बहन का लौड़ा -2

(Bahan Ka Lauda-2)

पिंकी सेन 2015-05-19 Comments

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अभी तक आपने पढ़ा..

दिलीप जी फूट-फूट कर रोने लगे तो मीरा भी उनसे लिपट कर रोने लगी।
काफ़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही रहे.. तब कहीं उनकी नौकरानी ने आकर उनको समझाया.. तो वो चुप हुए।
फिर मीरा अपने स्कूल चली गई और दिलीप जी वहीं रहे।

इनकी नौकरानी के बारे में भी आपको बता दूँ.. इसका नाम ममता है.. इसकी उम्र कोई 20 साल होगी.. साल भर पहले ही इसकी शादी हुई है.. इसका जिस्म भी बड़ा मादक है। लंबे बाल.. गेहुआ रंग और इसके चूचे एकदम तने हुए.. 34″ के हैं। कमर ठीक-ठाक है और उठी हुई गाण्ड भी 34″ की है.. ये दिखने में बड़ी कामुक लगती है.. मगर ये अपने काम से काम रखती है सुबह आती है शाम का खाना बना कर वापस चली जाती है।

अब आगे..

अब यह क्या हुआ.. क्यों दिलीप जी रोए आपको बाद में बताऊँगी पहले चलिए.. अपने राधे के हाल देख आते हैं।

नीरज और राधे सुबह नहा धोकर अपने कमरे में बैठे बातें कर रहे थे।

राधे- अबे क्या बात है साले.. कहाँ जा रहा है ऐसे चमकीले कपड़े पहन कर?
नीरज- अरे मैंने बताया था ना.. साला ये नौटंकी से पेट थोड़ी भरता है.. महीने में 10 दिन काम रहता है.. बाकी 20 दिन तो बाहर कहीं हाथ-पाँव मारने ही पड़ते हैं ना.. इसी लिए काम की तलाश में जा रहा हूँ यार..

राधे- अबे साले वो तो यहाँ हम सब ऐसे ही करते है.. तू कौन सा नया जा रहा है.. मगर ये ऐसे कपड़े पहन कर तू कौन सा काम करने जा रहा है.. ये तो बता मुझे?
नीरज- यार अब तुझे क्या बताऊँ.. यहीं पास में एक सेठानी रहती हैं.. उसके ड्राइवर ने 2 दिन पहले मुझे एक काम बताया था.. आज मैं वो ही करने जा रहा हूँ।
राधे- अबे साले कहाँ जा रहा है.. मैंने ये नहीं पूछा.. काम क्या है.. वो बता.. साला कब से बात को बस घुमाए जा रहा है..
नीरज- तू अपना काम कर.. सारी बात तुझे बताऊँ.. ये जरूरी है क्या.. साला दिमाग़ चाट गया मेरा..

नीरज वहाँ से निकल गया और अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में वो एक बिल्डिंग के सामने जा कर रुका और किसी को फ़ोन लगाया।

दो मिनट उसने किसी से बात की.. शायद वो पता पूछ रहा था और फ़ोन रखने के बाद सीधा उस बिल्डिंग में दाखिल हो गया 8वें माले पर जाकर एक फ्लैट की उसने घन्टी बजाई।

थोड़ी देर में दरवाजा खुला तो एक 21 साल की लड़की.. जो दिखने में एकदम Indian Sexy Bollywood Actress Anushka Sharma जैसी लग रही थी.. काले रंग के मैक्सी टाइप के कपड़े उसने पहने हुए थे।
वो बस सवालिया नजरों से नीरज को देख रही थी।

नीरज- न..नमस्ते.. मेमसाब.. मेरा नाम नीरज है.. आपके ड्राइवर राजू ने मुझे यहाँ भेजा है।

वो लड़की कुछ नहीं बोली नीरज को वहीं रुकने का इशारा करके.. अन्दर चली गई। कुछ देर बाद एक 40 साल की मोटी सी औरत बाहर आई.. जिसका जिस्म एकदम बेढंगा था.. मोटी-मोटी जाँघें.. गाण्ड बाहर को निकली और लटकती हुई सी.. उसका सांवला रंग था।

ये राखी मेहता हैं.. एक हाउस-वाइफ.. और अभी जो आई थी.. वो इसकी बेटी नीतू थी। कोई नहीं कह सकता था कि ऐसी भद्दी औरत की ऐसी खूबसूरत बेटी होगी.. मगर यही सच्चाई थी।

राखी- तो तुम हो नीरज?
नीरज- जी..जी.. मैडम मैं ही हूँ..
राखी- पहले कभी मालिश की है किसी की.. और सब साफ-सफ़ाई भी करनी होगी.. सब पता है ना तुमको.. बाद में कोई झिक-झिक नहीं होनी चाहिए..
नीरज- जी..जी.. सब पता है.. मैं कर लूँगा..

राखी- ठीक है.. आ जाओ.. 1000 रुपये से एक पैसा ज़्यादा नहीं दूँगी… जाओ वो सामने वाला कमरा है.. वहीं हैं बाबूजी और बाथरूम में सब सामान रखा हुआ है.. ले लेना..

दोस्तो, आप समझ रहे होंगे कि अब ये किसी औरत की मालिश करेगा और मज़ा आएगा.. मगर ऐसा नहीं है किसी बूढ़े आदमी की मालिश करने आया है बेचारा.. तभी तो शर्म से इसने राधे को कुछ नहीं बताया था।

जब नीरज उस कमरे में गया.. एक 80 साल का बूढ़ा बिस्तर पर लेटा हुआ था.. उसने बस एक धोती पहनी थी.. वो एक मरियल सा एकदम सा आदमी बुड्डा था।

उसे देख कर नीरज थोड़ा घबरा गया.. मगर हिम्मत करके वो आगे बढ़ा और बूढ़े को नमस्ते किया।
तभी कमरे में नीतू आ गई।

नीतू- वो मैं बताने आई थी कि वहाँ अलमारी में पुराना पजामा रखा है.. वो पहन लेना.. तुम्हारे कपड़े गंदे होने से बच जाएँगे और बाबूजी बोल-सुन नहीं सकते हैं.. इशारे से इनको सब बता देना.. ओके.. अब मैं जाती हूँ.।

उसके जाने के बाद नीरज अपने आप से बड़बड़ाने लगा।

नीरज- साला राजू तेरे चक्कर में यहाँ कपड़े अच्छे पहन कर आ गया.. साले ने बोला था कि अच्छे कपड़े पहन कर आना.. तभी मैडम यहाँ रखेंगी.. साला हरामी.. अब इस बूढ़े की झांटें साफ करो.. साली क्या गान्डू लाइफ है।

वो बड़बड़ाता हुआ अलमारी के पास गया.. वहाँ पुराना सा एक शॉर्ट्स मिला.. उसने अपने कपड़े निकाल कर साइड में रखे और बाथरूम से तेल.. रेजर.. साबुन सब ले आया।

बिस्तर पर साइड में एक चादर बिछा कर बूढ़े को सीधा उस पर लिटा दिया और वो अपने काम में लग गया।

नीरज- साले बूढ़े.. जब हिल-डुल नहीं सकता तो क्यों जी रहा है.. मर क्यों नहीं जाता भोसड़ी के.. तुझे बड़ा मज़ा आ रहा होगा झांटें साफ करवाने में.. तेरा लौड़ा तो एक इन्च का रह गया होगा.. कभी खड़ा भी होता है क्या..?

नीरज बस अपने आप ही बड़बड़ा रहा था.. बूढ़े की उम्र के हिसाब से लौड़ा सिकुड़ कर लुल्ली बन गया था।

नीरज ने बूढ़े के सारे बाल साफ किए.. फिर पानी से साफ किया। अब मालिश की तैयारी में था कि तभी बाहर से आवाज़ आई।

राखी- मैं बाहर जा रही हूँ.. काम हो जाए तो मेरी बेटी से पैसे ले लेना.. सब अच्छे से साफ करके सामान अपनी जगह पर रख कर जाना.. समझे?

नीरज- ज..जी.. मेम.. सब आप बेफिकर होकर जाओ..

उसके जाने के बाद नीरज ने जल्दी-जल्दी अपना काम ख़त्म किया। वो सब साफ-सफ़ाई करके जब अपने कपड़े पहन कर जाने लगा..
तभी नीतू कमरे में आ गई।
उसका तो रूप रंग ही बदल गया था.. उसने कपड़े भी दूसरे पहन लिए थे।

अब नीतू के बाल खुले हुए थे.. उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और एक पतली सी नाईटी उसने पहनी हुई थी। उसके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे।

नीरज- ज्ज..जी.. कहिए.. मेरा काम हो गया है.. अब मैं जा रहा हूँ..
नीतू- अभी कहाँ हो गया.. यहाँ पहले मेरे कमरे में आओ..

नीरज खुश हो गया कि चलो बूढ़े की सेवा का फल शायद अब मिल जाएगा। वो नीतू के पीछे-पीछे चला गया।
कमरे में जाकर नीतू बिस्तर पर बैठ गई और नीरज को देख कर मुस्कुराने लगी।

नीरज- जी कहिए मैडम जी.. क्या काम है?
नीतू- कभी किसी लड़की की मालिश की है तूने?
नीरज- जी की तो नहीं.. मगर कर सकता हूँ..
नीतू- अच्छा क्या लोगे.. अगर मैं मालिश कराऊँ तो?

नीरज की तो बोलती ही बन्द हो गई.. ये बात सुनकर ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. इतनी खूबसूरत लड़की की मालिश करने को मिलेगी..

नीरज- जी.. कुछ भी देना आप..
नीतू- ठीक है मॉम के आने के पहले मुझे खुश कर दो तो 1000 तो तुम्हें देने ही हैं.. 1000 और दे दूँगी.. मगर मुझे खुश कर दोगे तो.. वरना कुछ भी नहीं मिलेगा।

नीरज- आप बे-फिकर रहो.. मैं बहुत अच्छे से मालिश कर दूँगा।
नीतू- अच्छा ये बात है.. तो दिखाओ अपना कमाल.. आ जाओ.. बैठ जाओ यहाँ..

नीरज को कुछ समझ नहीं आया कि वो उसे नीचे बैठने को क्यों बोल रही है।

नीरज- मेरे यहाँ बैठने से क्या होगा मालिश आपकी करनी है आप लेट जाओ तब मालिश होगी ना..

नीतू- बस मुझे मत सिख़ाओ क्या करना है और क्या नहीं.. मुझे जिस्म की नहीं चूत की मालिश करवानी है.. इसे चाट कर मज़ा दो.. मेरा ब्वॉय-फ्रेण्ड 2 दिन के लिए बाहर गया हुआ है.. बड़ी आग लगी है मेरी चूत में.. इसलिए थोड़ा चाट कर ठंडा कर दो।
नीरज- ओह्ह.. क्यों नहीं.. मैं अभी आपकी चूत की आग मिटा देता हूँ.. लाओ मुझे दिखाओ तो अपनी प्यारी सी चूत..

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नीतू- ज़्यादा चूत-चूत कह कर होशियारी मत कर.. बस मुँह से चाटनी है.. हाथ टच नहीं होना चाहिए.. नहीं तो गए तेरे पैसे.. समझा?

नीतू ने अपनी नाईटी ऊपर कर दी तो उसकी पाव-रोटी जैसी फूली हुई चूत सामने आ गई.. जिसे देख कर ये अनुमान लगाया जा सकता था कि इसको बड़ी बेदर्दी से चोदा गया है.. बहुत सूजी हुई भी थी।

ऐसी प्यारी चूत देख कर नीरज की तो लार टपकने लगी.. वो बस शुरू हो गया.. चूत को चाटने लगा।
नीतू सिसकारियाँ भरने लगी.. उसको चूत चटवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था.. इधर नीरज का लौड़ा भी फुंफकार मारने लगा था.. मगर वो कुछ कर भी तो नहीं सकता था ना.. बस चुपचाप चूत चाटता रहा।

नीतू- आईई.. आह्ह.. जीभ की आह्ह.. नोक अन्दर तक डालो.. आह्ह.. चोदो जीभ से.. आह्ह.. ओउह आह्ह.. मज़ा आ रहा है आह्ह.. आईई.. ज़ोर से चाटो आह्ह..

नीरज मज़े से पूरी चूत पर जीभ घुमा कर चूस रहा था.. चूत से कामरस टपकने लगा था.. वो उसे चाट कर मज़ा ले रहा था।

नीतू अब गाण्ड को हिलाने लगी थी.. उसका पानी निकलने वाला था.. वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी।

नीरज भी पूरी ताक़त से जीभ घुसा-घुसा कर उसको चोदने लगा। आख़िरकार नीतू की चूत ने पानी की धार मार ही दी.. जो नीरज पी गया.. उसने पूरी चूत को साफ कर दिया था। अब नीतू ठंडी पड़ गई थी और बिस्तर पर निढाल हो कर सो सी गई.. आनन्द के मारे उसकी आँखें बन्द थीं।

नीरज का लौड़ा बगावत पर उतर आया.. वो ऐसी मस्त चूत में घुस जाना चाहता था।
नीरज ने आव देखा ना ताव.. और नीतू पर टूट पड़ा.. उसके मम्मों को दबाने लगा.. उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ कर चूसने लगा.. मगर ये मज़ा बस कुछ ही सेकण्ड का था.. क्योंकि नीतू ने उसे ज़ोर से धक्का देकर अपने से अलग किया और गुस्से में आग-बबूला हो गई।

नीतू- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई.. मुझे छूने की.. कुत्ते निकल जाओ यहाँ से.. नहीं अभी पुलिस को बुलाकर अन्दर करवा दूँगी..

उसके गुस्से से नीरज डर गया।
नीरज- स..स..सॉरी.. मुझे माफ़ कर दो.. मैं समझा कि अब आप शांत हो गई.. तो मैं भी थ..थ..थोड़ा मज़ा ले लूँ..

नीतू ने उसके गालों पर एक थप्पड़ जड़ दिया और गुस्से से बोली- साले मुझे छूने की तेरी औकात नहीं है तूने ऐसा सोचा भी कैसे? चल अब भाग जा..

नीरज ने अपने पैसे माँगे तो नीतू साफ मुकर गई, उसने कहा- तूने जो हरकत की है.. वो उसके बदले पूरे हो गए.. अब जाओ नहीं तो शोर मचा कर सब को बुला लूँगी।

बेचारा मरता क्या ना करता.. मन में गालियां निकलता हुआ.. वहाँ से निकल गया।

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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