नई चूत का मज़ा लेने का नशा-4

(Nai Chut Ka Maza Lene Ka Nasha-4)

चूतेश 2014-07-01 Comments

This story is part of a series:

जब मैंने दस बारह खूब तगड़े धक्के ठोके, तो वो पागल सी होकर मुझ से पूरी ताक़त से लिपट गई, उसकी गर्म गर्म तेज़ तेज़ चलती सांस सीधे मेरे नथुनों में आ रही थी, चूत से रस छूटे जा रहा था।

और फिर जैसे ही मैंने एक तगड़े धक्के के बाद लण्ड को रोक के तुनका मारा, नीलम रानी चरम सीमा पर पहुँच गई, उसने मेरा सिर कस के भींच लिया और अपनी कमर उछालते हुए कुछ धक्के मारे।

वो झड़े जा रही थी। अब तक कई दफा चरम आनन्द पा चुकी थी, झड़ती, गरम होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती।
ऐसा कई मर्तबा हुआ।
अब तक मैं भी झड़ने को हो लिया था, मैंने नीलम रानी के उरोज जकड़े जकड़े ही कई ताक़तवर धक्के ठोके और स्खलित हो गया।
इस दौरान नीलम रानी भी कई बार फिर से झड़ी।

हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। झड़ के मैं नीलम रानी के ऊपर ही पड़ा हुआ था। नीलम रानी आँखें मींचे चुप चाप पड़ी थी और अभी अभी हुई विस्फोटक चुदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रही थी।
कुछ देर के बाद जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैंने नीलम रानी के मुँह को प्यार से चूमा, उसके चहरे पर बहुत संतुष्टि का भाव था जैसे कोई बच्चा अपना मनपसंद खिलौना पाकर तृप्त दिखाई देता है।

चुदी हुई नीलम रानी बड़ी प्यारी सी गुड़िया सी लग रही थी।
इसे तो भय्या रोज़ चोदना बहुत ज़रूरी है।

मैंने पूछा- क्या हाल है मेरी नीलम रानी का… स्वाद आया चुदाई में? चुद जाने के बाद तू बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही है।
‘रहने दो !’ नीलम रानी बनावटी गुस्से से बोली- अब ध्यान आया है अपनी नीलम रानी का… जब मेरे दूधों को कुचल रहे थे तब ध्यान ना आया तुमको… और मेरे भीतर जो अपना मूसला घुसेड़कर मुझे फाड़ डाला तब भी ना ख्याल आया नीलम रानी का… अब हाल पूछ रहे हैं?

‘अच्छा सच सच बताना… तेरी चूचियाँ जब मैं मसल रहा था तो मज़ा आया था या नहीं?’ मैंने पूछा।
नीलम रानी ने धीमे से सिर हिला कर बताया ‘हाँ मज़ा आया था !’ और शरमा कर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने फिर पूछा- चुदाई में भी मज़ा आया या नहीं?
उसने इतराते और शरमाते हुए कहा- ऊं हूँ… क्या पूछे जाते हो… मुझे शर्म लगती है।

फिर उसने मेरा मुँह चूम लिया और मेरे कान में फुसफ़साई- हाँ राजे…बड़ा मज़ा आया। अब मेरे बदन की अकड़न भी दूर हो गई।
उसने प्यार से फ़िर मेरा एक लम्बा सा चुम्बन लिया।
मैंने मुरझाया हुआ लण्ड चूत से बाहर निकाला और एक तौलिये को भिगो कर अपनी और उसकी सफाई की।

थोड़ा सा खून तकिये पर लग गया था, उसे भी पोंछ कर जितना साफ हो सकता था उतना किया।
‘अच्छा रानी, अब यह बता कि तू थी तो कुमारी, तो फिर तुझे इतने बढ़िया तरीक़े से लण्ड चूसना कैसे आया। तुझे सब पता था मम्मे चुसवाने के बारे में, चुदाई कैसे होती है इस बारे में। तुझे सारे शब्द भी मालूम हैं जो आम तौर पर लड़के ही इस्तेमाल करते हैं… कुछ लड़कियाँ भी बोल लेती हैं लेकिन कम !’

नीलम रानी कहने लगी- राजे… मेरी जुड़वां बहन है अनुजा। उसकी सात महीने पहले शादी हुई है… वे लोग राजकोट में रहते हैं… जीजाजी सम्भोग के इतने शौकीन हैं, इतने शौकीन हैं कि मैं बता नहीं सकती… अनु के साथ दिन में तीन तीन चार चार बार मैथुन करते हैं। इसके साथ साथ…’
‘रुक रुक रुक,’ मैं बीच में बोला- ये मैथुन, सम्भोग जैसे भारी भरकम लफ्ज़ बोल के मज़ा मत किरकिरा कर। सीधे बोल ना कि तेरे जीजाजी ज़बरदस्त चोदू हैं और तेरी बहन को रोज़ कई कई बार चोद देते हैं !

‘हाँ…हाँ राजे… वही मतलब था। मैं दस दिन स्कूल की छुट्टियाँ उनके साथ बिताने के लिये अनु के घर गई थी। तो जीजाजी अनुजा को बार बार कहने लगे कि चुदाई की फिल्म खींचनी है, हर पोज़ की। हर काम की…
अनुजा से ज़िद किया करते थे कि नीलम बहुत अच्छी फोटो लेती है, उसे ही कहो हमारी ब्लू फिल्म बनाने को।

पहले तो अनु बहुत मना करती रही पर जब वो ज़िद करते ही रहे, तो अनु ने डरते डरते मुझ से कहा कि उनके बेड रूम में उनकी हरकतों की फिल्म बनाऊँ।
शर्म के मारे मेरा बुरा हाल हो गया।

लेकिन अनु ना मानी, कहने लगी कि इस फिल्म का बनना उसके शादीशुदा जीवन के लिये बहुत ज़रूरी है… आखिर मैं मान गई।
फिर तो राजे… रोज़ मुझे अनु बुला कर ले जाती अपने बेडरूम में।
एक कैमरा स्टैण्ड के ऊपर सेट कर रखा था, मुझे कहा कि कैमरा को इस्तेमाल करना समझ लूँ।

फिर तो जीजाजी ने दनादन खुद के और अनु के कपड़े उतार डाले और दोनों नंगे होकर लिपट गये, उन्होंने सब सेक्स के काम किये।
अनु ने जीजाजी का लण्ड चूसा, उनका लण्ड भी तुम्हारे जैसा काफी लम्बा है पर इतना मोटा नहीं।
फिर जीजाजी ने अनु की चूत चूसी। उसके बाद दोनों ने हुमक हुमक कर दो बार चुदाई की।

पहली बार जीजाजी ने अनु को लेटा कर चोदा और उसके बाद फिर लण्ड चटवाया और फिर अनु को घोड़ी के पोज़ में पीछे से चोदा।
उसके बाद फिर दोनों ने एक दूसरे के गुप्त अंग चूमे चाटे और चाट चाट कर ही एक दूसरे को साफ किया।
उनका इतना गहरा प्यार देखकर मैंने भी सोचा चलो अगर मेरे फिल्म उतारने से ये खुश रहते हैं तो ठीक है।

जीजाजी किसी बाहर वाले से तो फिल्म बनवायेंगे नहीं। जितना वो पागल हैं अनु के पीछे, वो किसी बाहरी मर्द को तो ना देखने दें अनु को नंगी होकर चुदवाते हुए। मैं वहाँ दस दिन रही। दस दिनों में मैंने उनकी कम से कम चालीस ब्लू फिल्में बना डालीं, सभी अलग अलग स्टाइल में।
अनु मुँह से कहे ना कहे, मैंने ज़ान लिया है कि उसे भी बेहद मज़ा आता है चुदाई के सभी खेलों में।

इसी सब में मुझे सभी किस्म के शब्द और मर्द औरत के बीच क्या क्या होता है सब कुछ पता चल गया।

‘सच में महा चोदू है तेरा जीजा… साले ने दस दिन में चालीस बार चुदाई की। क्या कोई काम धंधा नहीं था उस माँ के लौड़े के पास?’ मैं रश्क की जलन में चिड़चड़ा कर बोला।

‘नहीं, नहीं, उनका बिज़नेस है। उनका टोयोटा कार का शोरूम है। सुबह उठके बाथरूम वगैरह निपटा के एक बार चोदते हैं… दोपहर में लंच के किये आते हैं दो घंटे के लिये। पहले चुदाई करते हैं उसके बाद लंच। आधा घंटा आराम करके चले जाते हैं। शाम सात बजे घर आ जाते हैं और आते ही शुरू हो जाते हैं। रात के ग्यारह बजे तक दो बार तो चोद ही लेते हैं। किसी किसी दिन तो उन्होने छह बार भी किया।’

‘अच्छा यह बता कि क्या क्या स्टाइल मारे उन्होंने इन चालीस चुदाइयों में?’ मैं बोला।
मुझे बड़ा ताव आ रहा था अपने ऊपर, मैंने तो कभी दस दिन में चालीस बार नहीं चोदा।

‘राजे…क्या बताऊँ ! कोई पोज़ बाकी छोड़ा हो तब ना… जैसे हमने अभी किया लेट कर, अनु ऊपर जीजाजी नीचे, अनु जीजाजी की ओर पीठ करके या कभी उनकी ओर मुँह करके, घोड़ी की तरह खड़े होकर, कभी बाज़ू में लेटकर, कभी जीजाजी की गोद में उनकी तरफ पीठ करके, कभी गोद में उनकी तरफ मुँह करके, कभी अनु को डाइनिंग टेबल पर लिटा कर जीजाजी ने खड़े खड़े चोदा, कभी सोफा पर, कभी बाथरूम में शॉवर चला कर, कभी बाल्कनी में, कभी घर की छत पर, कभी बैठ कर, इत्यादि इत्यादि। एक बार तो कार के अंदर भी चुदाई की।

और एक बार तो जीजाजी ने कार के गियर के डंडे को अनु की चूत में घुसवा डाला और फिर अनु ने पीछे की सीट पर बैठे जीजाजी का लण्ड चूसा।
अनु पता है मज़े से पागल हो गई उस दिन तो।
इतना पानी बहा है उसकी चूत से कि मैं बता नहीं सकती।

जब जीजाजी का अनु के मुँह में पूरा ख़लास हो गया, तो उन्होंने अनु को उछाल उछाल के गियर लीवर से चुदवाया।
जब वो झड़ के बेहोश जैसी हो गई, तो जीजाजी ने उसे खींच कर उठाया और अपनी गोद में बिठा कर चोदा। बाद में अनु की बुर के पानी से तर गियर लीवर को चाट चाट के अनु के चूतरस का स्वाद भी लूटा।

इतना लम्बा, मोटा और सख्त गियर लीवर चूत में लेकर कितना मज़ा आया होगा ना। तुम चाहे जो भी सेक्स का अंदाज़ सोच लो, जीजाजी ने वो इस्तेमाल किया।’

इसके बाद नीलम रानी चलने को तैयार हो गई, उसका घर पहुँचने का वक़्त हो चला था।
जाने से पहले नीलम रानी ने फिर एक बार मेरा लौड़ा चूस कर सारा मक्खन झाड़ के पिया और चली गई।
वादे के अनुसार नीलम रानी ने जॉयन कर लिया। इस बीच में दो बार उसे होटल में बुला कर चुदाई की।

उसके नौकरी में आने के बाद हमने क्या क्या गुल खिलाये, उसका ब्यौरा मैं अगली कहानी में दूंगा।

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