गणित का ट्यूशन-3

रवीश सिंह 2014-07-07 Comments

गणित का ट्यूशन-1
गणित का ट्यूशन-2

मैं अपनी ऑनलाइन मित्र की कहानी बता रहा हूँ। बात उन दिनों की है जब रेखा जवानी में कदम रख ही रही थी। गणित सीखने रेखा उनके पिता के सीनियर राकेश के पास जाने लगी। राकेश एक नंबर का ठर्की और बेशर्म आदमी था। आगे की घटना रेखा की जुबानी:
जवानी में काम सब पर हावी होता है। राकेश अंकल की अश्लीलता और फूहड़ता में घिन आती थी पर विमला के साथ सेक्सी बातें या किसी काल्पनिक मर्द के साथ काम क्रीड़ा की सोच अच्छी लगती थी और चूत टपक पड़ती थी।

राकेश अंकल की हरकतें मैंने सब से छिपाई विमला से भी, शायद पापा के ऊपर बोझ न पड़े इसलिए। ऐसे भी इम्तिहान नज़दीक थे तो थोड़े दिन की ही बात थी।
फिर वो दिन आया जिस में मैंने घृणा की चरम को महसूस किया। शायद खुशी बाद में आई इसलिए मैं राकेश अंकल की वो घृणित हरकत भूल सकी।
राकेश अंकल को भी मालूम था कि मेरे इम्तिहान नज़दीक आ रहे है और फिर मैं नहीं आऊँगी तो उन्होंने उलटी चाल चली।
नंगी तस्वीरों वाली मैगज़ीन के बजाए दफ़्तर की एक फाइल रख कर थोड़ी देर के लिए कई चले गए।

वो फाइल थी अप्रैसल्स (मूल्यांकन) की।
ज़ाहिर है मेरे पिताजी की भी होगी क्योंकि वो मेरे पिता के बॉस थे। खोल के देखा तो सबसे ऊपर उनकी ही CR थी।
लौटते ही बोले- ओ हो… यह फाइल यहाँ कैसे रह गई?, तुमने देखा तो नहीं?
मैंने ना में सर हिला दिया।

वो फाइल ले कर मेरे पास एकदम सट कर बैठ गए- अगर तुम मदद करोगी तो तुम्हारे पिताजी को तरक्की मिल जाएगी।
‘क…क…क्या करना होगा?’ मैंने कांपती आवाज़ में कहा और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा।

राकेश अंकल ने सोफे के नीचे से अपनी नग्न तस्वीरों वाली मैगज़ीन निकाली और बोले- इन पे हाथ फिराने में वो मज़ा नहीं आता जो असली में आता है।
मैं कुछ नहीं बोली बस घबरा गई कि अब क्या होने वाला है।
‘ना, इतना मत घबराओ, मैं तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती नहीं करूँगा… अगर तुम सहयोग करोगी तो !’ राकेश अंकल ने किसी फ़िल्मी विलेन की तरह कहा।
‘हाँ मैं तुम्हारा कौमार्य भी भंग नहीं करूँगा। ऐसी गलती नहीं करता मैं जो मुझे कानूनी पचड़े में फसा दे।’
‘अब जल्दी से अपने कपड़े निकाल दो।’ राकेश अंकल ने कहा- नहीं तो मैं फाइल क्लोज़ करूँ तुम्हारे पापा की।
मैं वो पल बयां नहीं कर सकती। फिर एक अजीब विचार आया और मैं बोल पड़ी- ठीक है, अगर तुम मेरा कौमार्य नहीं तोड़ोगे तो मैं सहयोग दूंगी पर पहले मेरे सामने मेरे पापा की शीट भरो।

एक कमसिन जवान लड़की के जिस्म की छुवन और नाज़ुक लेकिन सुडौल चूचों को चूसने की ललक ने राकेश अंकल को दिमाग की बजाए लिंग से सोचने पर मज़बूर कर दिया और उन्होंने हाँ कह दी।
मेरे सामने मेरे पापा को प्रमोशन के लिए उपयुक्त होने को मोहर लगाई। कार्यालय की प्रक्रिया का मुझे कोई ज्ञान नहीं था।

जब कोई और रास्ता नहीं बचा तो पहले कमरे के सब खिड़की, दरवाजे, पर्दे चेक किए और निर्बाध बहते आँसू के साथ अपनी कमीज़ निकाली।
ब्रा भी… फिर भी हाथ से वक्षों को ढकने का प्रयास कर रही थी।
अंकल ने सलवार भी निकाल ने का इशारा किया।
मैं बेबस थी… निकाल दी।
अब स्त्री लाज सिर्फ ब्रा और पेंटी में सिमट कर रह गई।

पास आते ही राकेश अंकल मेरे जवान जिस्म की महक में वासना के सागर में गोते लगा रहे थे। झट से खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और भूखे कुत्ते की तरह मेरे शरीर का हर निर्वस्त्र अंग चूमे और चूसने लगे। मेरे होंठ चूमना चाहे पर मैंने मुँह मोड़ लिया, अंकल ने मेरी ब्रा खोल मेरे मम्मे आज़ाद कर दिए।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कौमार्य के हल्के भूरे-गुलाबी निप्पल ठर्की अंकल के मुँह में थे, उनके हाथ मेरी पेंटी में मेरी चूत रानी को रगड़ रहे थे।
अंकल ने अपनी पैंट निचे कर लिंग को आज़ाद किया तो वो मेरी कमनीय काया को सलामी देने लगा।

राकेश अंकल ने मुझे घुटनों के बल ज़मीन पे बैठने बोला ताकि उनका लंड मेरे चेहरे के सामने आ जाये, और मुझे मुँह में लेकर चूसने को कहा।
मैंने घिन के भाव चेहरे पर लाते हुए विरोध किया, मैंने उनका लंड हाथ में ले दूर करना चाहा। ज़िन्दगी में पहली बार मर्द के लिंग को छुवा वो भी अनमने भाव से। इस बीच में उनकी पिचकारी चल गई और वीर्य मेरी ठुडी और चूचों पे गिर गया।
ठर्की राकेश अंकल को उसमे ही संतुष्टि हो गई और मौके का फायदा उठा मैने अपने सलवार कमीज़ पहने किताबें ली और निकल गई। जल्दबाज़ी में अपनी ब्रा वहीं छोड़ आई।

घर आकर बंद कमरे में खूब रोई और पूर्ण नग्न हो कई बाल्टी पानी अपने ऊपर डाल दिया।
दो दिन गुमसुम रही, माँ ने पूछा तो बोल दिया परीक्षा का बोझ है।
दो दिन बाद जो खबर आई उसने मुझे सहज किया नहीं तो शायद में उत्तीर्ण भी नहीं हो पाती।
पिताजी का प्रमोशन हो गया और राकेश अंकल का ट्रांसफर।

दोस्तो, रेखा की घटना तो शब्द मैंने दिए लेकिन शब्दों की भी सीमा होती है, रेखा के साथ हुई उस घटना को बयां करते हुए उन असंख्य विचारों को प्रकट नहीं कर सकता जिसे उन्होंने जिया है, ईश्वर किसी के साथ ऐसा ना करे।
और चाहे यह उपदेश लगे पर सभी मर्दों से कहूँगा प्रेम करें शोषण न करें।
बिना साथी की इच्छा के किया सम्भोग कभी किसी को आनन्दित नहीं कर सकता।

अपने विचार ravishsingh365@ gmail.com या ट्वीटर हैंडल @ravishsingh365 पर बताये। रेखा को kohli.9rekha404@ gmail.com पर भी बता सकते हैं।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top