जिस्म में तूफान

Antarvasna 2014-09-14 Comments

जब टिका देते हो इस जगह तुम अपनी जुबाँ
मेरे जिस्म में उठा देते हो तुम इक तूफाँ

जी चाहता है बस यूँ ही तुम चूमते रहो
प्यार से चाट चाट के इससे हो जाओ हलकाँ

मिटा दो इसकी खुजली चूमने के साथ करके उंगली
यह तंग मुझे बहुत करती है, करती है मुझे परेशाँ

जब भी देख लेती है तुम्हें, यह फुदकने लगती है
तुम से मिल के कुछ करने का बाँधने लगती है समाँ

चूमने चाटने के बाद जब यह हो जाय गीली और मस्त
इसकी आग बुझा दो मेरे साजन यह तो है आतिश फिशाँ

चाट चाट के तुम बना दो इसको मदमस्त और अपनी दीवानी
फिर डाल के अंदर कर दो इसके पूरे सारे अरमाँ

चिमनी की तरह गर्म है अंदर से गीली और नर्म है
बहुत ही ज्यादा बेशर्म है बेहया है, है नादाँ

ढीठ है बहुत लाज आती नहीं मुझे सताते हुए
तुम से करवाने के लिए इसके लबों पे रहती है हाँ…

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