बारिश में बह गए मैडम के जज्बात-2

(Barish Me Bah Gaye Madam Ke Jajbat-2)

This story is part of a series:

प्रेषक : आदित्य पटेल

पर फिर मैंने तर्क दिया कि जब इतना कुछ हो गया है, आपने मेरा सामान भी हाथ में ले लिया तो गुरु-शिष्य वाली बात तो कब से ख़त्म हो गई, और इसमें बुरा क्या है?

कुछ देर सोचने के बाद मैडम ने मुझे चूमना शुरू कर दिया…

थोड़ी देर बाद मेरे और मैडम के तन पर कपड़े नहीं थे, मैं मैडम के बड़े बड़े दोनों स्तनों को बारी बारी चूस रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैडम मेरे सर पर हाथ फेरते हुए लाड कर रही थी…

फिर मैंने नंगी मैडम के जिस्म को दबोच लिया, वो कराहने लगी।
मैंने अपने होठों को उनके रसीले होठों पर रख दिया और जी भर के उसका रस पान करने लगा। एक हाथ से चूचियों को दबाता, मसलता रहा, दूसरे हाथ से उनके जिस्म को पूरा कस के अपने जिस्म से चिपकाया। हम दोनों हाथ-पाँव मारने लगे।

इस बीच उनके मुंह में जीभ डाल कर मैंने उसे बुरी तरह चूमा। उनके मुँह से ‘आह्ह्ह उफ़… मैं तुम्हारी मैडम हूँ .. यह ग़लत है .. छोड़ दो मुझे ..जग गगग..’ की आवाज निकलने लगी, पर मैं पूरी तरह से उनकी भरी भरी चूचियों को दबाता रहा उनके चुचूकों को ऊँगलियों के बीच लेकर मसलने लगा।

मैडम अब सिसकारियाँ भरने लगी- नहीं.. प्लिज्ज़ ..उईई ईई… धीरे आदि ऊउऊ..

लेकिन अब सब कुछ सामान्य हो गया था।

हम दोनों की सांसें तेज होने लगी। मैंने जम कर मैडम के पूरे बदन को बेतहाशा चूमा.. मेरे होंठ उसके बदन पर फिसलने लगे.. एकदम गोरा और चिकना बदन था। वो दोनों जांघों को सिकोड़े हुए थी.. मेरे हाथ और होंठों के स्पर्श से वो अजीब सी आवाजें निकालने लगी थी।

मेरी ध्यान अब उनके पेट से होते हुए गहरी नाभि पर गया, मैंने वहाँ सहलाया तो उन्होंने सिहर कर अपनी जांघें खोल दी और अब मेरी नजर उनकी चूत पर पड़ी। मैं झूम उठा, एक भी बाल नहीं था, गुलाबी रंग की चूत के बीच में एक लाल रंग का होल दिखाई दिया। यह देख कर मुँह में पानी आ गया।

मैडम के जिस्म को चूमने-सहलाने और दबाने के बाद मैडम का अंग-अंग महकने लगा, उसकी दोनों चूचियाँ कड़ी और बड़ी हो गई, उनके लाल-लाल चुचूक उठ कर खड़े होकर तीर की तरह नुकीले लग रहे थे।

तब मैडम ने मुझसे जोर से लिपट गई। दो बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे मेरी सांस फूलने लगी। हम दोनों तेजी से अपने मकसद की ओर आगे बढ़ने लगे।

दस मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा चूमा-सहलाया। मैडम ने पहली बार शरमाते शरमाते मेरे लण्ड को पकड़ा तो बदन में बिजली सी दौड़ गई।

पहली बार मैंने कहा- मैडम, इसके साथ खेलो ! शरमाओ मत ! अब हम दोनों में शर्म कैसी?

मेरा बदन बहुत ही गरमा चुका था। तब मैंने मैडम को लिटा दिया और उनके ऊपर आकर जोर से चूचियों को फिर से दबाया। पर जब मैंने चूत की तरफ़ देखा तो चूत तो पूरी गीली थी, उसमें से रस निकल रहा था।

मैंने मैडम के पावों को चौड़ा किया तो उनकी फूली हुई गुलाबी चूत पूरी तरह दिखने लगी। मैडम की गुलाबी चूत को देख कर मैंने कहा- मैडम, सच में बहुत ही चिकनी है यह चूत, बिना बाल की गोरी उभरी हुई। दिल कर रहा है इसे खा जाऊँ !

इतना कह कर मैं उनकी चूत पर झुका और चूत के होठों को अपने होठों से चूमने लगा।

मैडम तो जैसे उछल पड़ी। बाहर बरसात की आवाज़ और इधर पूरे कमरे में बस सिसकारियाँ गूंजने लगी- ओह आ आदि… अऽऽऽ ये क्या कर रहे हो… ओह मुझे अजीब सा लग रहा है।

मैं बड़े प्यार से मैडम की चूत को चूसता, चूमता चाटता रहा। वो अपने होठों पर जीभ फ़ेर रही थी और मचल रही थी कि अचानक चिल्लाई- आदी ऽऽ छोड़ मुझे… आहऽऽ मैं मरी…
जोर से कहते हुए मेरा सिर अपनी जांघों में दबा लिया और मेरे बाल खींचने लगी।

मैडम ने आहें भरते हुए जल्दी-जल्दी तीन-चार झटके पूरे जोरों से अपने चूतड़ उठा कर मारे। मैंने फ़िर भी उनको नहीं छोड़ा और अपनी जीभ से उनकी चूत से बहने वाले रस को चाट गया।

वो कह रही थी- अब हट जाओ आदी ! अब सहन नहीं हो रहा ! पता नहीं यह सब क्या हो रहा है? पर जो भी हो रहा है उसमें मुझे बहुत मजा आ रहा है !

मैं मैडम के ऊपर आया तो मैडम ने सिर उठा कर मेरे लौड़े की तरफ़ देखा।

मैंने कहा- इसे आप अपने मुँह में लो !
उन्होंने कहा- आदी ! मैं तो मर जाऊँगी इतने मोटे और लम्बे से ! यह मेरे गले में अटक जाएगा !

बमुश्किल उन्होंने एक मिनट मुँह में रखा होगा और उन्हें हिचकियाँ आने लगी।

फिर मैं चोदने के आसन में आ गया और मैंने मैडम की टांगें चौड़ी की, उनकी गीली चूत को थोड़ा और खोला और अपना लण्ड का सिर उस पूरे अनखिले गुलाब के फ़ूल में रख दिया।

मैडम ने कहा- थोड़ा अन्दर तो करो !
मैंने कहा- अभी करता हूँ।

यह कह कर मैं अपना लौड़ा धीरे धीरे बाहर ही रगड़ने लगा।

मैडम बेचैन हो उठी। वो अपने चूतड़ ऊपर को उठा-उठा कर लौड़े को अपनी चूत में डलवाने की कोशिश कर रही थी। मैं उनको तड़फ़ाते हुए उनकी सारी कोशिशें नाकाम कर दिए जा रहा था।

‘अब डालो ना!’ मैडम बोली।
‘क्या डालूँ… और कहाँ?’ मैंने मैडम से पूछा।
‘अच्छा अब तुम्हें बताना पड़ेगा?’ मैडम तड़फ़ते हुए बोली।

मैडम के मुँह से ऐसा सुन कर मैं हैरान रह गया।

तभी मैडम ने एक ऐसा झटका दिया ऊपर की तरफ़ अपने चूतड़ों को कि एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लौड़ा मैडम की चूत की गहराई में उतर गया।

मैडम के मुख से निकला- आह हय ! मार दिया !
एक दर्द मिश्रित आनन्द भरी चीख!

अब मैं मैडम के ऊपर गिर सा गया और उनको हिलने का मौका ना देकर उनके होंट अपने होंटों से बंद कर दिये और अपने चूतड़ ऊपर उठा कर एक जोर का धक्का मारा तो मैडम फ़िर तड़प गई।

इसके बाद तो बस आऽऽह… आऽऽह.. आऽऽह… आऽऽह… धीरे… आऽऽह… आऽऽह…आऽऽह… रुक जरा… हाँ… आऽऽह… आऽऽह… आऽऽह्… जोर से… आऽऽह… आऽऽह… आऽऽह… ह्म्म… हाँऽऽअः
हम दोनों की एक जैसी आवाजें निकल रही थी। काफ़ी देर ऐसे ही चलता रहा।

बीच बीच में मैडम बड़बड़ाती रही- मज़ा आ रहा है ! करते रहो ! चूसो !

मैडम की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और मेरा लौड़ा बड़े आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था। मैडम भी अपने चूतड़ उठा उठा कर सहयोग कर रही थी। वो मदहोश हुई जा रही थी। उनके आनन्द का कोई पारावार ना था। हालाँकि उनको उस दौरान रक्त भी निकल रहा था पर इस रसिक-आनन्द के दौरान उन्हें कुछ पता नहीं चल रहा था और मैं यह बात उन्हें बताना लाजमी नहीं समझ रहा था।

अब मैं चरमोत्कर्ष तक पहुँचने वाला था और मैंने पूरे जोर से आखिरी धक्का दिया तो मेरा लण्ड मैडम के गर्भाशय तक पहुँच गया शायद और वो चीख पड़ी- मार डालेगा क्या?

मेरे मुँह से निकला- बस हो गया ! मेरा लन्ड मैडम की चूत में पिचकारियाँ मार रहा था। मैडम भी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी। फ़िर कुछ रुक रुक कर हल्के हल्के झटके मार कर मैं मैडम के ऊपर ही लेटा रहा। हम दोनों अर्धमूर्छित से पड़े रहे काफ़ी देर।

थोड़ी देर बाद उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था। उनके लबों पर बहुत हल्की सी मुस्कान भी दिख रही थी। मैं धीरे से उठा और अपने आपको रुमाल निकाल कर साफ़ किया।

मैंने मैडम की तरफ देखा तो वो अभी भी लेटी हुई थी और उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे…

मैंने पूछा- क्या हुआ मैडम? आप रो किसलिए रहे हो?

हालाँकि तब तक उनको खून बहने का अहसास नहीं था…

उन्होंने कहा- आदी, मैंने कसम खा रखी थी कि मैं सहवास सबसे पहले अपने पति से शादी की सुहागरात के दिन ही प्राप्त करुँगी उससे पहले कभी नहीं…पर पता नहीं आज मुझे ऐसा क्या हो गया?

और वो और जोर-जोर से फफक-फफक कर रोने लगी जैसे उनकी पूरी दुनिया ही लुट गई है!

सच में इसके बाद मुझे खुद भी अच्छा नहीं लग रहा था पर तब तक मैं बेशर्मों की तरह अपने सारे कपड़े पहन चुका था…

मैंने मैडम की चूत साफ़ करने की कोशिश तो उन्होंने हट जाने को कहा और कहा- मैं कर लूँगी ! मुझे अपना रुमाल दे दो !

इसी बीच उन्होंने अपना खून निकलते हुए देख लिया और फिर रोने लगी, रोते-रोते वो कहने लगी- आदी, यह तो होना ही था ! आज नहीं तो कभी न कभी मेरा शील भंग होता ही…

उसके बाद उन्होंने डेस्क साफ़ किए और मैंने उन्हें वापिस सही जगह रखने में उनकी मदद की।
फिर मैं अपनी जगह और वो अपनी जगह बैठ गई और समझने लगी कि जो हुआ, इसके बारे में हम कभी आगे से बात नहीं करेंगे और न ही तुम कभी इसके बारे में किसी को बताओगे।

दो मिनट हम दोनों ऐसे ही चुप रहे, बाहर पानी की बूंदों के साथ मैडम के आँखों से निरंतर पानी की धाराएँ चालू थी…

फिर उन्होंने आँखें साफ़ की और स्टाफ रूम की तरफ जाने लगी, कुछ दूर लंगड़ाने के बाद उन्होंने अपने आपको संभाला और तेज बरसात में आगे बढ़ती रही। स्टाफ रूम में अपने सामान को रखने के बाद वो उसी मंद-मंद चाल से बस स्टैंड की तरफ जाने लगी।

एक मैडम ने उन्हें आवाज दी कि इतनी तेज बारिश में कहा जा रही हो मैडम? थोड़ा रुक जाओ !

इस बात को अनसुना करते हुए वो अपने पाँव निरंतर बारिश की तेज धारा में रखते हुए बस स्टैंड की तरफ जा रही थी, मैं कक्षा के दरवाजे से उनको एकटक देख रहा था, उनकी आँखों में जो पानी था उससे पता नहीं चल रहा था कि वो पानी है या आँसू…

अगले दो दिनों तक वो स्कूल नहीं आई, मुझे लगा शायद कुछ हुआ होगा। मैं डरने लगा, स्टाफ में पता किया तो पता चला कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है।

तीसरे दिन वो स्कूल आई तो वही तुनक मिजाज और मेरे साथ भी वही पुराना बर्ताव जैसे बीते हुए इन तीन दिनों में किसी प्रकार की कोई हलचल नहीं हुई हो…

हालाँकि मैं बहुत खुश था…

उस दिन से ठीक अट्ठारहवें दिन मैडम ने अपना तबादला जिला मुख्यालय पर करवा लिया, पूरा स्कूल सकते में था, हर कोई मैडम के इस फ़ैसले से हैरान था, किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था, सब अपने अपने मन के कयास लगाये जा रहे थे, पर मुझे पता था कि मैडम ने ऐसा क्यों किया…

शायद मेरे अच्छे भविष्य के लिए या फिर बाद में कभी आने वाली किसी मुसीबत से बचने के लिए…

बाद में कभी एकाध बार मैंने मैडम को बस में कहीं आते-जाते हुए देखा पर उन्होंने कभी मुझसे बात नहीं की।

मैंने बारहवीं की परीक्षा पास की और स्नातक की पढ़ाई पत्राचार से की।

इस दौरान मैंने आज तक पिछले सात सालों में किसी लड़की को हाथ तक नहीं लगाया। मेरी पहली चुदाई इतनी जल्दी और इतनी बढ़िया तरीके से हुई पर इसके बाद में बस हाथ से हिलाता रह गया…

दोस्तो, आज मैं खंडवा में हूँ, एक अच्छी कम्पनी में नौकरी कर रहा हूँ, बीते दिनों मैडम मुझे खंडवा के बॉम्बे बाजार में मिल गई। मैंने उन्हें देखा, पहचाना और उनका पीछा किया तो पता चला वो यहीं पर एक सरकारी स्कूल में ग्यारहवीं और बार्हवीं कक्षा को अंग्रेज़ी पढ़ाती हैं, उन्होंने अभी तक शादी नहीं की है… पता नहीं वो क्या करना चाहती हैं… और क्यों अपने आपको बुरा मानकर दोषी ठहरा रही है… जबकि उनके इस कृत्य में मैं भी तो बराबर का जिमेदार हूँ।

मैडम ! मैं जानता हूँ कि आप यह अन्तर्वासना वेबसाइट नहीं पढ़ती होंगी पर अगर किसी तरह आप तक यह सन्देश पहुँच जाए कि अगर आप कोई प्रायश्चित कर रही हैं तो इसमें मुझे भी बराबर का भागीदार बनाएँ !

और दोस्तो, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या मुझे मैडम से बात करना चाहिए या नहीं? या फिर उनको अपनी दुनिया में खुश रहने देना चाहिए?

कृपया मुझे कुछ सुझाव अवश्य दें !
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top