काम की चाह-3

(Kaam Ki Chah- Part 3)

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दूसरे दिन मेरा पूरा बदन दर्द हो रहा था मेरे पूरे बदन पर लाल लाल निशान थे जो आनन्द के काटने से बने थे। मैं रात की बात याद करके शर्म से लाल हो गई।

तभी मेरी माँ ने कहा- श्रद्धा, आज आनन्द चाय पीने के लिए नहीं आए, जा बुला ला!

मैं गई तो देखा कि आनन्द नंगे सो रहे थे, उनका काला लंड जो रात मैं खम्बे की तरह खड़ा था, वो भी सो रहा था।

मैंने उनके लंड पर हाथ फिराते हुए प्यार से आनन्द से कहा- स्वामीजी, उठिए माताजी बुला रही हैं।

आनन्द ने अपनी आँखें खोली और मुझ को देख कर मेरा हाथ पकड़ के अपने ऊपर खींच लिया और अपने साथ लिपटा लिया। मैंने आज लाल साड़ी पहनी हुई थी, ब्रा पेंटी मैं पहन नहीं सकती थी, आनन्द ने कल निप्पल को चूस के इतना लाल कर दिया था कि थोड़ा दर्द अब भी था, और चूत अब भी ऐसे लग रही थी जैसे आनन्द का लंड अभी भी चूत में हो!

उन्होंने मेरे पतले होंठ अपने होंठों में दबा लिए और हल्के हल्के चूसने लगे, पैर से साड़ी को कमर तक ऊपर उठा कर खेलने लगे जाँघ से… दोनों हाथ मेरे बदन के नीचे सरका के धीरे धीरे चूचियों को सहला रहे थे। मैं थोड़ा दर्द महसूस कर रही थी लेकिन आनन्द के मालिश करने के अंदाज़ से वो दर्द भी मीठा लगने लगा था।

आनन्द ने मेरे होंठ छोड़े और कहा- मेरी जान, तुम बहुत प्यारी हो, मेरे दिल करता है इन नशीली आँखों में डूब जाऊँ।

उनका हाथ मेरे बदन से शरारत करता जा रहा था, मैंने अपनी कोहनी आनन्द की छाती पर लगा कर सिर ऊपर उठा लिया और जीभ फेर के आनन्द के चेहरे को चाटने लगी, वो मेरे उरोजों से खेल रहे थे, धीरे धीरे हो रहे स्तन के मर्दन से मेरी आँखों में नशा छा रहा था।

फिर आनन्द ने मेरी गान्ड पे थपकी मारते हुए गान्ड को मसलना चालू किया, मेरी चूत की गर्मी से लंड भी तन रहा था।

आनन्द के हाथों का स्पर्श मेरे बदन को मदहोश कर रहा था, उन्होंने फिर मुझे कमर से जकड़ लिया मेरी पीठ, कूल्हों को मसलने लगे। और जीभ मेरी वक्ष घाटी में डाल दी, फिर ब्लाउज़ नीचे सरका कर बोबे आज़ाद कर के निप्पल पर जीभ गोल गोल फिराने लगे।

उन्होंने तभी मेरी गान्ड के छेद को ढूँढ लिया और ऊँगली घुमाने लगे उसमें! अचानक के इस हमले से मेरी गान्ड ऊपर को उठ गई और आनन्द ने उसका फ़ायदा उठाते पूरा स्तन मुँह में ले लिया, ऐसे चूस रहे थे जैसे खा जाएँगे।

अब उनका लंड खंभे जैसे हो गया था जो मेरी बिना पेंटी की चूत को महसूस हो रहा था, मैं भी अब चूत को लंड पर दबा रही थी, कमर गोल गोल घुमा कर लंड पर चूत को मसल रही थी, अब साड़ी भी मेरे बदन को अच्छी नहीं लग रही थी।

आनन्द ने जैसे मेरी बात को भाँप लिया और झटके से मेरी साड़ी निकाल कर मुझे नंगी कर दिया। मेरे नंगे बदन को देख आनन्द पागल हो उठे और उन्होंने मेरे बदन को नोचना शुरू किया, मैं भी उनका साथ दे रही थी।

आनन्द ने मेरे नीचे लेटे ही अपनी टाँगे खोल दी और मुझे जगह दी ताकि मैं चूत को लंड पर सही से ला सकूँ।

मैंने भी देर ना करते हुए चूत को लंड पर दबा दिया। आनन्द ने अपनी टांगें मेरी गान्ड पर कस ली और नीचे से लंड हिला हिला कर चूत पर लंड की मालिश करने लगे। फिर अचानक से एक ऊँगली मेरी गान्ड में घुसेड़ दी।

मैं चीख पड़ी और जैसे वो ऊँगली को गोल गोल घुमाने लगे, खुशी के मारे मैं चहकने लगी, बहुत मज़ा आ रहा था मुझे!

फिर आनन्द ने मेरी टाँगें चौड़ी कर ली और मुझे कहा- मेरे लंड पर बैठ जाओ!

उन्होंने अपने हाथ से लंड को ऊपर की ओर पकड़ के रखा और मैंने कूद कर चूत लंड पर टिका दी, खच से आधा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ चूत में घुस गया।

मैं जैसे ही रुकी, आनन्द ने मेरी कमर को पकड़ के कस के धक्का मार के पूरा लंड चूत में घुसेड़ दिया और झट से ऊँगली फिर से गान्ड में घुसा दी। मेरे दोनों छेदों में जैसे लंड हो, ऐसा लगने लगा।

आनन्द ने कहा- अब तुम मेरे लंड पर अपनी चूत को पटक कर मुझे चोदो!

मैंने मेरे दोनों हाथ आनन्द के कंधे पर रख दिए और गान्ड उठा कर चोदने लगी, जैसे मेरी गान्ड नीचे आती आनन्द की ऊँगली गान्ड में भी घुस जाती थी। मुझे दोहरी चुदाई का मज़ा मिल रहा था, मैं कस कस के आनन्द को चोद रही थी, मेरे उछलते बोबे वो दबा रहे थे और सिर उठा के चूम चाट रहे थे, आनन्द नीचे से लंड के धक्के मार रहे थे चूत में… मैं ऊपर से कूद के चूत पटक रही थी, पूरा लंड चूत में बच्चेदानी तक घुस जाता था और मेरे अंदर की आग को तेज करता था। मैं आनन्द के कंधे को दबा के कमर को गोल गोल घुमाते चूत से लंड को नोच रही थी, उहह आअहह की आवाज़ें निकल रही थी मेरे मुँह से! मेरी गान्ड और चूत एक साथ चुद रही थी।

तभी आनन्द ने मुझे कमर से पकड़ लिया और बैठ गये अब मैं उनकी टाँगों पर सवार थी, उन्होंने मेरी कमर को पकड़ कर खुद अपने बदन से झटके मारने लगे बैठे बैठे, तेज धक्के मार के मुझे चोदने लगे, झुक कर मेरे चूचे चूसते थे, गले को चूमते थे, गान्ड सहला कर कस के चूत में लंड के धक्के मार रहे थे। मैं भी अपनी ओर से कस के सामने धक्के मार रही थी और चूत पटक रही थी लंड पर!

मेरे ऐसा करने से आनन्द और ज़ोर से पीछे की और धक्का मारते थे, हम दोनों लण्ड चूत को एक दूसरे के साथ पटक रहे थे इससे चुदने का मज़ा दुगना हो रहा था।

और फिर हम दोनों का पानी छूट गया, आनन्द ने कहा- मेरी रंडी जान, यह सुबह का नाश्ता कैसा लगा?

ऐसा बोलते हुए मेरे पतले होंठों को चूस रहे थे और हाथ फेर रहे थे मेरे नंगे बदन पर। मैंने कहा- जानू, बहुत अच्छा लगा, मेरी चूत भर गई!

फिर मैंने कहा- अब मुझे छोड़ो, सब इंतजार कर रहे होंगे!

तो आनन्द ने मुझे छोड़ दिया मैं जल्दी से उनके कमरे से निकल कर घर आ गई।थोड़ी देर बाद आनन्द फ्रेश होकर आ गये, रात भर जागने की वजह से उनकी आँखे लाल हो रही थी, मेरे पापा ने पूछा- आनन्द, तबीयत तो ठीक है?

आनन्द ने कहा- हाँ रात को बोर हो रहा था, इस लिए मूवी देखते हुए लेट सोया था।

मेरे पापा ने कहा- अगर रिश्ते में शादी ना होती तो मैं तुम्हें अपनी बगिया में ले चलता! वहाँ एक कमरा है, खेत को पानी देने के लिए ट्यूब वेल भी है, वैसे अगर तुम जाना चाहो तो श्रद्धा के साथ चले जाओ।

मेरे पापा ने जैसे ही यह बात कही, आनन्द का चेहरा खुशी से खिल गया, आनन्द ने मेरे पापा से कहा- हाँ, यह ठीक रहेगा! मैं भी आपकी बगिया देख लूँगा।

फिर पापा ने मुझ को बुला कर कहा- आनन्द को अपनी बगिया घुमा लाओ।
मैंने अदब से कहा- ठीक है पापा!
आनन्द ने मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा- मैं तैयार होकर आता हूँ!

हमारे बाग गाँव से 15 किलोमीटर दूर जंगल में हैं, वहाँ पर हमारा नौकर रहा करता था लेकिन शादी की वजह से वो भी यहीं घर पर रहता था, यानि बाग में कोई नहीं था।

आनन्द के मुस्कराने का मतलब मैं समझ गई थी, अब आगे क्या होने वाला है यह भी समझ चुकी थी! वहाँ कोई ना होने का मतलब आनन्द मुझ को जंगल में चोदने वाले हैं।

आनन्द का लंड मेरा क्या हाल करेगा, यह सोच कर मेरा दिल कांप भी रहा था, और झूम भी रहा था।

थोड़ी देर बाद आनन्द ने मुझ को अपने घर से आवाज़ दी, मैं उनके पास गई तो वो बोले- सिर्फ़ साड़ी बाँध लो, अंदर कुछ भी मत पहनना! आज जंगल में तेरी चूत का मंगल कर दूँगा!

मैंने कुछ कहना चाहा लेकिन यह सोच कर कि अब तो ये मेरे बदन के दूसरे मालिक हैं, इनसे क्या परदा, मैंने कहा- अगर तुम कहो तो नंगी ही चली चलूं?

तो आनन्द ने कहा- तुम्हारी यह ख्वाहिश रात को आते वक़्त पूरी कर दूँगा।

मैं शरमा कर अपने घर आ गई और आनन्द के कहने के मुताबिक अपने पूरे कपड़े उतार दिए एकदम नंगी हो गई और सिर्फ़ साड़ी बाँध कर तैयार हो गई।

थोड़ी देर बाद आनन्द के साथ मोटरसाइकल पर बैठ हम दोनों जंगल की तरफ रवाना हो गये।

मोटर साइकिल पर मैं आनन्द से चिपक कर बैठी थी। मेरे बदन पर साड़ी के अलावा कुछ ना होने की वजह से मेरे बोबे आनन्द की लोहे जैसी पीठ पर दब रहे थे और रास्ते के खड्डे के साथ उछलती मोटर साइकिल के साथ उनकी पीठ पर रगड़ खा रहे थे।

बगिया में जाकर आनन्द के काले और बड़े लंड से चुदना है, इस लिए वैसे भी चूत गीली हो रही थी और मोटर साइकिल की इस मस्ती ने मेरी चूत को और गर्म कर दिया। मेरा मन कर रहा था कि वहाँ पहुँचते ही वो मुझे चोद दे।

आख़िर हम जब बगिया पहुँचे तो मेरे ऊपर चुदाई का नशा छाया हुआ था। कमरे में जाते ही मैंने आनन्द से चिपकते हुए कहा- आनन्द मुझे चोद दो, चूत बहुत प्यासी हो गई है।

आनन्द ने मेरे बदन को ढकती साड़ी खींच कर निकाल दी, उसके साड़ी निकालने के अंदाज़ से मैं डर गई और मुझे लगने लगा कि आज मेरा बदन चूत और गान्ड का बैण्ड बजने वाला है।

मुझे नंगी करके आनन्द ने मुझे हुक्म दिया- अब तुम नंगी ही रहोगी जब तक हम यहाँ हैं।

मैंने फिर से आनन्द से कहा- मुझे चोदो तो!

उन्होंने कहा- मुझे खुश कर अपने अंदाज़ से… तुम जितना मुझ को खुश करोगी मैं उतना तुम्हारी चूत को खुश करूँगा।

मैंने उनके काले लंड को निकाला और नीचे दोनों बॉल को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।

आनन्द काफ़ी जोश में आ गये, वो मुझ को गंदी गंदी गाली दे रहे थे- रंडी, छिनाल, वेश्या, कुतिया! और ना जाने क्या क्या कह रहे थे जिससे मेरा जोश और बढ़ रहा था, मेरा बस चलता तो मैं उनका लंड पकड़ कर अपनी चूत में घुसा लेती।

मैं उनके तने लंड के नीचे दोनों गेंदों को काफ़ी देर तक चूसते हुए उनकी टाँगों के नीचे से उनके पीछे की तरफ आ गई और उनको नीचे की तरफ झुका कर उनकी गाण्ड के छेद पर अपनी ज़ुबान लगा दी।

वो आआहह के साथ बोले- बहुत अच्छी रंडी है तू! चाट, ज़ोर ज़ोर से चाट!

मैं पागलों की तरह उनको चाट रही थी और अपने दाँतों से आहिस्ता आहिस्ता काट रही थी, मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था, मैं एक अंजान आदमी के साथ वो कर रही थी जिसको करने के लिए लोग शादी करते हैं, रंडिया ऐसा करने के लिए रूपए लेती हैं और मैं ये सब फ्री में कर रही थी।

आनन्द ने मेरे बालों को पकड़ कर खींचते हुए अपने आगे किया और काला नाग जैसा लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया। एक बार फिर मेरी आँखें निकल आई उसी हालत मैं उन्होंने मुझ को ज़मीन पर लिटा दिया और 69 की पोज़िशन में आ गये, उनका लंड मेरे हलक से अंदर तक घुस रहा था, वो मेरे मुँह पर बैठ कर मेरे मुँह को चोद रहे थे औरआहिस्ता आहिस्ता चाटते हुए वो मेरी चूत की तरफ बढ़े और अपने दोनों हाथों से मेरी चूत की पंखुड़ियों को फ़ैला दिया जिससे मेरी चूत का छेद साफ नज़र आने लगा।

आनन्द ने अपनी ज़ुबान की नोक मेरे छेद पर जैसे ही रखी, मेरा बदन एकदम से अकड़ गया, मेरी चूत ने एकदम से पानी छोड़ दिया। आनन्द ने पूरा पानी चाट गये, यह पहली बार आनन्द ने मेरी चूत पर मेहरबानी की।
मैं पूरे जोश में उनके लंड को चूसने लगी, उनके लंड से भी वीर्य की गाढ़ी बाढ़ मेरे मुँह में गिरने लगी, इस बार मैं एक दासी की तरह उनका पानी पी गई।

वो मेरी चूत में अपनी ऊँगली अंदर बाहर करते हुए बोले- रंडी तुझ को चोदने में बड़ा मज़ा आएगा! अगर पहले तेरी चूत देख लेता तो तेरी शादी में तेरे पति की जगह मैं तेरे साथ सुहागरात मनाता। मैंने उनका काला लंड जो थोड़ा थोड़ा सख्त था, मुँह से निकाल कर बोली- अगर इतनी अच्छी चूत है तो चोदते क्यो नहीं?

तो आनन्द ने कहा- मादरचोद, अगर जल्दी चोद दूँगा तो मेरे लंड की अहमियत तेरे को क्या मालूम होगी और तेरे जैसी गोरे और चिकना बदन वाली को तो अब हमेशा चोदता ही रहूंगा, जल्दी क्या है अभी तो शुरुआत है!

यह कह कर आनन्द ने अपनी दूसरी ऊँगली भी मेरी चूत में डाल दी। शादी शुदा होने के और आनन्द से अब दो बार चुद जाने के बावजूद मैं तड़प कर रह गई आनन्द से बोली- तकलीफ़ हो रही है..

मुझे आनन्द ने कुतिया की तरह झुकने को कहा। मैं आज पहली बार इतनी ज़िल्लत उठाने के बावजूद अपने आपको दुनिया की सबसे खुशनसीब औरत समझ रही थी, मैं एक गैर लंड से चुदने के लिए बेचैन थी, वो मेरे आका और मैं उनकी रखैल थी, वो मुझ को अपने इशारों पर नचा रहे थे और मैं नाच रही थी।

आनन्द ने अपने दोनों मजबूत हाथो से मेरे दोनों कूल्हों पर इतनी ज़ोर से मारा कि मैं चिल्ला उठी, मैं तड़प के बैठ गई और आनन्द के आगे हाथ जोड़ कर बोली- प्लीज़ तुम मुझ पर रहम करो, बहुत तकलीफ़ हो रही है।
तो आनन्द ने कहा- दर्द में ही मज़ा है मादरचोद रंडी!

आनन्द ने मुझे नीचे लिटाया, मेरी टाँगों के बीच में बैठ गये तो मैंने अपनी टांगें उनकी कमर के दोनों तरफ कर दी, मेरी चूत ने मेहमान का स्वागत करने के लिए अपने मुँह का दरवाज़ा खोल दिया, आनन्द अपने लंड का आगे का हिस्सा मेरी चूत पर फिराने लगे मेरी ख्वाहिश पूरी होने जा रही थी, मेरी चूत एक काले मोटे लंड को अपने अंदर लेने को बेचैन होने लगी थी।

उनके लंड की लोहे की तरह गर्म टोपी मेरी चूत के छेद से टकराया और फिर आनन्द ने हल्के से एक झटका मारा और उनकी टोपी मेरी चूत को फाड़ती हुई अंदर घुस गई।

मेरा पूरा बदन काँपने लगा मेरे मुँह से चीख निकल गई ऐसा लगा किसी साण्ड ने अपना सींग मेरी चूत में घुसा दिया हो।

आनन्द ने मेरे उठे हुए बोबे को दबाते हुए कहा- क्यों रंडी, चुदवाने का बहुत शौक था? अब जब घुसा रहा हूँ तो चिल्ला क्यों रही हो।

मैं अपनी साँसों पर काबू पाते हुए बोली- चूत बनी है लंड के लिए लेकिन तुम्हारा तो मेरी कलाई के जितना मोटा है, लगता है लंड नहीं हाथ घुस गया हो!

तो आनन्द ने कहा- अभी तो सिर्फ़ टोपी ही अंदर गई है, अभी तो पूरा खंभा बाकी है।

मैं अपने आप को आगे की तकलीफ़ के लिए तैयार करने लगी, तभी आनन्द ने कहा- मैं अपना पूरा लंड तभी चूत में घुसेड़ूँगा जब तू मेरी शर्तें मानेगी।

मैं जल्दी से बोली- मुझ को तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।
आनन्द ने कहा- ऐसे नहीं, मैं जो कहूँ उसको सुन और अपने मुँह से बोलना तब ही मैं मानूँगा।
मैं बोली- कहो, तुम्हारी क्या शर्तें हैं?

आनन्द बोले- तेरे पति के बाद तेरी चूत पर सिर्फ़ मेरा हक़ होगा और मैं जब चाहूँ और जहाँ चाहूँ, तुम अपनी चूत को मेरे लिए पेश करोगी।

मैंने कहा- मैं तुम्हारा लंड देख कर ही तुम्हारी हो गई हूँ, तुम मेरी चूत को मसल दो, मुझको बेदर्दी से चोदो, छिनाल रंडी बना दो, तुम दिन में बोलोगे तो दिन में, रात में बोलोगे तो रात में मैं हर जगह तुम्हारे लिए अपना जिस्म पेश कर दूँगी।

मैंने आनन्द से कहा- मुझको तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।
आनन्द बोले- अब मज़ा आएगा तेरे जैसी औरत को रंडी बनाने में!

यह कह कर आनन्द ने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उन्होंने अपना काला मोटा लंड मेरी चूत में एक ज़बरदस्त झटके के साथ पेल दिया।

मेरी चूत जो लंड लेने के लिए बेचैन थी, इस अचानक हमले को झेल नहीं पाई, ऐसा लगा कि मेरी पहली चुदाई हो रही है, मैं अब तक कुँवारी थी, मेरी चूत मैं उनका लंड घुसते ही पचाक की आवाज़ आई मेरी चूत का पानी उनके लंड के घुसते ही मेरी चूत से बाहर आने लगा, मेरे मुँह से चीख नकल गई, मैं तड़पने लगी लेकिन आनन्द पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

मैं जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी, आनन्द पर इसका मानो कोई असर ही ना हुआ हो, वो जंगली सांड की तरह मेरे ऊपर चढ़े हुए थे, मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया था, आनन्द का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था, मेरे बदन का रोयाँ रोयाँ काँप रहा था।
मेरे दिल में आया कि आनन्द से कह दूँ कि अपना लंड मेरी चूत से निकाल ले मुझ को नहीं चुदवाना है लेकिन इसी लंड के लिए तो मैंने अपना नाज़ुक बदन अपनी चूत और अपनी इज़्ज़त को दाँव पर लगाया था, इसी लंड को हासिल करने के लिए मैंने आनन्द की हर शर्त मंज़ूर की थी, फिर ऐसी खुशनसीब कम ही होती होंगी जिसको एक से ज़्यादा का लंड नसीब हुआ हो!

मैंने अपना सब कुछ आनन्द के लंड पर न्यौछावर कर दिया यह सोच कर कि अब मैं एक पति वाली औरत नहीं बल्कि एक रंडी रखैल बन गई हूँ, मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, आनन्द ने अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया। मेरा रोम रोम खुशी से झूम रहा था।

आनन्द ने आहिस्ता आहिस्ता फ़िर अपने लंड को मेरी चूत में घुसाया और अंदर बाहर करने लगे, अब लण्ड आसानी से आ जा रहा था। थोड़ी देर में सुनामी की लहर की तरह पानी मेरी चूत में बरसने लगा, मेरी चूत उनके माल से पूरी तरह भर गई तो पानी बाहर की तरफ टपकने लगा, मैंने आनन्द को कस के लिपटा लिया और बेतहाशा उनको चूमने लगी, उनका पानी और मेरा पानी एक दूसरे में मिल गया।
आनन्द ने अपना पूरा बोझ मेरे बदन पर डाल दिया उनकी छाती मेरे मुँह पर थी मैं उनको चूमे जा रही थी।

उन्होंने कहा- आज से तेरा नाम रंडियों की लिस्ट में आ गया, अब तू छिनाल बन गई है, तेरा गोरा बदन तेरी गुलाबी चूत अब मेरी गुलाम है।

मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारी रखैल बन कर बहुत खुश हूँ, अब तो तुम मेरे स्वामी हो और मैं तुम्हारी दासी हूँ, जैसा कहोगे वैसा करूँगी। वो मेरे बदन को सहलाते रहे, चूमते रहे, प्यार से मसलते रहे और ऐसे ही आनन्द के ऊपर लेटी हुई मैं सो गई और वो भी मुझे अपनी बाहों में लेकर सो गये।

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