चुदाई से तलाक की सेटलमेंट

(Chut Chudai Se Talaq Ka Settlement)

दोस्तो, आज मैं आपको एक बड़ी ही रोचक बात बताने जा रहा हूँ।

मेरा नाम रजिन्दर है, दिल्ली में रहता हूँ। 30 साल का हूँ अभी तक शादी नहीं की, नहीं की मतलब ज़रूरत ही नहीं पड़ी, प्लेबॉय जैसी लाइफ है, आज तक किसी लड़की से प्यार नहीं किया, बस सबको ठोका ही है।

मैं अकेला रहता हूँ, सरकारी नौकरी, अच्छी तनख्वाह है, अपने आप को फिट रखता हूँ, स्मार्ट हूँ, हैण्डसम हूँ।

पिछले करीब 12 साल में करीब करीब, 300-400 के करीब लड़कियाँ और औरतें मेरे नीचे से गुज़र चुकी हैं, जिससे भी यारी लगाई, पहले दिन ही समझा दिया कि शादी के सपने मत देखना, हमारा रिश्ता सिर्फ बिस्तर तक है। कुँवारी, शादी शुदा, तलाक़शुदा, विधवा, अकेली, दोस्त, भाभी, चाची, बुआ, मौसी, मामी, कज़िन, छोटी, बड़ी, काली गोरी, मोटी, पतली, लंबी, ठिगनी हर तरह की औरत को भोगा है, इसके इलावा लौंडे और हिजड़े भी बहुत ठोके हैं।

ऐसे ही मेरे पड़ोस में एक नए दम्पति आए, आदमी सुरेश कोई 26-27 साल का ठीकठाक नौजवान और बीवी पुष्पा 23-24 साल की एक बहुत ही शानदार औरत।

शादी हुये बस 2 साल हुये थे, कोई बच्चा नहीं था।
सुरेश किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, पुष्पा एक हाऊसवाइफ थी, दोनों से कभी कभी हैलो हाय हो जाती थी।

खास बात यह कि पुष्पा देखने में तो ठीकठाक कद काठी की थी, हल्का सा गदराया बदन था, मगर उसकी छातियाँ उसके बस से बाहर थी, मतलब कुछ ज़्यादा ही भारी थी, जो सबका ध्यान अपनी तरफ खींचती थी।
जब भी कभी मौका मिलता, मैं भी उससे बातचीत कर लेता।

एक दिन न जाने क्या सूझा, मैं वैसे ही बातों बातों में उसको थोड़ी सी लाइन दी तो उसने भी लाइन पकड़ी।
फिर तो जब भी मौका मिलता, मैं उससे हंसी मज़ाक करने लगा।

धीरे धीरे बात बढ़ने लगी और एक दिन उसने मुझसे खुल्लम खुल्ला कह दिया कि वो मुझे पहले दिन से ही बहुत पसंद करती है।पसंद तो मैं भी करता था सो बस एक दिन कोई सरकारी छुट्टी थी, पर उसका पति अपने दफ्तर गया था।

मैं पीछे से किसी बहाने उसके घर गया, घर में वो अकेली थी, बस मौका मिलते ही मैं उस पर टूट पड़ा, उसने भी कोई विरोध नहीं किया।

सिर्फ 10 मिनट बाद ही मैं उसे चोद रहा था। वो मेरे नीचे पड़ी सिसक रही थी।
‘मेरा होने वाला है, कहाँ छुड़वाऊँ?’ मैंने पूछा।
‘मेरे अंदर, मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे पहले बच्चे के बाप बनो।’ वो हंसी।

मैंने ऐसे ही किया, उसके बाद तो जब भी मौका मिलता हम दोनों प्यार के खेल खेलते।
जिस दिन उसे पता चला कि वो प्रेग्नेंट है तो सबसे पहले उसने मुझे बताया।

मगर शाम को ही उनके घर से लड़ाई झगड़े की बहुत आवाज़ें आईं।

अगले दिन पुष्पा से पता चला कि उसके पति का कहना है कि यह बच्चा उसका नहीं, उसे पता है किसका है और कौन पीछे से उसके घर आता है।

खैर उसके बाद भी हम मिलते रहे, पुष्पा मुझसे चुदती रही मगर उसके पति ने उस से अपने संबंध तोड़ लिए और कोर्ट में तलाक की अर्ज़ी दे दी।
पुष्पा के एक बेटा हुआ जो शक्ल से हूबहू मेरे जैसा दिखता था।

एक दिन सुरेश मुझे मिला और बोला- मैं इस तलाक के पचड़े से तंग आ गया हूँ, मैं जानता हूँ कि पुष्पा के तुम्हारे साथ नाजायज़ ताल्लुक़ात हैं और उसका बेटा भी तुम्हारा है। मैं तुमसे बैठ कर बात करना चाहता हूँ, मेरे घर आ सकते हो।

पहले तो मुझे डर लगा कि कहीं घर बुला कर ठोक न दे पर हिम्मत करके मैं चला गया।
जब मैं घर गया तो पुष्पा तो मुझे देख कर हैरान ही हो गई कि मैं उसके पति के होते उसके घर कैसे आ गया।
खैर हम तीनों बैठे और बड़े अच्छे माहौल में सारी बातचीत हुई, चाय भी पी।

बातों बातों में बात यहाँ तक खुल गई के मैंने और पुष्पा ने साफ साफ यह मान लिया के हमारे रिश्ते हैं और हम जब भी मौका मिलता है, अक्सर सेक्स करते हैं।
‘क्या तुम दोनों मेरे सामने सेक्स कर सकते हो?’ सुरेश ने पूछा।

हम दोनों तो हैरान हो गए।
‘घबराओ नहीं, मैं भी तुम दोनों का साथ दूँगा, मैं यह सोच रहा था के जो काम तुम चोरी से करते हो, वो अगर मेरे सामने करो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है।’
मैंने पुष्पा की ओर देखा, उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, मैंने कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं, अगर पुष्पा चाहे तो।
जब मैंने हामी भरी तो पुष्पा ने भी झट से कह दिया- मुझे भी कोई परेशानी नहीं।
शायद उसने बेशर्मी दिखाई, पर जब साथ ही छूट रहा था तो शर्म कैसी।

सुरेश मुझे अपने बेडरूम में ले गया, पीछे पीछे पुष्पा भी आ गई।
‘तो कौन पहले शुरू करे पुष्पा, मैं या तेरा यार?’ सुरेश ने पूछा।
‘अब जब प्यार यार से किया है तो यार ही शुरू करे !’ पुष्पा ने भी बड़ी बेबाकी से जवाब दिया।
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‘ओ के, चलो राज, शुरू करो।’
मुझे बड़ी हैरानी हो रही थी, पर जैसे ही मैं पुष्पा के पास गया, वो खुद ही मुझसे लिपट गई।
मैंने उसकी आँखों में देखा, तो उसने खुद अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये।

हम किसिंग कर ही रहे थे कि सुरेश ने आकर पुष्पा को पीछे से बाहों में भर लिया, मेरे मुँह से उसका मुँह अलग किया और खुद पुष्पा के होंठ चूसने लगा, पुष्पा ने भी जैसे सारे गिले शिकवे भुला कर उसका साथ दिया।
सुरेश ने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिराया और उसकी ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू किए, मैंने भी कोशिश की और उसका ब्लाउज़ उतार दिया, फिर मैंने खींच के उसकी साड़ी उतारी, अब वो ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी।

मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोला और वो अपने आप नीचे गिर गया, उसने नीचे कोई चड्डी नहीं पहनी थी।
चूत एकदम चिकनी, जैसे आज ही शेव की हो।
सुरेश ने अपने हाथों से उसका ब्रा भी खोल दिया।

अब हम दोनों के बीच वो बिलकुल नंगी थी।
‘मुझे तो नंगी कर दिया, अब अपने कपड़े भी तो उतारो।’ पुष्पा ने कहा तो हमने भी अपने कपड़े उतारने शुरू किए।
जब हम दोनों भी नंगे हो गए तो पुष्पा हम दोनों के बीच में आकर बैठ गई और उसने अपने दोनों हाथों में हम दोनों के लण्ड पकड़ लिए और बारी बारी से चूसने लगी, कभी मेरा चूसती तो कभी उसका।
1-2 मिनट की चुसवाई के बाद हम दोनों के लण्ड अकड़ गए, सुरेश बोला- राज तुम नीचे लेटो और पुष्पा तुम ऊपर बैठ कर राज का लण्ड अपने अंदर लो।
हमने ऐसा ही किया।

जब पुष्पा ऊपर बैठ कर खुद ही हिल हिल कर अपनी चुदाई करवाने लगी तो सुरेश ने अपने लण्ड पे ढेर सारा तेल लगाया और और पीछे से आकर पुष्पा को मेरे ऊपर औंधा लिटा दिया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड पर रख दिया।
‘यह क्या कर रहे हो?’ जितनी देर में पुष्पा ने यह बात कही, उतनी देर में तो सुरेश ने एक जोरदार धक्का मार के अपना लण्ड पुष्पा की गाण्ड में घुसेड़ दिया।
मैं तो इस लिए आराम से लेटा था कि शायद ये ऐसा भी करते हों, पर पुष्पा की चीख ने तो मेरे भी होश उड़ा दिया।
मैंने उसका चेहरा देखा, तो वो दर्द से बिलबिला रही थी।

तभी सुरेश ने पीछे से उसके सर के बाल पकड़े और बोला- क्यों मदरचोद… जब अपने इस यार से चुदती थी और मज़े लेती थी तब नहीं सोचा था कि जब इसका मुझे पता लगेगा तो मुझे कितना दर्द होगा।
पुष्पा दर्द से तड़पती हुई बोली- तो क्या तुम मुझसे बदला ले रहे हो?
‘बदला नहीं ले रहा, पर तुम्हें सज़ा तो दे ही सकता हूँ।’ यह कह कर सुरेश ने और ज़ोर लगाया और पूरी बेदर्दी से पुष्पा की गाण्ड फाड़ते हुये अपना सारा लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया।
मैंने नीचे से पुष्पा को चोदना बंद कर दिया था, पर ऊपर से सुरेश के चोदने से ही मेरा काम अपने आप हो रहा था।

पुष्पा की आँखों से निकल रहे आँसू मेरे सीने पे गिर रहे थे, पर मैं कुछ नहीं कर सकता था।
इसी तरह सुरेश ने 7-8 मिनट तक पुष्पा की गाण्ड मारी और अपना वीर्य उसकी गाण्ड में ही छुड़वा कर नीचे उतर गया।
पुष्पा ने मेरी तरफ देखा और सुरेश से बोली- तो तुमने अपनी सज़ा दे ली।
सुरेश ने भी गुस्से से कहा- हाँ !
‘ठीक है, तो अब देख, आज तेरी बीवी तेरे सामने अपने यार से चुदेगी, और यह जो तू देखेगा, यह सज़ा सारी उम्र गाण्ड फाड़ती रहेगी।’
यह कह कर पुष्पा बिना अपने दर्द की परवाह किए, मेरे ऊपर उछल उछल कर चुदी।
जैसे वो जताना चाहती हो कि तेरा दिया दर्द तो कुछ भी नहीं है।

4-5 मिनट चुदने के बाद पुष्पा झड़ गई और सिसकारियाँ भरती, शायद जान बूझ कर मेरे सीने पर निढाल होकर गिर गई।फिर थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर से उठती हुई बोली- सच कहती हूँ राज, जितना मज़ा आज तुम्हारे साथ आया, अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में एक बार भी नहीं आया।
मैं समझ गया कि वो ये सब सुरेश को सुना रही है।

जब मैंने जाने को कहा तो वो बोली- सुनो अगर तुम न होते तो शायद मैं इसे तलाक देने के बारे में पक्का इरादा न बना पाती, पर अब मैंने सोच लिया है मैं इस आदमी के साथ नहीं रहूँगी, तुमने मेरी तलाक की सेटलमेंट कारवाई है और मैं तुम्हें एक बहुत अच्छा दोस्त मानती हूँ, इसलिए आज के बाद तुम जब भी चाहो मेरा ये बदन तुम्हारा है, तुम मुझे तन से मन से जैसे भी चाहो प्यार कर सकते हो।’ और मैं उसकी बात सुनकर चुपचाप उसके घर से निकाल आया।
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