भाई की गर्ल फ़्रेन्ड

rai235 2008-02-02 Comments

प्रेषक : राजेश राय

सबसे पहले मैं अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्कार करता हूँ, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है।

मेरा नाम राजेश है और मैं लखनऊ में नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 25 साल और लम्बाई 6 फीट है और मैं देखने में स्मार्ट हूँ। मैं लखनऊ में अकेले ही रहता हूँ।

यह घटना कुछ दिन पहले की है, मेरा दूर का भाई भी लखनऊ में ही रहता है और उसकी एक गर्लफ्रेंड है जिसके बारे में मुझे पता था। वो घर से बाहर रहकर पढ़ाई करती है।

एक दिन वह अपने गर्लफ्रेंड को लेकर मेरे घर पर आया तो मैं उसकी गर्लफ्रेंड को देखता ही रह गया।

क्या गजब का फिगर था उसका !

और वो भी मुझे देखती रही।

शायद दोनों का दिल एक दूसरे पर आ गया पर हम दोनों ने कुछ भी नहीं कहा और उस रात वे दोनों मेरे घर पर रहे। रात में वो दोनों एक कमरे में सोए थे और मैं दूसरे कमरे में !

फिर वो दोनों सुबह चले गए। मैं आपको बता दूँ कि उसकी गर्लफ्रेंड का नाम निशा है। जाते-जाते उसने मेरा फ़ोन नम्बर ले लिया। फिर हम दोनों के बीच बातें होने लगी।

पहले तो सब ऐसे ही चलता रहा, फिर हम दोनों के बीच प्यार की बातें होने लगी और अब वो कहती कि वो मेरे साथ चुदाई करना चाहती है। मैं भी यही चाहता था और हमारे बीच अब फ़ोन पर सब बातें होने लगी थी।

और एक दिन आखिर हमारी आमने-सामने मुलाकात हो ही गई और इतने दिनों की दूरी मिट ही गई। आग दोनों तरफ बराबर लगी थी बस मिलने की देरी थी। जैसा मैंने बताया कि मैं अकेले रहता हूँ तो वह दिन में ही आ गई। मैं भी ऑफिस से जल्दी आ गया था और आते ही दरवाजा बंद किया तो वो और मैं कमरे में थे।

हम दोनों बस एक दूसरे की बाहों में एसे लिपटे जैसे बरसों के प्यासे मिल रहे हों। दोनों के होंठ ऐसे जुड़ गए कि छूटने का नाम ही नहीं ले रहे थे। अब तक वो भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी और इधर मेरे लंड में भी तूफान आ गया था जो अब नियन्त्रण से बाहर हो रहा था। मैंने निशा को बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। वो भी अब अजीब अजीब आवाजें निकालने लगी थी और जोर-जोर से मुझे चूमने लगी थी।

फिर मैंने उसका टॉप और जींस निकाल दिया। अब वह सिर्फ पैंटी और ब्रा में थी। मैं पहली बार उसे इस रूप में देख रहा था। अब तो मेरे लंड अपने पूरे आकार में था, पूरा आठ इंच का हो गया था। उसने भी मेरा शर्ट और पैंट निकाल दिया। अब मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था जो ब्रा से बाहर आना चाहती थी।

मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी।

वाह क्या चूचियाँ थी निशा की !

मैं तो पागल हुआ जा रहा था, मैं उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से मसलने लगा। वो भी एकदम से पागल हो गई थी, उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरा लंड बाहर निकाल लिया और मसलना शुरु कर दिया। अब तक उसकी दोनों चूचियाँ एकदम से लाल हो गई थी। अब मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूम रहा था, वो पूरी मस्ती में थी।

मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी। क्या नजारा था ! पहली बार किसी की बुर देख रहा था ! एक भी बाल नहीं था, एकदम चिकनी ! उसी दिन ही बनाई थी उसने ! मैं तो बस अब टूट पड़ा उसकी बिन बालों वाली बुर पर ! और चूमने लगा।

अब तो उसके मुँह से आ आह ह ही निकल रहा था। अब उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया था और मैं उसकी बुर को चाट रहा था। अब तक उसने बुर का पानी छोड़ दिया था, जिसे मैंने पूरा पी लिया, क्या नमकीन पानी था।

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा। अब तो वो और जोर-जोर से कहने लगी- जल्दी करो ! मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है !

मैं उसकी जांघों के बीच बैठा, लण्ड को चूत पर रख कर एक जोरदार झटका मारा और मेरा लगभग दो इंच लंड उसके अन्दर चला गया। उसकी बुर कसी थी, उसे हल्का दर्द हो रहा था, बोली- धीरे से डालो !

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और चूमता रहा, साथ में धीरे-धीरे लंड को भी अन्दर करता रहा। फिर एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर कर दिया वो एकदम से चिंहुक गई। फिर उसे भी मस्ती आ गई और अब तो बस पूरे कमरे में एक तूफान आ गया जो थमने का नाम नहीं ले रहा था।

फिर मैंने उसे पीछे से भी चुदाई की। पूरे 30 मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उससे पूछा- कहाँ पर गिराऊँ?

तो वो बोली- अन्दर ही गिरा दो !

पर मैं कोई भी खतरा उठाना नहीं चाहता था, मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और अपने वीर्य को बाहर ही बिस्तर पर गिरा दिया। वो बड़े ध्यान से उस गिरते हुए देख रही थी।

उस पूरी रात हमने सुबह के 4 बजे तक चुदाई की और फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

अब वह मुझसे दूर चली गई है, अब सिर्फ हमारी बातें होती हैं।

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