जवानी की दस्तक

तौसीफ़ हैदर
नमस्कार दोस्तो, यह कहानी एक साल पुरानी है जिसमें मैंने अपनी ही मालकिन की बेटी को चोदा।
मैं एक बिहार के छोटे गाँव में पला-बड़ा हूँ। मेरा नाम तौसीफ है, मैं अपनी माँ का अकेला बेटा हूँ और मेरी 3 बहनें भी हैं।
हम बच्चे धीरे-धीरे माँ के ऊपर अब बोझ बनने लगे, जिसके बारे में सोच मेरा दिमाग घूम जाया करता था।
तभी एक दिन मेरी मुलाकात एक भईया से हुई जिन्होंने मुझे मुम्बई के बड़े से मकान में नौकर का काम करने के लिए प्रस्ताव दिया। मैं जैसे-तैसे अपनी माँ और बहनों को राम-भरोसे गाँव में छोड़ कर पैसे कमाने शहर आ गया।
मेरी मालकिन की एक ही बेटी थी, जिसका नाम सना था और जब हमें समय मिलता तो हम खेल भी लिया करते थे।
अब मुझे उनके यहाँ काम करते हुए 6 साल हो चुके थे और मैं 19 साल का हो चुका था। मैं समय-समय पर अपने गाँव में माँ के पास रुपए भी भेजा करता था।
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था पर अब मेरी जवानी की दस्तक ने मेरी आने वाली पूरी जिंदगी ही बदल दी।
मैंने कभी लड़की के स्पर्श को महसूस नहीं किया था, हालांकि चोदने का सारा ज्ञान मेरे दिलो-दिमाग में बसा हुआ था।
एक दिन मेरी मालकिन एक महीने के लिए अपने किसी काम से बाहर गई हुई थीं और इस बीच अब घर में मैं और उनकी बेटी सना ही अकेले रह गए थे।
वो भी काफी बड़ी हो चुकी थी और उम्र में मुझसे सयानी भी।
एक दिन मैं नहाने के बाद काम कर रहा था। तभी सना का कॉलेज जाने वक्त हुआ तो उसने मुझसे कहा- तौसीफ… आज मेरा मन नहीं है कॉलेज जाने का…
मैं- क्यूँ मेमसाब… चली जाइए ना?
सना- नहीं.. बस सोच रही थी.. क्यूँ ना आज कुछ वक्त तुम्हारे साथ गुज़ार लूँ…
जिस पर मैंने बस चुप्पी मार ली और शान्ति से अपने कमरे में चला गया।
मैं समझ चुका था कि सना के दिमाग में अब कुछ और ही चल रहा है, पर मेरे अन्दर शुरुआत करने की ज़रा सी भी हिम्मत ना थी। इतने में सना मेरे कमरे में आई, उसने केवल नीचे तौलिया पहने हुआ था और ऊपर हल्का सा कोई कपड़ा ओढ़ा हुआ था।
मैं सना को देख पगला गया और शर्म के मारे अपनी मुंडी घुमा ली।
इतने में उसने मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमाते हुए अपने ऊपर वाले कपड़े को उठाते हुए कहा- मैं जानती हूँ… तुम मुझे चुपके-चुपके देखते हो… सो लो आज खुद कुआं चल कर प्यासे के पास आया है।
मैं उस वक्त कहता भी तो क्या कहता।
मेरे सामने जो दो मोटे-मोटे चाँद से भी गोरे चूचे जो तने हुए थे। मैं सीधा खड़ा हुआ और सना के होंठों को चूसते हुए उसके दोनों चूचों को भींचने लगा।
कुछ देर बाद मैं थोड़ा नीचे की ओर आया और मुँह में भर-भर के दोनों को चूसने लगा।
उसके चूचे एकदम सख्त हो गए थे, जिन्हें मैं लगातार थप्पड़ मारते हुए ढीले कर रहा था।
अब धीरे-धीरे मेरा हाथ उसके तौलिए तक पहुँचा और मैंने आखिरकार उसके तौलिए को खोलते हुए देखा कि उसने अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी।
अब मेरे सामने सना बिल्कुल मादरजात नंगी खड़ी थी। मैंने उसे अपने बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत को अपनी जीभ से सहलाने लगा जिस से कामुक होकर सना अब उँगलियों को अपनी चूत के ऊपर रगड़ते हुए चिल्लाने लगी- चोद दो तौसीफ मुझे… बुझा दो इस रांड की प्यास..!
सना अब मस्ती वाली सिसकारियाँ भर रही थी। तभी मैंने अपनी ऊँगलियाँ उसकी चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मेरी दस मिनट की मेहनत से सना की पूरी की पूरी चूत गीली हो चुकी थी।
सना ने अपनी जाँघों को खोल कर चूत की पंखुड़ियों को खोल दिया और अचानक ना जाने मेरे लंड में कहाँ से इतनी ताकत आ गई और वो एकदम तन गया।
अब मेरा लंड सही उसकी चूत के मुहाने के सामने टिका हुआ था।
फिर क्या था… मैंने आखिरी बार सना के चूचियों की चुस्की लेते हुए बस अपने चूतड़ों के ज़ोरदार के झटके से अपने लंड को उसकी चूत की गहराई में गुम कर दिया और उसकी जोर की चीख निकल पड़ी।अब मेरे मुँह से भी गाली निकल पड़ी- ले… माँ की लौड़ी… आज से तू मेरी कुतिया है।
अब मैं अँधाधुंध बस उसकी चूत में अपने लंड की गोलियाँ ही बरसाता चला गया।
वो मटक-मटक मेरे लंड को बड़े ही चाव से लेती रही और अब तो उसकी चीखें भी मज़े में परिवर्तित हो चुकी थीं।
मैंने अपने लंड का मुठ भी अपनी सना रांड मेमसाब के ऊपर ही डाल दिया।
और उसके बाद एक महीने तक मैं उसे पचास से भी अधिक बार चोद चुका था।
मैंने एक महीने में उसकी चूत इतनी ठोकी और बजाई की उसकी चूतड़ों का नाप 28 से 32 हो गया जिससे मेरी मालकिन के आते ही हमारी रंगरलियों के बारे में पता चल गया और उन्होंने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए अपनी बेटी सना का निकाह मेरे साथ करवा दिया। अब मैं इतना अमीर हो चुका हूँ कि मैंने अपनी तीनों बहनों का निकाह करा चुका हूँ और अपनी माँ के साथ सुखद जीवन बिता रहा हूँ।
दोस्तो, आज हम पति-पत्नी हैं पर चुदाई के मामले में सना आज भी मेरी कुतिया ही है, खूब मजे ले ले कर चुदवाती है और मुझे भी खूब मज़ा देती है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top