क्या यही प्यार है-2

वह ज़बरदस्ती ऊपर ले गई। वहाँ कोई नहीं था। वह अपने घर के कमरे दिखाने लगी, मैंने उसे दोबारा से चुम्मी देने के लिए बोला और वो तैयार हो गई।
इस बार मैंने उसको दीवार से लगाया और खूब चूसा, अब उसकी हालत खराब होने लगी थी और मेरी भी।
उसने अपने आप को अलग कर लिया और गहरी गहरी सांस लेने लगी।
वह गर्म हो गई थी बहुत, मेरा मन तो कर रहा था कि अभी चोद दूँ साली को मगर उसके घरवाले आवाज देने लगे उसको।
अब मुझे घर वापस आना पड़ा।

घर आकर मेरी शादी की तैयारी शुरू हो गई और उसके यहाँ भी।
एक दिन दोस्तों उसने मुझे फ़ोन पर बताया कि हम आपके घर आ रहे हैं।
मैंने भी कह दिया- मोस्ट वेलकम।
पहले तो मैंने सोचा कि शायद वो मजाक कर रही है लेकिन दोपहर के 2 बजे तक वो सही में आ गई अपने माँ-पिता के साथ।
मैं तो ख़ुशी से पागल हो गया।
उसने घर आकर हमारा घर देखा और फिर खाना खाकर जाने लगे।
मैंने उसको रुकने को लेकिन वो मना करने लगी। मैं उनको रेलवे स्टेशन तक छोड़ने गया।
अब उसके आशिक का रोज मेरे पास फ़ोन आता और धमकियाँ देता- मेरे रास्ते से हट जा नहीं तो बहुत पछतायेगा।
मैंने भी कह दिया- तुझे जो करना है, कर ले… मैं नहीं छोड़ने वाला उसको।
दरअसल वह मुझे डरा रहा था कि शायद यह डर कर शादी से मना कर देगा। भला मैं क्यों मना करने वाला था।
जैसे जैसे शादी नजदीक आने लगी मैंने उसकी बातों से महसूस किया कि यह पलटी मारेगी। वह रोज कुछ नए ड्रामे करने लगी मगर क्लियर कुछ नहीं बता रही थी कि उसके मन मैं क्या चल रहा है।
मैंने भी अपना इरादा बदल दिया, अब मैं उसकी चूत मारना चाहता था, शादी से पहले ही मैं उसको चोद लेना चाहता था, चाहे शादी हो या न हो।
एक दिन मैं शादी के कार्ड बाँटने के लिए निकला, मेरे साथ मेरा कजिन भी था।
मैंने सोच लिया कि जो दूर के हैं, उनको पहले कार्ड बाँट दिए जाएँ और यहाँ आस पास के लोगों दोस्तों को तो एक दिन पहले ही दे दूंगा।
जहाँ मुझे कार्ड देने जाना था वहाँ से उसका घर थोड़ी ही दूर था, यूँ समझ लीजिये की 15 मिनट का रास्ता था।
मैंने उसको फ़ोन लगाया और पूछा- कहाँ पर हो?
वो कहने लगी- मैं घर पर हूँ।
मैंने पूछा- माँ कहाँ है?
वो बोली- माँ मामा के यहाँ गई है।
मैंने पूछा- पिताजी कहा हैं?
उसने कहा- वो ड्यूटी गए हैं।
अब उसका एक बड़ा भाई और था, वो भी उस दिन शादी के कार्ड बांटने गया था, वो घर पर अकेली थी सिर्फ एक उसकी बूढ़ी दादी थी घर में और कुछ छोटे बच्चे।
उसके इतना बताते ही मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और इतनी तेज़ भगाई की 15 मिनट का रास्ता दस मिनट मैं ही तय कर लिया।
उसके घर पहुँचते ही मैं जैसे ही अन्दर घुसा, वो बाथरूम से नहाकर निकली थी।
यह देखकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा कि आज तो ताज़ा ताज़ा चूत चोदने को मिलेगी।
जैसे ही मैंने उसका हाथ पकड़ा, वो समझ चुकी थी कि आज चुदाई होगी।
और हो भी क्यों न उस साली कुतिया ने मुझे धोखे में रखा और जिस लड़के से प्यार करती थी उसको भी धोखा दे रही थी।
कहने को तो कहती थी मैं उस से बहुत प्यार करती हूँ मगर असल में उसकी दौलत प्यारी थी उसको।
चलो एक बार को मान लेते हैं कि वो उससे प्यार भी करती थी तो मेरे साथ क्यों मस्ती ले रही थी, जब भी मिलती थी, साली इतना चूसती थी कि कोई आम को चूस रहा है जैसे…
लेकिन आज मेरी बारी थी… मैंने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा, वो एकदम से झल्ला कर पड़ी तो मैं समझ गया कि अब यह कमीनी अपने असली रूप पर उतर आई है, अगर ढील दी तो सर पर चढ़ जायेगी।
मैंने उसका हाथ नहीं छोड़ा और उसको खींचकर ऊपर ले जाने लगा।
उसने कहा- रुको अभी !
मैं रुक गया।
उसने एक छोटे बच्चे से पेप्सी लाने को कहा।
मैं उसको पकड़ कर ऊपर ले गया जहाँ कोई भी नहीं था।
सबसे पहले मैंने उसके रसीले होंठ चूसे जो वो बड़े ही प्यार से चुसवा रही थी। इतने में पेप्सी आ गई, उसने मुझे अपने मुँह से पेप्सी पिलाई।
समझ गए न… मतलब पहले वो अपने मुंह में लेती, फिर मेरे मुंह में डालती, इस तरह से उसके रसीले होंठ मुझे और भी शहद की तरह मीठे लग रहे थे।
अब मैं अपना आपा खो रहा था।
वो कहने लगी- दूसरे रूम में चलते हैं।
वहाँ जाकर मैंने उसको दीवार से लगाया और अपनी जुबान उसके मुँह में फिराने लगा जो मैंने उससे से ही सीखा था।
अब उसकी हालत खराब होने लगी, इतनी हॉट हो गई साली !
तभी उसका भाई उसको आवाज देता हुआ वहीं आ गया। दीदी कहाँ हो। दीदी तो जन्नत मैं थी उस टाइम वोह आवाज
देता हुआ अन्दर आने लगा मैंने उसको छुड़ाने का प्रयाश करने लगा लेकिन वोह मुझे और चूसने लगी उसका भाई एकदम पास आ गया।
मैंने उसको धक्का दिया और पीछे कर दिया इतने मैं उसका छोटा भाई अन्दर आ गया, शायद वो समझ चुका था सब कुछ मगर 12-13 साल का था इसलिए उसकी बहन ने उसको डांटकर नीचे भेज दिया और कहा- अभी आ रही हूँ।
वो चूमाचाटी करती रहना चाहती थी लेकिन मैंने उसकी चूत की तरफ इशारा किया और वो झट से समझ गई पर मना करने लगी, यह और बात है कि अन्दर से वो भी चुदने को बेचैन हो रही थी।
फिर भी वह कहने लगी- शादी के बाद कर लेना।
मैं भला कहाँ मानने वाला था, मैं नाराज होकर जाने लगा, उसने कहा- रुको।
इतना सुनकर मेरा लंड और तेजी से खड़ा हो गया।
पहले तो उसने अपने घर के सारे खिड़की दरवाजे बंद किये क्योंकि सामने भी एक घर था।
फिर इतने में एक गोलगप्पे वाला आ गया आवाज देते हुए ! अब वो गोलगप्पे खाने की जिद करने लगी।
यहाँ मेरा लंड उसकी चूतचोदन को खड़ा था और वो देर पे देर कर रही थी।
दरअसल चुदाई का मज़ा आता है जब चोदने वाले को थोड़ा तड़पाया जाए ! मुझे लगता है यह बात वो भली भांति जानती थी।
खैर उसने गोल गप्पे मंगाए, खुद भी खाए और मुझे भी खिलाये।
अब चुदाई की बारी थी, मैंने उसको सलवार खोलने को कहा, मगर यह क्या… वो फिर से मना करने लगी, कहने लगी- शादी के 10 दिन ही तो हैं तब कर लेना।
मुझे गुस्सा आ गया, मैंने उसके नाड़े पर हाथ मारा और एक झटके के साथ खींच दिया।
वो हाथ लगाने लगी, मैंने सलवार नीचे कर दी !
कच्छी तो उसने पहनी ही नहीं थी और क्या चूत थी यार, बिल्कुल बालों से भरी हुई और टाँगें इतनी सुडौल और गौरी मेरा लंड बार बार आगे ही आगे भाग रहा था।
यह पहली बार था जब मैंने किसी लड़की की चूत देखी थी और वो भी इतनी खूबसूरत लड़की की।
मैं पागल हुए जा रहा था, समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ अब, मैं जल्दी से चूत को चोद लेना चाहता था।
मैं उसकी चूत की फांकों को देखने लगा मगर बालों की वजह से कुछ नहीं दिखा और वो है कि बार बार हिल रही थी।
उसने चूत दिखाने से मना कर दिया।
मैंने पैंट में से अपना 8 इंच मोटा लंड निकाला और अंदाजे से ही घुसाने लगा लेकिन वो बार बार डिस्टर्ब कर रही थी मुझे इसलिए मैं घुसा नहीं पा रहा था।
ज्यादा परेशान होने के बाद मैंने बिना चूत मारे ही पैन्ट पहन लिया और गुस्सा हो गया, मैंने जाने का नाटक भी किया।
अब उसकी बारी थी चुदाई करवाने की जो वो इतनी देर से मचल रही थी, कहने लगी- यहाँ नहीं, ऊपर चलो।
उसके थर्ड फ्लोर पर एक कमरा और था जिसका मुझे अंदाजा नहीं था।
मैं समझ चुका था अब यह फुरसत से चुदेगी, मैंने भी कमर कस ली थी साली की अच्छी तरह से चूत मारूँगा।
जैसे ही हम थर्ड फ्लोर पर आये उसने सीढ़ियों वाला गेट लगा दिया।
मेरा लंड उछलने लगा। गर्मियों का टाइम था कमरे के ऊपर लोहे की नालीदार चादर डली थी जो बहुत गर्मी दे रही थी, उस कमरे में पंखा भी नहीं था।
खैर उसने अन्दर घुसते ही अपना नाड़ा खोल दिया और एक पलंग पर बिस्तर कर दिया।
उसने मुझे कपड़े उतारने को कहा, मैंने अपनी पैंट उतार दी। अब मेरा लण्ड कच्छे से उभर कर बाहर आ रहा था।
मैंने जैसे ही कच्छा उतारा, वो एकटक होकर मेरे लंड को देखने लगी।
उसने मुझे कहा- शर्ट भी उतार दो।
मैंने शर्ट उतार दी।
वो अब बिना सलवार के पलंग पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने को कहा।
जैसे ही मैं उसके ऊपर लेटा, उसने झट से मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रख दिया और कहने लगी- करो अब।
मेरा पहली बार था इसलिए अन्दर जा नहीं रहा था।
मुझसे उसने कहा- ताकत लगाओ।
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यह सुनकर मैं उतावला हो उठा और थोड़ी ताकत लगाई तो पूरा लंड उसकी चूत की फांकों को फाड़कर अन्दर घुस गया।
दोस्तो, पहली बार या शायद उसकी चूत में लंड घुसाने का एहसास कितना सुहाना था यह बात मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता।
मैं फिर थोड़ा सा असहज महसूस कर रहा था। इतने में उसने टांगों को उठा लिया फिर तो ना घोड़ा दूर, न मैदान।
मैं उसको बांहों में जकड़कर चोदने लगा।
दोस्तो, उसकी चूत एकदम फटी हुई थी इसलिए मुझे ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था।
फिर भी पहली बार चूत चोदने को मिली थी इसलिए पूरा ही चौदन कर रहा था।
दस मिनट तक चोदते चोदते मेरी कमर दर्द करने लगी थी और पसीना भी बहुत आ रहा था।
बीच बीच में उससे पूछ रहा था कि अन्दर है या बाहर? क्योंकि पता ही नहीं चल रहा था कि लंड अन्दर जा रहा है या बाहर है।
और वो थी कि लेटी लेटी गांड उछाल उछाल कर खुद पे खुद झटके ले रही थी और सी सी करके मज़ा ले रही थी।
मैंने उसके रसीले होंठों को अपने मुँह में लिया उसने अपनी जीभ से ऐसी किस दी कि मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
झड़ते ही मैं उसके ऊपर ही पड़ गया।
और वो है कि और हॉट हो गई थी, जैसे ही मैं उसके ऊपर से उठने लगा, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।
इतना कसकर कि उसकी पकड़ ने मुझे उठने नहीं दिया, मैं समझ गया कि वो अब झड़ने वाली है।
दोस्तो, मैं भी थोड़े झटके देता रहा।
ठीक मेरे झड़ने के एक मिनट बाद ही वो झड़ गयी उसकी चूत से इतना गर्म पानी निकला कि मेरा लंड उसकी गर्मी से पिंघलने लगा।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि यह आज मुझे जला ही देगी।
अब उसकी चूत गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी बैठ गया था लेकिन गीली चूत इतनी मस्त लग रही थी लंड बार बार फिसल रहा था।
और एक बार तो फिसल कर उसकी गांड में जा घुसा, वो बड़ी जोर से उछली, फिर उसके बाद उसने मुझे उठने के लिए बोला।
मन तो नहीं कर रहा था उठने का मगर हम लोग पसीने में नहा गए थे बिल्कुल।
मैंने अपनी पैंट पहनी और जब वो अपनी सलवार पहन रही थी तो मैंने उसकी चूत को देखना चाहा लेकिन इस बार भी उसने यह कह कर मना कर दिया कि शादी के बाद सबकुछ दिखा देंगे।
उसके बाद हम नीचे गए जहाँ हमने बैठकर बहुत देर बात की उसकी बीती हुई जिंदगी के बारे में।
उसने बताया कि वो लड़का जिससे वो शादी करना चाह रही थी, उसके यहाँ किराये पर रह रहा था 2 साल से।
उसने बताया कि हम यहाँ पर चुदाई करते थे।
दोस्तो, ये बातें उसके मुँह से सुनकर मुझे बहुत ही गन्दा सा महसूस हो रहा था।
फ़िर भी मैं सोच रहा था कि यार लड़की एकदम मस्त है, अगर यह उसको भूल जाए तो मैं इससे शादी कर लूँगा।
चुदाई करने के 3 घंटे तक मैं उसके साथ रहा, वो मेरे मना करने के बाद भी बार बार बातों बातों में उसका ही जिक्र कर रही थी।
यह सब देखकर मैंने फैसला किया कि अब मैं इससे शादी नहीं करूँगा।
मैं अपने घर आ गया, घर आकर मैंने उसके बारे में बहुत सोचा फिर उसके पास फ़ोन लगाया।
मैंने उससे पूछा मजाक में- कौन बोल रही हो?
उसने कहा- आपकी वाइफ !
यह सुनकर मुझे ख़ुशी तो बहुत हुई लेकिन उस खुशी मैं एक दर्द था।
वो दर्द जब मैंने उससे दिल से प्यार किया तब वो मुझसे दूर भाग रही थी और जब मैंने उसको जिस्म से उसकी चूत की प्यास बुझाई तो वो अब एकदम खुश और शादी के लिए तैयार थी।
मैंने अपने दिल से पूछा क्या यही प्यार है?
दिल से आवाज आई- नहीं… यह प्यार नहीं, प्यार वो होता है जो दिल से किया जाए।
मैंने उससे कुछ अभद्र शब्द कह दिए जो उसको बहुत अच्छे लगे और दूसरे दिन ही पता चला कि वो अपने पुराने प्रेमी के साथ घर छोड़कर भाग गई है।
यह जानकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि साली इन्तजार कर रही थी कि कब यह गलती करे और कब उसे भागने का बहाना मिले।
दोस्तो, 3 दिन के बाद वो घर वापस आई और उसने सारी बात मेरे ऊपर डाल दी ताकि अपने घर वालों की नजरों में साफ़ बनी रहूँ। असल में दोस्तो, वो वापस अपनी मर्जी से नहीं आई, दरअसल उसके पुराने प्रेमी ने उसको 3 दिन और चोद-चाद कर घर वापस भेज दिया यह कहकर कि मैं तुम्हारे घरवालों की मर्जी के बगैर तुमसे शादी नहीं कर सकता।
दोस्तो, यह थी मेरी जीवन की सच्ची घटना !
मुझे मेल जरूर करना।
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