दशहरा पर स्ट्रिप-डान्स-1

Dashehra par Strip Dance-1
हमारे उन सभी पाठकों को नमस्कार एवं धन्यवाद जिन्होंने मेरी कहानी पढ़ी, सभी ने कहानी पसंद की और अपनी राय दी।

मेरा बिल्कुल नया काम दशहरे के दिन ही आया और मुझे उस रात को ही बुला लिया गया।

हुआ ऐसा कि नेट पर रात में बात होती रहती थीं।

किसी पूजा नाम की महिला से पिछले 20 दिनों से बात हो रही थी, निजता के कारण उसकी आईडी तो नहीं बता पाऊँगा।

उन्होंने मुझे बताया कि वे शादीशुदा हैं और तीन अक्टूबर को उनका जन्मदिन है। उन्होंने इस बार जन्मदिन को अलग ढंग से मनाने का सोचा है।

मैं पूछ बैठा- मैं तो अभी लखनऊ में हूँ आप दिल्ली में हैं, तो सब कुछ कैसे होगा?

वो बोली- मैं खुद दिल्ली से निकल रही हूँ, मेरे साथ मेरी दो सहेलिया भी हैं। हम लोग इलाहाबाद से आगे चित्रकूट में दो दिन रहेंगी और 3 अक्टूबर को आपको वहीं शाम तक आना होगा।

मैं बोला- मैडम मुझे क्या करना है?

वो बोली- हाँ.. मैं बताना भूल गई, तुम्हें केवल इतना करना है कि शाम को मुझको और मेरी सहेलियों को नग्न होकर नृत्य करके दिखाना होगा और फिर मेरे साथ रात में चुदाई करके मुझको खुश करना होगा।

मैं बोला- ठीक है पर सहेलियों का क्या करना है?

वो बोली- उनको केवल ऊपर से मजा देना है, उनके साथ और कुछ नहीं होगा यह तय है।

मैं इस काम के लिए तैयार हो गया। उन्होंने मेरे खाते में रुपए भेज दिए। तीस सितम्बर को सारी बात पूरी हुई और मुझे 3 को चित्रकूट पहुँचना था।

मैं सुबह दस बजे इलाहाबाद से चित्रकूट अपनी टाटा इंडिका लेकर निकल गया और वहाँ मैं दो घंटे में पहुँच गया।

वहाँ उसी वक़्त इत्तफाक से पूजा भी अपनी दोनों मित्रों के साथ पहुँची।
हम लोग साथ ही अन्दर गए।

वहाँ कमरा तो पहले से ही पूजा ने बुक करवा लिया था, सो अपने कमरे में गए।

वहाँ पहुँच कर हम सभी लोग फ्रेश हुए और खाना खाया और पास ही कामदगिरि देख कर वापस आ गए।

शाम को हम लोग बैठ कर इधर-उधर की बातें करते रहे, फिर आठ बजे खाने के लिए नीचे हॉल में गए, खाना खाया और वापस आ गए।

यहाँ पर पूजा ने अपना सामान खोला और सब कुछ सैट किया।

उसने सामान निकाल कर मुझसे बोली- जाओ अपना सब ठीक कर लो.. अब डांस करना है।

मैं वहाँ से चला गया और कपड़े बदल कर आ गया।

मैं तो पूजा के कमरे में ही था और उनकी सहेलियाँ भी अपने कपड़े बदल कर आ गईं।

कमरे में प्रकाश बिल्कुल मद्धिम कर लिया गया और फिर धीमी आवाज में संगीत आरम्भ किया गया।

मैं भी नृत्य करते हुए धीरे-धीरे पूजा के पास जाता और फिर उसकी सहेलियों के पास जाता।

वे एक-एक करके मेरा कपड़ा खोल देती थीं। अंत में मेरे तन पर केवल मेरी चड्डी बची जो कि एक थोंग थी।

उसको देख कर पूजा की दोनों सहेलियों ने अपने कपड़े उतार दिए और केवल पैंटी और ब्रा में बैठ गईं।

फिर मैं उनके पास गया तो उन्होंने मेरा लंड चड्डी से निकाल लिया और उसको चूसने लगीं।

एक-एक कर दोनों ने मेरा लवड़ा चूसा, फिर मैं पूजा के पास गया, उसने भी मेरा लौड़ा चूसा।

जब पूजा की तरफ से घूमा तो उसकी एक सहेली ने अपना पैंटी भी उतार दी और अपनी योनि को ऊँगली से रगड़ने लगी और मेरी ओर इशारा करने लगी।

मैं भी उनके बुलावे पर गया और उनकी योनि चाटने लगा।

अभी एक की ही चाट रहा था कि दूसरी मेरे लण्ड को हाथ में लेकर रगड़ने लगी और नीचे लेट गई और लौड़ा चूसने लगी।

मेरा चिकना पानी निकल रहा था और वह अपनी तेज़ रफ़्तार में चूसे जा रही थी।

अब मैंने उसको छोड़ कर दूसरी को पकड़ा और उसको चाटना शुरू किया, उसकी बुर से पानी से बह रहा था और उसकी महक से मेरा मन जैसे मस्त हो रहा था।

उसको जब चाटने लगा तो उसने मेरा खूब साथ दिया।

उसने मेरी उंगली से अपनी बुर खूब हिलवाया और उसका नतीजा यह हुआ कि उसका पानी झड़ गया।

मैंने उसको अच्छे से फिर पकड़ा और उसको उसी तरह से चाटने लगा और उसकी बुर में उंगली करना तेज की, उसका पानी भी जब गिरा तो ऊफ.. उसकी बुर ने क्या माल निकाला.. जैसे कोई नल खुल गया हो इतना भर-भर कर आया।

उसने पानी गिराया और बस वहीं थक कर निढाल हो गई।

फिर पूजा ने उनको कहा- अब तुम दोनों अपने कमरे में जाओ।

वे चली गईं, मैं और पूजा अकेले रह गए।
मैंने पूजा को वहीं बिस्तर पर लिटा दिया, वो अपने पैर खोल कर लेट गई।
मैं समझ गया कि इसको और कुछ नहीं बस चूत का मजा लेना है।

मैं उसके पास गया उसके मम्मों को चूसने लगा, तो बोली- यार अब नीचे के माल को साफ़ करो.. ऊपर का बाद के लिए छोड़ दो।

मैं नीचे चूत पर गया और उंगली करने लगा और चाटने लगा जिसकी वजह से वह उत्तेजित होती चली गई और अपना पानी गिराने लगी..

कुछ ही पलों के अंतराल में उसने लगातार दो बार अपना पानी गिरा दिया।

फिर वो मुझे लिटा कर मेरे मुँह पर बैठ गई और उसने अपना हाथ नीचे किया, जिससे उसकी बुर खुल कर मेरे मुँह से लग गई।

उसका बुर पूरी तरह खुल कर सामने आ गई।

मैंने अपने सर के नीचे तकिया लगाया और उसके बुर को चाटने लगा, साथ में उंगली डाल दी।
उसका पानी निकलता जा रहा था, जिससे मेरी नाक और गाल गीले हो गए थे।

जब वह थकने लगी तो बोली- अब रहा नहीं जा रहा.. अपना लण्ड डालो।

वो सीधे लेट गई, अब मेरा आखिरी काम आ गया था, उसकी चूत तो चिकनी थी ही.. साफ़ चूत, बिल्कुल दो फांक और नीचे हल्की काली और ऊपर का काला दाना.. जब उसकी बुर को हाथ से खोला तो अन्दर की गुफा गुलाबी रंगत लिए हुई बुर उठी हुई सी थी।

मैंने अपना लण्ड का सुपारा सीधा उसके छेद के अन्दर फंसा दिया, वह गनगना गई।

वो अपनी उंगली बुर के दाने पर लाकर रगड़ने लगी उसकी छटपटाहट देखते ही बन रही थी।

मैं भी उसको चोदने लगा, कुछ ही धक्कों में उसका पानी गिरने लगा था।

वो मुझे भींच रही थी, बोली- अब मैं जा रही हूँ.. जल्दी-जल्दी करो..

उसने मुझे अपने से सटा लिया, मैं भी जल्दी-जल्दी रेलमपेल किए जा रहा था।

फिर मैं भी अपना माल निकालने लगा और उसने पूरा मेरा माल चूत में ही ले लिया।

मैं उसके ऊपर औंधे मुँह लेट गया, उसको भी अच्छा लग रहा था।

थोड़ी देर बाद हम लोग नंगे ही सो गए। एक तो रास्ते की थकावट ऊपर से चुदाई की रेलमपेल.. उसने अच्छी नींद ला दी।

अगली सुबह मैं पहले जागा और फ्रेश होकर आ गया।

कुछ देर में पूजा जगी और मुझे देख कर ‘गुड मॉर्निंग’ कहने के बाद मुझे ‘थैंक्स’ बोली।

करीब पांच मिनट बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने उसकी दोनों सहेलियाँ थीं।
दोनों कमरे में अन्दर आईं और उसको रात की बात पूछने लगीं। वह भी अपना बात करती रहीं।

आप लोगों को यह कहानी कैसी लगी जरूर लिखें, यदि कोई सुझाव हो तो जरूर लिखिए, मैं उसको अपने नए अनुभव में ला सकूँ तो जरूर लाऊँगा। मेरा ईमेल है।
कहानी जारी रहेगी।

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