नफीसा का प्रेम

प्रेषक : समीर दीक्षित

दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है। आशा करता हूँ कि आप लोग इसे पसंद करेंगे।

मेरा नाम समीर है, मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ, मेरा कद 6 फ़ीट है। यौन इच्छाएँ मेरे अन्दर इतनी कू- कूट कर भरी हैं कि आज मैं उनकी वजह से सेक्स में बहुत प्रैक्टिकल हो गया हूँ, हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करता रहता हूँ। मेरा मानना है कि आप हर दिन नये नये प्रयोग कर इसे और रोमांचकारी बना सकते हैं।

खैर मतलब की बात पर आते हैं।

मैं शुरू में लड़कियों से बहुत डरता था पर उनके लिए हमेश सपने जरूर बुनता रहता था कि जब मुझे कोई लड़की मिलेंगी तो कैसे मैं अपने दिल के अरमान पूरे करूँगा।

बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली में पढ़ रहा था और अपना खर्च निकलने के लिए कोचिंग पढ़ाता था। मेरे पास शुरू में तीन लड़कियाँ गणित पढ़ने के लिए आने लगी नफीसा, सरिता और नेहा।

एक दिन नफीसा और लड़कियों से जल्दी आ गई और कहने लगी- सर, कल मेरा जन्मदिन है और मैं उसे यहाँ मानना चाहती हूँ।

मुझे भी क्या परेशानी हो सकती थी, मैंने भी हाँ कह दी और उसे कहा- चलो आज आधी रात को आप को शुभकामनाएँ दूंगा।

तभी उसने कहा- सर, हम इतने खास कहाँ कि कोई हमें रात को जागकर विश करे !

मैं आपको नफीसा के बारे में बता दूँ, उसका कद 5 फ़ीट 2 इंच था, जवानी में उसने तभी कदम रखा था, गोरा रंग, लम्बे बाल, बड़ी बड़ी आँखें, संतरे की फांक जैसे होंठ उफ़ बस और क्या कहूँ, बस कमाल थी।

खैर मैं रात के बारह बजने का इंतजार करने लगा और जब मैंने उसे फ़ोन किया तो पाया कि वो जाग रही थी। मेरे विश करने के बाद उसने मुझे थैंक्स कहा और कहने लगी- सर, आपने मुझ जैसी नाचीज़ को ध्यान में रखा, मैं उसके लिए आपकी बहुत शुक्रगुजार हूँ।

खैर उस दिन के बाद से वो किसी न किसी बहाने मुझे फ़ोन करने लगी।

तब कोचिंग के लिए भी केवल एक महीना बचा था, तभी एक दिन बात करते करते मैंने उससे पूछा- क्या किसी ने तुम्हें प्रोपोज नहीं किया?

तो उसने कहा- सर, किया तो बहुत ने पर मैंने किसी को हाँ नहीं कहा।

मैंने कहा- अगर वही मैं आपको कहूँ तो?

उसने कहा- सर अब केवल एक महीना बचा है, एक महीने में क्या हो सकता है।

मैं बोला- एक महीने के लिए ही सही पर मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।

उसने भी कहा- सर, मैं भी आपको बहुत चाहती हूँ।

मैंने कहा- आज से सर नहीं, तुम मुझे बस समीर कहना।

अगले दिन मेरी उम्मीद के मुताबिक वो और लड़कियों से बीस मिनट पहले आ गई।

जैसे ही वो आई तो मुझे देख कर हंसने लगी। मैंने देखा कि उसने हाथों पर मेहँदी लगाई हुई है।

तो मैंने कहा- तुम्हारे हाथ तो बहुत अच्छे लग रहे हैं !

और उसके हाथों को पकड़ लिया और उसके साथ सोफे पर ही बैठ गया।

यह मेरा पहला अनुभव था किसी लड़की के स्पर्श का। मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई।मैंने उसके हाथों को चूमना शुरू कर दिया।

उसने कहा- समीर, यह क्या कर रहे हो?

तुम ही तो कह रही थी कि एक महीने में क्या हो सकता है।

और मैंने उसे अपने गले से लगा लिया, वह भी थोड़ा न-नुकुर करने के बाद मेरे सीने से लग गई।

वाह ! क्या अनुभव था।

मैंने उससे कहा- नफीसा, मैं तुम्हे साड़ी पहने हुए देखना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी यह इच्छा पूरी करोगी?

तो वो बोली- मैं यहाँ साड़ी पहन कर नहीं आ सकती !

तो मैंने कहा- यहाँ पहन कर तो दिखा सकती हो?

तो उसने हामी भर दी और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

वाह क्या अनुभूति थी वो।

तभी मेरी दूसरी छात्रा आ गई और मुझे वहाँ से हटना पड़ा।

दूसरे दिन मैंने नेहा और सरिता को फ़ोन कर दिया कि मेरी तबियत कुछ ख़राब है और बड़ी बेसब्री के साथ नफीसा का इंतजर करने लगा। तभी नफीसा एक बैग लिए आई।

मैंने उसे बताया- आज यहाँ कोई नहीं आएगा, आज हम दोनों ही यहाँ पर हैं।

मेरे पास केवल एक ही कमरा था तो मैंने उसे कहा- अब तुम मुझे साड़ी पहन कर दिखाओ !

तो वो टोयलेट में बदलने के लिए जाने लगी तो मैंने उसे कहा- तुम यहाँ मेरे सामने ही बदल सकती हो। मैं अपने आँखे बंद कर लूँगा !

और वो मान गई।

पर कोई बेवकूफ ही ऐसे मोके पर आँखें बाद करेगा यह तो आप जानते ही हैं।

मैं भी थोड़ी आँखें खोल कर उसे देखने लगा।

पहले उसने साड़ी बैग में से निकाली, फिर अपनी चुन्नी को हटाया।

पहली बार मैंने देखा कि उसके स्तन तो एवेरेस्ट की तरह सीधे खड़े हैं और वो संतरे की तरह हैं।

फिर उसने अपना कुरता निकाला तो मैंने देखा कि उसने काली ब्रा पहनी हुई है। काली जालीदार ब्रा में उसके स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बड़े वाले सफ़ेद रसगुल्ले को किसी ने कपडे में बंद कर रस निचोड़ने के लिए रखा हो।

फिर उसने अपने बालों से रबड़ निकाली और अपने बालों को आगे अपने स्तनों पर फैला दिया। अब भी उसके बालों और काली ब्रा के बीच में से उसके स्तन ऐसे दिख रहे थे मानो सूरज काले बादलों से झांक कर देख रहा हो।

मेरा हाथ भी स्वत: मेरे लिंग को स्पर्श करने लगा। फिर उसने अपना नाड़ा खोला तो मेरी नजर उसनी नाभि पर गई तो मैंने देखा की वो किसी बंगाल की खाड़ी से कम नहीं लग रही थी। फिर जैसे ही उसने अपनी सलवार नीचे सरकानी शुरू की, मेरी साँसे ही रुकने लगी, ऐसा लग रहा था मानो रसमलाई से गोरी लम्बी जांघों से किसी ने पर्दा हटा दिया हो।

मैं चुपके से उसके पीछे पहुँचा और उसकी कमर पर होंठ रख दिए।

“यह क्या कर रहे हो समीर? तुमने तो मुझे साड़ी पहनने के लिए कहा था !”

“प्लीज़ नफीसा ! आज मुझे मत रोको !”

और मैंने उसे अपनी ओर घुमाया उसके बालो को उसके वक्ष से हटाते हुए उसके स्तनों की बीच में अपना मुँह रख दिया।

नफीसा का हाथ मेरे सर पर था और वो मुझे अपने स्तनों के बीच दबा रही थी। फिर मैं बिस्तर पर बैठ गया और उसे अपनी जांघों पर बैठा लिया, उसकी नर्म, गर्म टांगों पर हाथ फेरते हुए मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।

फिर मैंने अपने होंठों से उसकी ब्रा खोली और उसकी पैंटी उतारी उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो मुझसे अलग नहीं हो रही थी।

फिर मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला जो अब आठ इंच का हो गया था। लिंग को देख कर वो बहुत सकपका गई और प्रार्थना करने लगी- प्लीज़ समीर कुछ ऐसा मत करना जिससे हमें बाद में पछ्ताना पड़े।

मैंने उसे दिलासा दिलाई और उसे बिस्तर पर लिटा दिया। फिर मैंने उसके पैर की ऊँगली से लेकर कान के पीछे तक के भाग को अपनी जीभ से स्पर्श किया।

दोनों तरफ आग लग चुकी थी।

मैंने अपने लिंग को निकाल कर उसकी योनि के ऊपर रखा और उसे अंदर की तरफ जोर देकर घुसाने लगा। इस पर नफीसा जोर जोर से चिल्लाने लगी।

मैंने भी उसकी और अपनी परेशानी को समझा और उसकी चूत पर लिंग को रख कर रगड़ने लगा।

15 मिनट रगड़ने के बाद वो और मैं दोनों ही झड़ गए।

फिर उसके बाद जो हुआ वो बाद में।

कृपया मुझे बताये कहानी कैसी लगी !

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category गुरु घण्टाल or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

नफीसा का प्रेम

Comments

Scroll To Top