जवान जिस्म का भोग -3

(Jwan Jism Ka Bhog- Part 3)

इमरान 2014-09-23 Comments

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सम्पादक : इमरान

फ़िरोज़- फिर आ जा, मेरे लौड़े को मस्त कर और अपनी चूत मरवा!

इसके बाद फ़िरोज़ ने जीनत की चूत को नाज़िमा की चूत समझ कर चोदा परंतु हमारी कहानी शबनम के साथ चलती है इसलिए हम वापस लौटते हैं।

यहाँ शबनम के मुँह से उसके भाई द्वारा अपनी ख्याली चुदाई की बातें सुन कर नाज़िमा का मुँह खुला का खुला रह गया, वो शर्म से लाल पड़ गई और शबनम के मुँह पर हथेली रखके बोली- शबनम प्लीज़, और मत सुना नहीं सुना जाता कि भाई मेरी चूत रोज़ मारते हैं और अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ते हैं।

मैं- उनका बस चले तो मेरे को भी चोद दें।

नाज़िमा- हाय, इतना तुझे कैसे यकीन है यहाँ तो तू उनके अण्डरवीयर का लण्ड वाला हिस्सा चूस रही है, इससे लगता है तू खुद उनसे चुदना चाहती है?

मैं- तूने अभी मेरी और भाभी की बातें कहाँ सुनी हैं, वो पता चले तो तू जान जाएगी कौन चुदना चाहता है और कौन चोदना ! वैसे भी मेरी कच्ची चूत, तुझे एक बार लौड़े का चस्का लग जाए तो तू रंडी बन जाएगी, चुदाई के पीछे पागल हो जाएगी, अपने यार का लण्ड पकड़ पकड़ के उससे बोलेगी कि ‘चोद दे…’

नाज़िमा- अरी मरी… कैसे कैसे गंदे शब्द यूज़ करती है तू चल हट!

मैं- नाज़िमा, मेरी जान नंगी है मेरे आगे और गीली भी क्यों नखरे करती है, आ जा, तुझे मर्द की तरह चोद दूं।

नाज़िमा- क्या करेगी तू मेरी चूत की गर्मी उतारने को?

मैं- देखती जा क्या क्या करती हूँ मैं!

मैंने आगे बढ़ कर अपने भाई के कच्छे का लण्ड वाला गीला हिस्सा नाज़िमा की ओर बढ़ा दिया- ले चूस इसे, देख मेरे भाई का लण्ड कैसी खुश्बू देता है।

नाज़िमा- मुझसे नहीं होगा, वो भाई हैं मेरे!

मैं- मेरे भी तो भाई है, जब मैं नहीं हिचक रही तो तू क्यों ऐसा करती है, देख इस पर उन्होंने अपना वीर्य भी लिपटा रखा है।

नाज़िमा ने कच्छे पर एक सफेद सी लाइन पड़ी देखी, वो वीर्य की सूखी पपड़ी थी, मैं उसका कुछ हिस्सा गीला करके साफ कर चुकी थी. बाकी हिस्से के लिए मैंने नाज़िमा को दे दिया, नाज़िमा ने और विरोध किए बिना मेरा साथ दिया और हम दोनों सहेलियों ने कच्छे पर से सूखा वीर्य साफ कर दिया।

नाज़िमा- शबनम, भाई को पता चल गया तो?

मैं- यही तो चाहती हूँ मैं, ताकि वो और गर्म होके और वीर्यपात करेंगे और तुझे उनका और वीर्य मिलेगा। हो सकता है वो उत्तेजित होके एक दिन तुझे सच में चोद दें।

नाज़िमा- चल हट, ऐसा कभी नहीं होगा।

पर उसका मन कर रहा था कि ऐसा जल्द ही हो जाए और वो मोटे असली लौड़े से चुद जाए। इधर मैंने मूली को पकड़ के चूसना शुरू किया।

नाज़िमा- अब इस मूली से क्या करोगी?

मैं- यह मूली तेरी और मेरी चूत की गर्मी उतारेगी।

नाज़िमा- शबनम नहीं, यह बहुत मोटी है, मैं आज तक सिर्फ़ ऊँगलियों से करती आई हूँ।

मैं- मेरी जान, एक ना एक दिन तो लण्ड भी लेगी क्यों ना उसी की प्रॅक्टिस कर ले।

नाज़िमा- प्यार से डालना, जैसे भाई चोदना चाहते हो वैसे ही!

मैं- अरे भाई की स्टाइल से चुदेगी तो तेरी बुर फट जाएगी।

नाज़िमा- क्यों?

शबनम- वो ज़ोर से धक्का मार के पूरी मूली एक बार में चूत में पेल देंगे।

नाज़िमा- हार री, ऐसा क्या? वो इतने उतावले है मेरी बुर चोदने को?

मैं- हाँ री, मैंने उस रात के बारे में भाभी से बात की थी, तू वो सुनेगी तो तेरी गान्ड फट जाएगी, तू खुद सोच, एक औरत अपने मर्द को खुद नई नई लड़की बन के चुदाई का स्वाद दे और वो भी राज़ी राज़ी ! क्या यह हो सकता है तू अपने मर्द को किसी और से या मेरे से शेयर करेगी बिस्तर पर?

नाज़िमा- पर वो तो सिर्फ़ सोच रहे थे कौन सा भाई ने मेरी या तेरी या गुरलीन, माधुरी की चूत असली में मारी?

मैं- मेरी जान, जब मर्द नंगा होकर अपना लौड़ा हाथ में लेता है और फिर जिस चूत का नाम लेकर उसे चोदने की बात करता है तो समझ ले उसी चूत के नज़ारे उसकी आँखों के आगे होते हैं और वो भूल जाता है कि उसके बिस्तर में कौन नंगी लेटी है, वो उसकी बीवी है या कोई राण्ड, बस जिसके बारे में सोचा उसकी गीली चूत की कल्पना करके उसके ख़यालों में उसे चोद दिया। चाहे वो तू हो या गुरलीन या मैं !
नाज़िमा- ऐसा क्या? मैं तो इस बारे में ज़्यादा जानती नहीं।

मैं- तू समझ ले, अब जब भी तू भाई के सामने होगी वो तुझे आँखों ही आँखों में चोद रहे होंगे, भले मुँह से नाज़िमा बहन, नाज़िमा बोलते रहे पर मन में यही होगा कि नाज़िमा नंगी मिल जाए तो चोद दूँ या आज नाज़िमा को नंगी करके इसके कपड़े फाड़ के चूत मार लूँ और अपनी फ़ैंटेसी पूरी कर लूँ।

नाज़िमा- हाए रे, तब तो मैं तेरे घर भाई के सामने कैसे आऊँगी?

शबनम- वैसे जैसे मैं आती जाती हूँ, तू सोच भाई तो मेरे को भी चोदते हैं अपनी उस कामुक फ़ैंटेसी में, मैं क्या वो नाज़ुक कली महक, वो रसीली माधुरी, तू चिकनी नाज़िमा, वो गर्म गुरलीन या मैं कामुक शबनम, सब उनके लौड़े के नीचे आ चुके है रात में।

नाज़िमा- हाए रे, बड़े मस्त है पर यह बता तू कैसे उनके सामने आती जाती है दिन में?

मैं- मेरी मस्त कली, मैं यह सोच के गीली हो जाती हूँ कि घर में ही एक मस्त मर्द मुझे दिन रात चोदने के सपने लेता है और उसके सामने मैं कुछ भी पहनूँ, वो मेरी नंगी तस्वीर आँखों में बिठा लेता है। मैं भाईजान के सामने अपने आप को हमेशा नंगी महसूस करती हूँ इसलिए मुझे हिचक नहीं होती की वो मेरा कौन सा कामुक अंग घूर रहे हैं, बस उनका तना लौड़ा महसूस होता है तो जान जाती हूँ कि वो ख़यालों में मेरी जवानी का भोग लगा रहे हैं।

नाज़िमा- तो तेरा कहना है कि जब भी तेरे भाई मुझे देखेंगे वो मुझे नंगी सोचेंगे चोदने वाली निगाह से देखेंगे?

मैं- हाँ री, इसलिए बोल रही हूँ, तू फ़िक्र छोड़ पूरा एंजाय कर लाइफ को, हो जाने दे जो होता है, चाहे भाई चोदे या कोई और मर्द, तुझे अपनी चिकनी चूत किसी ना किसी को देनी ही है ना, या साबूत बचा के वापस ले जाएगी ऊपर वाले रब्ब के पास?
नाज़िमा- अरी नहीं रे, साबुत कैसे रहेगी, कोई ना कोई इसकी मस्ती लूट ही लेगा, मेरी चिकनी चूत को कई लण्ड मिलेंगे, तू देखती जा…

मैं- आ जा, मैं तेरी चूत में मूली डाल के तुझे लण्ड वाला मस्त मज़ा दूँ।

नाज़िमा- एक बात बता?

मैं- बोल…

नाज़िमा- तेरी भाभी से बात हुई उस बारे में?

शबनम- किस बारे में? साफ साफ बोल, इशारे छोड़…

नाज़िमा- वो ही भाईजान के साथ नई नई लड़कियों का रूप लेके चुदाई करवाने के बारे में? वो ऐसा क्यों करती हैं और भाईजान क्या हम सबको वाकई में चोदना चाहते है या सिर्फ़ सोच है?

मैं- हाँ, मैंने भाभी से बात की थी, अभी सुनना चाहेगी या पहले तेरी चूत में मूली उतार दूँ, आ जा मेरी चूत भी तो गर्म हो रही है, पहले क्या सुनेगी चेतन ने मुझे कैसे चोदा या भाभी नाज़िमा बन क क्यों राज़ी राज़ी चुदी?

नाज़िमा- शबनम, मैं बैचैन हूँ, मेरी नज़र में भाभी एक नया अनोखा काम कर रही थी क्योंकि तेरे हिसाब से कोई भी औरत ऐसा नहीं कर सकती कि उसका पति उसके सामने किसी और को चोदे और यहाँ तो खुद ही कोई और गर्म चूत बनके पति के लौड़े से चुदना वाकयी आश्चर्य की बात है।

मैं- चल इस बात को छोड़, आ मेरी चिकनी नाज़िमा मैं आज नये तरीके से तेरी चूत का मज़ा लूटती हूँ।

नाज़िमा- कैसे?

मैं- मैं इस मूली का 4 इंच का भाग अपनी कामुक चूत में डालूंगी और बचे हुए 5 इंच को तेरी चिकनी चूत में देखना, तुझे ऐसा लगेगा जैसे कोई मर्द तुझे चोद रहा है।

नाज़िमा- शबनम मैं तेरी हर बात मानूँगी, बस तू मुझे प्यार से भोग ले, मेरी कमसिन चूत का नंगा नाच तेरे आगे करूँगी, मैं तेरे बिस्तर पर नंगी बिछने को तैयार हूँ।

मैं- तू मेरे आगे नंगी लेटी है एक कुतिया की तरह अब तुझे चोदूँगी, पूरा मज़ा लूँगी तेरी जवानी से।

नाज़िमा- हाए शबनम, बस बोल मत, अपने इस अनमोल और अनोखे लौड़े को मेरी मदमाती चूत में उतार दे…

मैं- ऐसे नहीं रानी, इसको चूस, पहले इसे लौड़े की तरह महसूस कर सिसकारी मार कर आवाज़ें निकाल, मुझे उकसा कि मैं भड़क के तेरी बुर में एक बार में पूरी मूली उतार के तेरी नथ उतार दूं।

नाज़िमा- शबनम, आ जा मेरी जान, देख तेरे सामने तेरी नाज़िमा बिल्कुल नन्गी लेटी है और देख मैं अपनी चिकनी चूत सहला रही हूँ मेरी चूत से निकलता पानी भी तुझे बुला रहा है, मेरी चूत चाट ले और मेरी चूत को अपने मादक लौड़े से चीर दे मेरी जान, देख मैं अपनी नथ उतरवाने को बेताब हूँ।

मैं- तो जिसका कहूँगी, उसका लौड़ा चूसेगी, बोल कुतिया?

नाज़िमा- हाँ शबनम, मैं हर एक से चूत मरवाने को राज़ी हूँ।

मैं- सोच ले हो सकता है तेरे घर के ड्राइवर से तेरी चूत मरवा दूँ?

नाज़िमा- हाँ शबनम, तू जिससे बोलेगी उसके आगे नंगी होकर लेट जाऊँगी, चुद लूँगी मेरी जान, मेरी चूत की गर्मी उतार दे, चोद दे मेरी जान शबनम, तुझे तेरे चेतन के लौड़े की कसम!

मैं- अब मेरे यार चेतन की कसम खाई है तो तेरी चूत मारती हूँ वरना अभी एक घंटा और तेरी चूत को तड़पाती, फिर चोदती।

मैंने इतना कह कर मूली का 4 इंच हिस्सा अपनी कामुक चूत में घुसेड़ लिया और सफेद लण्ड की तरह दिखती हुई मूली का बाकी 5 इंच के हिस्से का अगला भाग नाज़िमा की चूत के ऊपर टिका दिया।

नाज़िमा- अहह धीरे से मेरी जान, मैंने पहले भी कहा है मैं अभी कच्ची चूत हूँ।

मैं- कोई बात नहीं मेरी रानी, आज रात को तेरे को सब से मस्त रण्डी बना दूँगी।

नाज़िमा- हाय शबनम, तू ऐसा कैसे बोल लेती है, मैं तो यह सब सोच भी नहीं पाती।

मैं धीरे धीरे मूली को नाज़िमा की चिकनी लसलसाई चूत में उतारते हुए बोली- मेरी जान, जब तुझे कई कई मर्द चोदेन्गे और गंदी गंदी बातें बोलने को बोलेंगे तो तू सब सीख जाएगी। ऐसा नहीं है कि मैं शुरू से ही यह सब बोलती थी, मुझे भी इस समाज ने मस्त चुदासी बना दिया है।

नाज़िमा और मैंने अब मूली को लण्ड समझ कर उसका उपयोग करना शुरू किया। मैंने नाज़िमा के दोनों नंगे संतरे पकड़ लिए और उनको दबा दबा कर रस निकालने लगी। इधर नाज़िमा भी मस्ती में आ गई, उसने मेरे अनार अपनी मुट्ठी में दबोच लिए और चूतड़ हिला हिला के मर्द की तरह धक्के लगाने लगी।

काफ़ी देर तक नाज़िमा और मेरा यह खेल चलता रहा, मुझे महसूस होने लगा कि अब और साथ देना मुश्किल है तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और नाज़िमा की चूत को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगी। नाज़िमा का बदन भी ऐंठ गया उसने मुझे जकड़ लिया और हम दोनों को साथ साथ ऑर्गैस्म यानि परम आनन्द मिलने लगा।

नाज़िमा- हाय री शबनम, मेरी चूत को यह क्या हो रहा है? कुछ बारिश का सा अनुभव हो रहा है।

मैं- होने दे नाज़िमा, यह चूत की झड़ान है जो मर्द से चुदने पर और किसी लड़की के कामुक साथ मिलने पर मिलती है, होने दे यह सुखद अनुभूति।

और मैंने नाज़िमा के नर्म उरोजों में मुँह घुसेड़ दिया और हम दोनों सहेलियाँ रति क्रिया का आत्मसुख पाने लगी।

जब नाज़िमा की साँस में साँस आई तो उसने कहा- शबनम अब बता, तेरी भाभी भाई से नाज़िमा बन कर राज़ी राज़ी क्यों चुद रही थी?

कहानी जारी रहेगी।

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