बिहारी ने चूत का भेदन किया

Bihari ne Choot Ka Bhedan kiya

नमस्कार अन्तर्वासना के प्रिय पाठको !

मैं आशिक राहुल आज आपके सामने एक बार फिर प्रस्तुत हूँ एक नई सच्ची कहानी के साथ।

सबसे पहले मैं आप दोस्तों का शुक्रिया करना चाहूँगा जिन्होंने मेरी पिछली कहानियो को खूब सराहा और मुझे इतने ईमेल किये।

यहाँ आकर मुझे कई बहुत अच्छी दोस्त भी मिली।

तो दोस्तो, जैसा कि आपने पिछली कहानी बिहारी ने पंजाबन कमसिन की सील तोड़ीमें पढ़ा था कि कैसे एक बिहारी नौकर ने सिमरनजीत कौर उर्फ़ सिम्मी की चूत की सील तोड़ी।

आज इस कहानी में सिमी की बड़ी बहन हरप्रीत की कहानी को बयाँ करने जा रहा हूँ।

आगे की कहानी हरप्रीत कौर के शब्दों में…

मेरा नाम हरप्रीत कौर है, मैं सिमी की बड़ी बहन हूँ, मेरी उम्र 21 वर्ष है।

मैं सिमी से थोड़ी ज्यादा ही सेक्सी हूँ, 5 फुट 6 इंच हाइट, फिगर 34 30 34 का है मेरा।

दोस्तो, कहते है न जो एक बार सेक्स का स्वाद चख ले उसे फिर इसकी आदत हो जाती है।

ऐसा ही हुआ मेरी बहन सिमी के साथ।
अब वो रोज छुप छुपकर दिनेश के साथ सेक्स करने के बहाने और जगह ढूंढती रहती थी।

एक दिन खेत में लगे ट्यूबेल पर मैंने उसे दिनेश के साथ सेक्स करते रंगे हाथों पकड़ लिया।

उस दिन मैंने दोनों को बहुत डांटा और घर आ गये।

घर आकर सिमी मेरे आगे हाथ पैर जोड़ने लगी कि मैं घर पर किसी को इस बारे में न बताऊँ वरना उसकी बदनामी तो होगी ही साथ में बहुत पिटाई भी होगी।

आखिर अपनी बहन के प्रति प्यार ने उस दिन मुझे चुप करा दिया।

फिर उसने बताया कि वो ये सब पिछले तीन महीनों से कर रही है और उसे बहुत मज़ा आता है दिनेश के साथ सेक्स करने में।

उसकी बातें सुनकर उस रात मेरे दिल मे एक अजीब सी हलचल होने लगी, मेरे जिस्म में एक सुरसुरी सी होने लगी थी।

फिर अगले दिन से मैंने देखा कि पहले तो दिनेश मुझसे कुछ नज़रें छुपाने लगा था।

लेकिन 4-5 दिन में सब सामान्य हो गया।

अब मैंने न जाने क्यूँ दिनेश से उसकी और सिमी की कहानी उसके मुँह से जाननी चाही।

तो दिनेश ने थोड़ा सा शर्माते हुए सब सच बता दिया कि कैसे उसने सिमी के साथ सेक्स किया।

अब मेरे दिल में भी कुछ कुछ होने लगा था।

रात में सोते वक़्त दिनेश और सिमी के बारे में सोचते हुए अक्सर मेरी उंगली मेरी चूत में चली जाती थी।

किस्मत भी अजीब है दोस्तो, कुछ दिनों बाद जब घर पर कोई नहीं था तो मैंने सिमी को फिर दिनेश के साथ सेक्स करते हुए पाया।

वो दोनों बिल्कुल नंगे थे।

जैसे ही मैंने उन्हें इस हालत में देखा मेरा सब्र का बाँध भी टूटने लगा था।

मैं अन्दर कमरे में गई तो दिनेश और सिमी दोनों चौंक कर अलग हो गये।

दिनेश का काला करीब 7″ का लंड मेरे सामने फड़फड़ा रहा था।

एक बार तो मैं उसके लंड को देखती रह गई दोस्तो, फिर मैंने उन दोनों को डांटना शुरू किया तो दोनों माफ़ी मांगने लगे।

मैंने सिमी को दूसरे कमरे में भेज दिया और कहा- जब तक मैं ना कहूँ बाहर न आना।

दिनेश कपड़े पहन चुका था किन्तु आज मेरे अन्दर भी हवस का कीड़ा जाग चुका था दोस्तो, इसलिए मैंने पहले दिनेश को डांटा तो वो कहने लगा- बीवी जी, आप प्लीज भैयाजी को कुछ मत कहना, आप जो कहोगी मैं वो करूँगा। वरना भैयाजी मुझे काम से तो निकलेंगे ही साथ मे बहुत मारेंगे भी।

तो मैंने उसे कहा- जो मैं कहूँगी वो करोगे?

तो उसने हाँ भर दी।

तो मैंने उसे तुरंत उसके कपड़े उतारने को कहा।

तो पहले तो वो थोड़ा घबराया किन्तु बाद में उसे भी शायद एहसास हो ग्या था कि मैं अब क्या चाहती हूँ।

अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगा था, उसका लंड थोडा ढीला पड़ गया था।

जब मैंने उस से पूछा- यह इसे क्या हो गया अभी तक तो तेरा ये बहुत बड़ा था अब ऐसे मुरझा क्यूँ गया है?

तो वो बोला- आपकी वजह से डरकर।

तो मैंने उसे कहा कि वो मुझसे डरे नही और मुझे उसके लंड का वही कड़क रूप देखना है।

दिनेश बोला कि इसके लिए मुझे उसका साथ देना होगा तो मैं मान गई।

फिर उसने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख लिया और इशारा किया उसे सहलाने का।

तो मैंने भी धीरे धीरे उसके लंड को सहलाना शुरू किया।

अब उसका लंड फिर से खड़ा हो गया था।

मैंने उसके मांस को थोड़ा सा नीचे सरकाया तो उसका लाल सा लंड मुख चमकने लगा।

उसे देखकर मेरे पूरे जिस्म में आग सी लग गई।

फिर मैंने उसे कहा कि आज मेरे साथ वो सब करे जो वो सिमी के साथ करता है।

तो उसने मुझे मेरे भी कपड़े उतारने को बोला।

मैंने उसे कहा कि सिमी के कौन उतारता है?

तो उसने कहा- मैं…

तब मैंने उसे मेरे कपड़े उतारने को कहा।

सबसे पहले उसने मेरा सूट उतारा उसकी निगाहें एक पल के लिए मेरी ब्रा में कैद मेरी चूचियों पर गई।

मैंने उसे टोकते हुए कहा- क्या हुआ? पहले देखी नहीं है क्या सिमी की?

तो वो बोला कि मेरी चूचियाँ सिमी की चूचियों से ज्यादा मस्त और गोरी हैं।

उसके मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना महसूस हुई।

फिर उसने मेरी ब्रा को भी उतार दिया और मेरी चूचियो को चूसने लगा।

वो एकदम से मेरी एक चूची को मुख में लेकर चूसने लगा था।

उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आने लगा था और मैं उसका सर पकड़ कर अपनी चूचियों पर रगड़ने लगी।

वो मेरे निप्पल को कुतरने लगा।

मैंने एक हाथ से उसका लंड पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगी।

फिर वो मुझे किस करता हुआ नीचे की ओर बढ़ने लगा।

उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
फिर उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
इसके बाद उसने मेरी पैंटी भी निकाल दी।

अब हम दोनों पर ही हवस का नशा पूरी तरह चढ़ चुका था।

फिर वो मेरी चूत को चाटने लगा।

पहली बार कोई मेरी चूत को चाट रहा था।
एक अजीब सी ख़ुशी दिल में छाए जा रही थी।

करीब 5 मिनट तक वो मेरी चूत चाटता रहा और अचानक मेरी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया।

इसके बाद वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरी चूचियों को चूसने लगा।

उसका काला 7 इंच का लंड मेरी चूत से टकरा रहा था।

मैं भी आज उसके लंड को अपनी चूत में लेने के लिए भी बेचैन था।

इसलिए मैंने खुद ही उसका लंड पकड़कर अपनी चूत से सटा दिया।

वो मेरा इशारा समझ गया था, उसने पहला झटका मारा और उसका आधा के करीब लंड मेरी चूत की फांकों को चीरता हुआ अन्दर चला गया।

मेरे मुँह से बरबस ही चीख निकल गई।

मैंने उसे रुकने को बोला पर अब वो कहाँ मानने वाला था, उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लिया और तेज़ी से धक्के मारने लगा।
उसका काला लंड अब मेरी चूत में पूरी तरह से समां चुका था।

कुछ ही पलों के बाद मुझे भी अब मजा आने लगा था और मैं भी नीचे से अपने कोमल चूतड़ उठाकर उसका साथ देने लगी थी।

वो पूरी तेज़ी से धक्के मारे जा रहा था।

करीब दस मिनट तक हमारी यह पहली चुदाई चलती रही और दस मिनट के बाद दिनेश ने अपने लंड का पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया और मेरे ऊपर ही लेट गया।

मेरा भी इस चुदाई में दो बार पानी छुट चुका था।

तभी अचानक सिमी कमरे के दूसरे दरवाजे से बाहर निकलकर हमारे सामने आ गई और हम दोनों को इस अवस्था में देखकर चौंक गई।

आगे की कहानियों में मैं आपको बताऊँगी कि कैसे मैंने और सिमी ने एकसाथ दिनेश से अपनी चूतों का भेदन करवाया और कैसे हमारी छोटी बहन की सील टूटी।

अंत में मैं एक बार फिर से आशिक राहुल जी का बहुत धन्यवाद करती हूँ जिनके माध्यम से मैं अपनी सच्ची दास्ताँ आप तक पहुँचा पा रही हूँ दोस्तो!

तो दोस्तो, यह थी सिमी की बहन हरप्रीत की कहानी उसी की जुबानी।

मैं आशिक राहुल आपके प्यार और विश्वास के लिए धन्यवाद करता हूँ।

और अन्तर्वासना को धन्यवाद करता हूँ, यह एक प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ अपने वो पल शेयर कर पाते हैं जो हम अक्सर छुपाकर रखते हैं और अन्तर्वासना की वजह से जो प्यारे दोस्त मिलें है उन सभी के लिए भी आभार।

अपनी प्रतिक्रिया देना न भूलें।

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