया, वो अपने को ठीक करके जाने की तैयारी करने लगी, उस आदमी ने उसे अब तक नहीं छोड़ा था, उसकी गांड अभी भी मसल रहा था।

एक आंटी जो सब देख रही थी, मैं उनकी तरफ देख के मुस्कुराया, वो भी जवाब में मुस्कुराई और वो भी उठने लगी। शायद वो भी उतरने वाली थी।

बस रुक गई, कंचन उतर गई। फिर वो आदमी, फिर मैं फिर वो आंटी और बाकी लोग भी उतरे होंगे, किसने देखा। वैसे आंटी भी मस्त थी, 35-37 की उम्र होगी पर मस्त थी।

मैं कंचन के पीछे जाने लगा, आंटी ने आवाज दी, बुला कर कहा- बस में तो तसल्ली कर लेते, बेचारी को परेशान कर दिया।

उसने कहा- सुनो, मैं उसके सामने वाले घर में ही रहती हूँ, जब वहाँ से खाली हो जाओ तो आना, अकेली हूँ, जान-पहचान करनी है तुमसे।

फिर मैं आगे बढ़ गया, कंचन उस आदमी से कुछ बात कर रही थी, फिर थोड़ी देर में वो आदमी चला गया और मैं उसके पास पहुँच गया।

वो चलने लगी, घर पहुँची, दरवाजे पर ताला लगा था, उसने दरवाजा खोला, अंदर गई पर दरवाजा बंद नहीं किया, दरवाजा खुला छोड़ने का मतलब खड़े लंड को चूत का इशारा।

मैंने अन्दर जाकर दरवाजा बंद कर दिया, वो अपने कमरे में जाकर बैठ गई थी, मेरे आते ही कहा- तुमने बस में ठीक नहीं किया।

मैंने पूछा- क्यों, अच्छा नहीं लगा?

उसने घूरते हुए कहा- हाँ, मुझे तो मजा आया, वो आदमी भी पीछे लग गया तुम्हारी वजह से।

फिर मैंने कहा- मजा तो आ ही रहा था तुमको, मैंने देखा था तुम आँखे बंद करके मजे ले रही थी।

और जाकर उसके बगल में बैठ गया और जांघों में हाथ रख दिया- अच्छा यह बताओ कि तुमने उस आदमी से क्या कहा कि वो चला गया?

कंचन ने कहा- बाद में बताऊँगी।

मैंने कहा- चलो दे दूंगा, मेरे पास नहीं तो तुम्हारे बॉस से दिलवा दूंगा।

तो उसने कहा- नहीं, उनसे मत कहना।

मैंने कहा- अच्छा ठीक है, उससे नहीं कहूँगा, तुमको दे दूँगा।

फिर उसने कहा- अच्छा, तुम यहीं बैठो, मैं नहा कर आती हूँ।

मैंने कहा- सुनो !

उसने कहा- हाँ?

मैंने कहा- बाथरूम का दरवाजा खुला रखना !

वो कंटीली सी मुस्कान देकर तौलिया लेकर चली गई। बेड पर बैठ कर उसका बाथरूम सामने ही दिखता था, उसने बाथरूम में जाकर अपना कमीज उतारा और उसका गोला सा बना कर्मेरे ऊपर फ़ेंका।

फ़िर सलवार उतार कर उसी तरह मेरे ऊपर फेंक दी। सफ़ेद ब्रा पेंटी में क्या मस्त लग रही थी। फिर ब्रा उतार कर फेंकी और फिर पेंटी भी उतार कर मेरी तरफ़ फेंक दी।

मैंने पैंटी उठा कर देखी तो पेंटी गीली थी, शायद बस में जो अच्छे काम हुए उसकी वजह से !

अब वो नंगी मेरे सामने खड़ी थी, उसने शावर चालू कर दिया !

क्या यार ! कल तक जिसे मैं चोदने का सपना देखता था आज वो मेरे सामने नंगी होकर नहा रही है।

मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में बैठा रहा, ऊपर से ही लंड मसल रहा था।

वो नहा कर आई बदन पर तौलिया लपेट कर ! और कमरे में आकर तौलिया हटा कर कोई बॉडी लोशन अपने पूरे शरीर पर लगाने लगी, फिर तौलिया लपेट कर मेरे पास आने लगी।

पर मैंने कहा- यार एक काम करो, तुम लॉन्ग स्कर्ट और टॉप में बड़ी मस्त लगती हो, वो पहन कर आओ ना !

“ठीक है !”

वो गई और कपड़े पहन कर आ गई, पर इच्छा इंसान इच्छाओं का भण्डार होता है, मर जाता है, पर इच्छाएँ नहीं मरती। मैंने उससे एक और इच्छा बताई उसका डांस देखने की।

उसने भी ‘राऊदी राठौर’ फिल्म के गाने ‘छम्मक छल्लो’ पर नाचना चालू कर दिया।

क्या मस्त चूचे उसके उछल रहे थे !

फिर डांस के थोड़ी देर बाद उसने स्ट्रिप करना शुरू कर दिया, मतलब स्ट्रिप डांस, गाना ख़त्म हो गया, वो भी नंगी हो गई, आकर मेरे लंड जो अभी अंदर था उसके ऊपर ही अपनी चूत रख दी।

मैंने उसके चूचे अपने हाथों में ले लिए और दबाने लगा, मस्त रुई जैसे लग रहे थे।

फिर मैं उसके भूरे रंग के निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगा, वो अपनी कमर हिलाए जा रही थी, नंगी चूत और कच्छे में मेरा लंड ! क्या मजा आ रहा था, फिर उसने मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और मैं भी उसका साथ देते हुए उसके होंठों को चूसने लगा। फिर उसने अपने चूचे मेरे मुंह में दे दिए जिसे मैं मजे से चूसने लगा और एक हाथ से दबाने लगा। कभी दबाता तो कभी चूस रहा था, बीच बीच में कहीं कहीं काट भी लिया, जिससे गुस्सा होकर उसने भी मेरी छाती पर काट खाया। बहुत तेज काटा था, बहुत दर्द भी हुआ, निसान सा पड़ गया पर उस वक्त इतना एहसास नहीं हुआ था।

फिर वो नीचे हो गई पहले ऊपर से ही लंड को खूब दबाने और मसलने लगी। लंड एकदम सख्त हुआ पड़ा था, पहले ऊपर से ही दांत से हल्का सा काटा, फिर मुँह से कच्छे को नीचे किया। फिर क्या था, बेचारे लंड को बाहर आने का रास्ता चाहिए था और जैसे ही रास्ता देखा, फुदक कर बाहर आ गया।

फिर उसने हाथ से पूरा कच्छा निकाल दिया, और लंड की जड़ से होते हुए टोपे तक चाटने लगी, मगर फिर टोपे को नीचे करके मेरे आलूबुखारे को जो चूस रही थी, वो मजा कुछ अलग ही आ रहा था।

और चाटते चाटते पूरा लंड मुह में ले लिया और गप गप करके चूसने लगी।

लंड एकदम टाइट हो चुका था, उसे मैंने घोड़ी बनने को कहा, वो वैसे हो गई, मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया और उसकी चूत पर जीभ रख कर चाटने लगा, वो मदहोश सी होने लगी, 5 मिनट चाटने के बाद उसने कहा- अब बस डाल दो !

मैंने उसकी चूत पर लंड रखा, एक धक्का दिया और आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत के अंदर था। वो चिल्ला सी गई, उसने कहा आराम से नहीं कर सकते थे क्या !

उसकी बात पर ध्यान दिए बिना मैंने बिना रुके एक ही धक्का मारा और पूरा लंड उसकी चूत में चला गया। वो बिस्तर पर नीचे गिर गई, मतलब लेट सी गई, गिरने के बाद मैंने भी उसके ऊपर अपना सारा वजन डाल दिया और उसके ऊपर ही लेट गया, फिर मैं आधा लंड निकाल के फिर डालता मैंने उसके कंधों पर हाथ रख दिया और तेज स्पीड में चोदने लगा।

जब उसके कंधे दुखने लगे तो उसने कहा- अब मुझे ऊपर आने दो।

मैं नीचे लेट गया, उसने मेरी तरफ पीठ कर ली, लंड को चूत पर सेट कर लिया और धीरे धीरे धीरे बैठने लगी, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में छुप गया, फिर वो उछल उछल कर चुदने लगी।

क्या मस्त गांड लग रही थी उसकी !

तभी मैंने सोच लिया कि उसकी गांड जरूर मारनी है !

फिर वो पीछे की ओर हो गई जिससे मैंने उसके चूचे पकड़ लिए और दबाने लगा।

लगभग दस मिनट बाद वो झर गई और लेट सी गई मेरे ऊपर, पर मेरा अभी नहीं हुआ था।

फिर वो सीधी लेट गई और मैंने ऊपर आकर वैसे ही उसकी चूत में लंड को सरका दिया और चोदने लगा पर उसे एक मिनट में ही दर्द होने लगा, उसने निकाल लेने को कहा, मैं नहीं रुका। दो मिनट तक उसे तेज दर्द हुआ, वो रोने सी लगी तो मैंने निकाल लिया।

पर मैंने कहा- मेरा तो हुआ नहीं !

उसने कहा- चूस कर निकाल देती हूँ।

मैंने कहा- ठीक है !

फिर उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी, टट्टे सहला सहला कर चूसने लगी। पाँच मिनट तक चूसने से भी नहीं निकला तो उसने कहा- कैसा है ये? निकल क्यों नहीं रहा?

तो मैंने उससे कहा- कभी कभी दिक्कत होती है, जल्दी नहीं निकलता।

वो भी समझ गई कि मैं खेल खाया बंदा हूँ।

वैसे वो भी पूरी तरह से खेली खाई ही थी।

मैंने उससे कहा- एक काम करो, मैं पीछे से डाल देता हूँ, टाइट जगह जायेगा तो जल्दी निकल जायेगा।

उसने थोड़ी देर सोच कर कहा- ठीक है, पर आराम से करना।

पहली बार कोई इतनी आसानी से गांड में लंड लेने के लिए मान गई थी, नहीं तो नखरे ही इतने करती है।

मैंने पास ही रखी क्रीम अपने लंड पर लगाई और उसकी गांड में भी उंगली घुसा कर लगा दी, फिर गांड की छेद पे लण्ड रखा और धक्का दिया, आगे का तो आराम से चला गया वो कहने लगी- कैसी मार रहे हो? इसमें दर्द ही नहीं हुआ।

मगर जब उससे आगे गया तो उसकी गांड फट गई, क्योंकि मेरा लंड बीच में से थोड़ा मोटा है आगे की तुलना में।

फिर एक धक्का ! और वो शोर मचाने लगी तेज तेज, कहने लगी- निकाल लो, दर्द हो रहा है, मेरी फट गई, कुत्ते कमीने ऐसे ही कुछ बोलने लगी।

जितना वो बोलती, उतना मैं उसकी गांड पर चपत लगाता और एक मिनट में पूरा लंड उसकी गांड में पिरो दिया।

फिर धक्के पे धक्का मतलब लंड आगे-पीछे, अंदर-बाहर करने लगा और वो भी थोड़ी देर बाद मजे से गांड मरवाने लगी और फिर- आह ह्हह ह्ह्ह्ह मैं आने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ?

कंचन बोली- आह्ह आह्ह्ह आआह्ह अंदर ही डाल दो !

और फिर उसकी गांड में ही झर गया, फिर साफ़ किया, थोड़ा आराम किया, कपड़े पहने और चला आया।

अगले दिन मैंने कंचन को पैसे दे दिए, उसके बाद भी मैंने उसे कई बार चोदा, उसने मुझे कभी मना नहीं किया।

कंचन खूबसूरत तो थी पर ख़ूबसूरती के पीछे कई राज़ भी होते हैं, मैं उसके करीब भी आता गया, पर धीरे धीरे यह मालूम चला कि वो एक हाई प्रोफाइल कॉल गर्ल है। फिर मैंने उससे मिलना जुलना छोड़ दिया और बात भी करना छोड़ दिया।

एक दिन खुद मुझसे मिलने आई कंचन, उसने कहा- मुझे पता है कि तुम्हें मेरे बारे में सब पता चल चुका है, पर जितने भी लोगों से मैं मिली हूँ, उनमें से तुम ही मुझे अच्छे लगे, तुम पे दिल भी आ गया था।

वो मेरे पांच हजार देने लगी जो मैंने दिए थे। मगर मै नहीं ले रहा था तो उसने कहा- मैंने तुमसे उधार लिए थे, नहीं लोगे तो ऐसा लगेगा कि मैंने तुम्हें अपना जिस्म बेचा था। ले लो, मैंने तुम्हारे साथ जो किया वो दिल से किया।

वो पैसे देकर चली गई, आज भी कहीं मिलती है तो सलाम नमस्ते हो जाती है।

कंचन दिल की अच्छी थी पर मज़बूरी में यह काम करती थी क्योंकि उसके पिता नहीं थे और माँ भी बीमार रहती थी, घर में एक बहन है, उसका फ्यूचर बनाने के लिए अपना जीवन ख़राब कर रही थी वो !

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