फेसबुक पर मिली आराधना-1

गौरव12 2015-02-26 Comments

Facebook Par Mili Aaradhna-1

दोस्तो, मेरा नाम गौरव है। मैं आप सबको अपने साथ हुआ एक खूबसूरत सा वाकिया सुनाना चाहता हूँ..

पर मेरी जान आराधना उसे अपने शब्दों में सुनाना चाहती है.. तो उसी के शब्दों में इस घटना को सुनिए।

मेरा नाम आराधना है.. मैं अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ।

अभी कुछ ही दिनों पहले मेरे साथ एक खूबसूरत घटना घटी जो मैं आप सबको सुनाना चाहती हूँ।

पहले मैं अपने बारे में बताना चाहती हूँ.. मैं एक खुले विचारों वाली लड़की हूँ.. पर तब तक मैं कभी चुदी नहीं थी।

मेरा फिगर 33-29-35 का है कॉलेज में बहुत बार लड़कों ने मुझे पटाना चाहा.. पर मैंने किसी को लाइन नहीं दी।

मैं अक्सर फ़ेसबुक पर सेक्स चैट किया करती थी.. इससे मेरी चूत की प्यास काबू में रहती थी।

फिर एक दिन मेरी बात गौरव से हुई.. वो मुझे बहुत अच्छा लगा।
वो अक्सर मुझसे बातें ज्यादा करता था और उसकी कामुक बातों से मैं अपनी चूत में ऊँगली करके झड़ जाती थी..
मुझे ये सब बहुत पसन्द आ गया था और मैं भी रोज उससे रात में देर तक बातें करती थी।

एक दिन उसने मुझसे मेरा फ़ोन नम्बर माँगा।

मैंने शुरू में ही साफ़ कर दिया था कि मैं कुछ भी नहीं देने वाली.. मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।

उसने ज़ोर दिया तो मैंने गुस्से में उससे बात करना बंद कर दिया.. पर इससे पहले उसने मुझे अपना नम्बर दे दिया था।
करीब एक हफ्ते बात ना करने पर मुझे उसकी कमी महसूस होने लगी.. फिर एक रात मैंने उसे कॉल किया।

मैं- हैलो..!

गौरव- हैलो कौन?

मैं- पहचानो कौन?

गौरव- देखिए आपकी आवाज़ प्यारी है.. पर पहली बार सुना है इसलिए मैं नहीं जानता कि आप कौन हैं.. आप अपना नाम बता दीजिए.. मैं कोशिश करूँगा…

मैं- मैं तुम्हें कुछ दिनों पहले मिली थी फ़ेसबुक पर.. अब तो पहचानो…

गौरव- प्लीज़ ‘ना’ मत कहना.. तुम आराधना हो ना?

मेरे होंठों पर ख़ुशी छा गई.. मुझे उस पर बहुत प्यार आया…

मैं- हाँ गौरव.. आराधना नहीं.. तुम्हारी आराधना…

गौरव- मगर मेरी आराधना मुझे इस तरह से छोड़ कर नहीं जाती…

मैं- यार प्लीज़ भूल जाओ सब.. अब तो मैं आ गई ना…

गौरव- अब छोड़ कर मत जाना…

फिर उस दिन से हम दोनों दोबारा बात करने लगे.. हम दोनों कभी फ़ेसबुक पर कभी फ़ोन पर बात करते थे।

वो हर रात मेरी चूत से पानी निकलवा देता था.. मैं उसे पसन्द करने लगी थी।

एक दिन गौरव ने कहा कि वो मेरे शहर यानी दिल्ली आने वाला है.. उसने मुझसे मिलने को कहा।

मैं डर गई कि कहीं उसने मेरे साथ ऐसा-वैसा कर दिया तो..

फिर मैंने सोचा कि मैं उसे ही तो पसन्द करती हूँ.. सो मैंने ‘हाँ’ कर दी।

कुछ दिनों बाद वो दिल्ली आ गया.. मैं उसे स्टेशन पर लेने गई।

उसने अपनी तस्वीर दिखा दी थी इसलिए पहचानने में परेशानी नहीं हुई।
फिर वहाँ से हम दोनों होटल गए क्योंकि मैं उसे अपने कमरे पर नहीं ले जा सकती थी ना…

मैंने सलवार सूट पहना था और हम दोनों ऐसे लग रहे थे.. जैसे मियाँ-बीवी हों।

रिसेप्शन से चाबी लेकर हम कमरे में गए।
कमरे में जाने के बाद उसने अपना सामान एक तरफ रखा।

मैं बिस्तर पर बैठ गई.. वो सोफे पर से मुझे एकटक देख रहा था.. पर उसकी नज़रों में हवस नहीं थी.. प्यार था…

मैं शरमा गई.. वो मेरे पास आया और मेरे चेहरे को उठा कर देखा और बोला- बहुत खूबसूरत हो यार तुम…

मैंने कहा- तुम भी कुछ कम नहीं हो…
मैंने इतराते हुए उसके पेट पर अपनी कोहनी मारी और उठ कर भागने लगी।
मैं चाहती थी कि वो मुझे पकड़ ले और मुझे प्यार करे और वैसा ही हुआ।

उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया।
वो धीरे-धीरे मेरे पास आने लगा..
मेरी साँसें तेज़ होने लगीं।

वो अपने होंठों को मेरे होंठों के करीब लाया..
फिर ना जाने क्या सोचा और गाल पर हल्के से चुम्बन करके हट गया।

मैंने सोचा कि क्या हुआ इसे..

फिर उसने मुझसे कहा- मुझे कुछ काम है…

मैं चुप होकर बैठ गई।

वो नहाया और मुझसे कहा- तुम अभी घर जाओ.. शाम को हम साथ में खाना खायेंगे और आज रात हम साथ रहेंगे।

मैं बहुत खुश थी।

आख़िर शाम हो गई और हम खाना खा कर होटल वापस पहुँचे।

होटल में आते ही मैंने उसे गले लगा लिया।

गौरव मुझे चूमते हुए बोला- जानू.. आज तो रात हमारी है.. इतनी जल्दी क्या है?

मैं- मुझसे नहीं रहा जा रहा।

गौरव ने अपना सामान फेंका और मुझे गोद में उठा लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।

मैंने अपने पैर उसकी कमर पर रख दिए.. उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और प्यार से मेरे बालों को सहलाने लगा।

मैं उसे देख कर शर्मा रही थी.. वो मुझे फिर से चूमने लगा।

सच कहूँ तो वो मुझे चोद नहीं रहा था बल्कि प्यार कर रहा था।

धीरे-धीरे मुझे उसका लंड अपनी चूत पर महसूस हुआ.. वो कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूत पर लंड रगड़ रहा था।

मैं तो बताना भूल ही गई.. अब मैं जीन्स और टी-शर्ट में थी… धीरे-धीरे वो मेरे गले पर चूमने लगा।

मैं- उम्म्म… गौरव तुम बहुत प्यारे हो.. आज सारी रात मुझे प्यार करो…

गौरव- हाँ आराधना.. आज तुम्हें पूरी तरह से अपना बना लूँगा।

इतना कह कर उसने अचानक मेरे संतरों पर हाथ रखा.. वो धीरे-धीरे सहलाया.. वो जानता था कि मुझे तूफ़ानी चुदाई पसन्द है.. पर वो मुझे आज अपना प्यार दिखाना चाहता था।

अब वो मेरे होंठ चूस रहा था और मम्मे दबा रहा था।

गौरव- आराधना मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ।

मैंने अपने हाथ ऊपर करके उसे टी-शर्ट निकालने का इशारा किया.. उसने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया।

मेरे गोरे-गोरे और फूले हुए कबूतर.. जो अब और भी ज़्यादा बड़े हो गए थे.. को देख कर वो जैसे पागल हो गया।

उसने मेरी टी-शर्ट एक तरफ फेंक दी और मेरी छाती पर अपने होंठ रगड़ने लगा।

मैं- आआआअहह.. आराम से मेरे जानू…

गौरव पागलों की तरह मुझे रगड़ने लगा था.. कभी मेरी छाती.. कभी होंठ.. कभी ब्रा के ऊपर से ही मेरे निप्पल.. लगातार रगड़े और मसले जा रहा था।

अब उसने मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे कबूतरों को एक हाथ से दबाने लगा और दूसरे मम्मे को चूसने लगा।

मैंने अपनी जीन्स का बटन खोल कर हाथ अन्दर कर लिया और अपनी चूत सहलाने लगी।

उसने ये देखा तो बोला- जानू ये काम तुम्हारा नहीं.. मेरा है…

वो उठ कर अपने कपड़े खोले और लंड मेरे हाथ में दे दिया।

अब सीन ये था कि उसका एक हाथ मेरे मम्मे पे.. एक मेरी चूत पे.. उसके होंठ मेरी दूसरी चूची पर.. और मेरे हाथ में उसका लंड था।

गौरव- जानू अब अपना पसंदीदा काम शुरू करो…

मैं समझ चुकी थी कि अब मुझे उसका लंड चूसना है।

मैं- हाँ जानू.. मैं तो कब से इसी पल का इन्तजार कर रही थी।

मैंने उसके लंड को हाथ में लिया और उसके सुपारे को चूम लिया। उसने ‘आह’ किया.. फिर उसके लंड को हर तरफ से चूमने लगी।

गौरव- आह जानू.. तुम सच में कमाल का चूसती हो…

मैं- अभी चूसा कहाँ है गौरव.. अभी तो बस चूम रही हूँ…

गौरव बीच-बीच में मेरे मम्मे दबा देता था।
अब मैंने उसके लंड पर दस-बीस बार मुठ मारा और फिर धीरे से मुँह में ले लिया।
गौरव का लंड ज्यादा मोटा नहीं था.. पर लंबा था।
वो मैंने धीरे-धीरे करके पूरा मुँह में ले लिया।
बीच-बीच में लंड निकाल कर अपने गालों पर मारती थी।
तब वो मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपनी और खींचता और ज़ोर से होंठ पर चूमता।

अब वो मेरे मुँह में लंड पेलने लगा.. उसका पूरा लंड मेरे गले में आने लगा.. मेरी सांस अटकने लगी।

तो मैंने उससे कहा- गौरव रूको.. तुम्हें पता है मैं ये अच्छा कर सकती हूँ.. तो मुझे करने दो.. तुम बस मज़े लो…

गौरव- हाँ.. जान जैसा तुम बोलो.. उम्म्माअहह…

मैंने उसके लंड को मुँह में लेकर गालों की दीवार से दोनों तरफ रगड़ना शुरू किया।

गौरव- वाह मेरी जान वाह.. उम्म्माहह..

मैं- हा हा हा.. मैंने कहा था ना.. मज़े लो…

गौरव- हाँ जान.. और मज़े दो…

अब मैं उसके टट्टों को मुँह में लेकर चूसने लगी।
वो भी झड़ ही नहीं रहा था.. मुझे लगा आज रात लंबी चुदाई होगी…

गौरव के चुदाई के पहले के पल अभी जारी हैं।

आप अपने ईमेल लिखने के लिए आमंत्रित हैं।

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