गाँव की नेहा की चूत से नेह-2

(Gaanv Ki Neha Ki Choot Se Neh-2)

This story is part of a series:

मेरा वो हसीं सपना वहीं टूट गया।

मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर कुछ बोला नहीं।

मैं उठने के बाद फ्रेश होकर नहाने के लिये बाथरूम में गया।
मैंने आज पहली बार उसके नाम की मुट्ठ मारी थी और मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति हुई।

फिर में नाश्ता करके कॉलेज में चला गया।
वहाँ पूरे दिन मेरा मन नहीं लगा, फिर मैं कॉलेज से घर आकर 8 बजने का इंतज़ार करने लगा।

आखिर 8 बज गए ओर मैं फिर से नेहा के घर चला गया।

मैंने वहा जाकर जो देखा मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि नेहा उसी टॉप में थी जिसमें मुझे वो सपने में दिखाई दी थी।

अब मैंने ॠतु से कल का काम दिखाने को कहा जो उसने पूरा कर रखा था।

फिर कुछ देर बाद ॠतु टॉयलेट जाने लगी तो मैंने उसे एक गिलास पानी लाने को भी बोल दिया।

ॠतु के जाते ही मैंने और नेहा ने एक जोरदार चुम्बन किया, मैंने नेहा को रात के सपने के बारे में बताया।

फिर मैंने उसे कहा- मैं तेरे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।

उसने पहले तो मना किया लेकिन बाद में उसने हाँ कर दी।

इतने में ही ॠतु आ गई और हमने बातें बंद कर दी।

अब हम दोनों मौके की तलाश करने लगे और एक दिन हमें रात को मौका मिल ही गया।

नेहा ने रात को एक बजे मेरे पास अपने भाई के नंबर से काल की जिसे मैंने दो बार तो अनजान नम्बर समझ कर काट दिया।

जब थोड़ी देर बाद फिर से काल आई तो मुझे वो नंबर नींद में होने की वजह से अपने दोस्त का लगा और मैंने कॉल रिसीव करते ही बोला- मादरचोद तेरी गांड में चुल रहवे के… 24 घंटे जब चहावे तभी कॉल कर दे तू!

उधर से कोई जवाब मिले बिना ही फोन कट गया।

फिर सुबह के 2 बजे काल आई, फिर मैंने कॉल रिसीव करके बोला- ..हेलो?

उधर से आवाज़ आई- मैं नेहा बोल रही हूँ, अपना दरवाज़ा खोलो।

इतना सुनते ही मेरी नींद गायब हो गई और मैंने अपना दरवाज़ा खोला, वो अंदर आ गई।

उसने मेरे गाल पर एक प्यारा सा चांटा मारा, बोली- ऐसे ही करते है फ़ोन पर बातें?

मैं बोला- जानू, मैंने सोचा कि मेरा दोस्त है कोई।

फिर मैंने इतना कहते ही उसको होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शूरू कर दिया।
वो भी मेरा साथ देने लगी।

कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ नेहा के मुँह में डाल दी और वो होंठों से उसे चूसने लगी।

मैं एक हाथ से उसके गोल मम्मे दबा रहा था जो उत्त्तेजना के कारण और भी सख्त हो गए थे।

फिर मैंने उसके चूचों को ऊपर से ही चूसना शुरु कर दिया और एक हाथ से उसका दूसरा मुम्मा भींच रहा था।

अब मैं उसका टॉप उतार कर उसके मुम्मे चूसने लग गया।

मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी।

कसम से यार… क्या मम्मे थे… एकदम रूई जैसे और उनके ऊपर गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे मानो मिल्क केक पर स्ट्राबेरी रक्खी हो।

मैं तो उन्हें पागलों की तरह चूसे जा रहा था और नेहा भी तेज़ सिसकारियाँ भर रही थी।

उसके चूचे एक मिनी फुटबॉल की तरह सख्त हो गए थे, लगभग उन्हें 10 मिनट तक चूसता रहा मैं, उनमें से अब एक स्वादहीन दूध निकलने लगा था जिसे मैं बड़े शौक से पी रहा था।

नेहा तो मानो सातवें आसमान पर थी।
वो मेरे सर को पकड़ कर अपने चूचों पर जोर जोर से दबा रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी।

फिर मैं जैसे ही उसकी नाभि का पास पहुँचा तो वो बैठने की नाकाम कोशिश करने लगी।

पर बैठ न सकी..

मैंने उसकी नाभि के चारों तरफ चुम्बन की झड़ी लगा दी।

नेहा तो आँखें बंद करके लेटी हुई थी, उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, जिसकी वजह से उसके नाख़ून मेरी गर्दन के पीछे गड़ गए।

फिर मैंने उसकी पजामी भी उतार फेंकी, बस अब वो मेरे सामने नीले रंग की पैंटी में थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
मैं उसके पेट और कमर को चूमता रहा, एक हाथ से मैं उसके मम्मे सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत को।

उसकी पैंटी भी काफी गीली हो गई थी।

मैं उसकी पैंटी उतारने ही लगा तो उसने अपनी टांगें सिकोड़ ली, बोली- ये सब गलत है… कुछ गलत हो गया तो मैं समाज को मुँह दिखने लायक नहीं रहूँगी।

मैंने उसे बहुत समझाया और वो मान गई।
मैंने जैसे ही उसकी पैंटी उतारी तो मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गए।
उसकी गुलाबी रंग की चूत पर हल्के रोयें थे, मैं अपने मुँह को उसकी चूत के पास ले गया।

क्या गज़ब की खुशबू आ रही थी।

जैसे ही मैंने उसकी चूत पर जीभ लगाई वो तो एकदम कांप गई और उसकी चूत से कामरस की धारा फ़ूट पड़ी।

उसकी सिसकारियाँ अब मादक आवाज में बदलने लगी थी- आह्ह्ह्ह… उम्मम्मम्मीईईई… ऊह्ह्हूओ तेज़ करो… मेरी जान ! आअह्हह… उम्मनम्म्म… म्म…

मैंने उसकी चूत से निकले सारे रस को पी लिया।
अब मैंने अपना लण्ड नेहा के मुख के पास ले जाकर कहा-‘चूसो इसे!

उसने पहले तो मना कर दिया पर उत्तेजना के वशीभूत होकर वो मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी।

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।

अब नेहा भी मेरे लौड़े को उतनी ही तेज़ी से चूस रही थी जितनी तेज़ी से मैं उसकी चूत को चूस रहा था।

अब मेरा वीर्य निकलने वाला था, मैंने नेहा को जोर से चूसने को बोला और मैं भी उसकी चूत और जोर से चाटने लगा।

कुछ ही पलों में हम दोनों साथ ही झड़ गए।

नेहा ने मेरा एक एक बून्द वीर्य जीभ से चाट लिया और मैं भी उसका सारा रस पी गया, जो कुछ नमकीन से स्वाद का था।

अब हम दोनों ने पोजीशन बदली और फिर एक दूसरे के होंठों को चूमने लग गए।

मेरी सच्ची कहानी आपको कैसी लग रही है और आपने इसका कितना लुत्फ़ उठाया, मुझे जरूर बताईयेगा।

कहानी जारी रहेगी।
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