सेक्स भरी कुछ पुरानी यादें-4

(Sex Bhari Kuchh Purani Yaaden- Chapter 4)

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मैंने अपना हाथ अब उसकी पैन्टी के अन्दर डाला ही था कि अचानक मेरे कमरे की डोरबेल बजी। हम दोनों चौंक गए कि इस समय कौन आया होगा।

मैंने उसको बोला- तुम जल्दी से अपने कपड़े पहनो, मैं देखता हूँ कौन है!

मैंने दरवाजे में छेद में से बाहर देखा कि मेरा कॉलेज का दोस्त बाहर खड़ा था और लगातार घण्टी बजा रहा था।

मैंने अन्दर से आवाज़ दी- यार मैं सो रहा हूँ तुम कल आना!

पर वो बोला- अगर तबियत ठीक नहीं है तो दरवाजा तो खोलो.. मैं तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर चलता हूँ।

मैंने सोचा- यह साला कहाँ से आ गया.. अब क्या करूँ?

पर मैं मन ही मन उसको गाली दे रहा था और वो जाने का नाम नहीं ले रहा था।

करीब 15 मिनट तक वो खड़ा रहा, पर मैंने दरवाजा नहीं खोला और आखिरकार वो चला गया।

उसके जाने के बाद मैंने कुसुम को बोला- चलो कपड़े उतारो..!

क्योंकि वो कपड़े पहन चुकी थी, पर उसने मना कर दिया और वो बोली- यह तुम्हारी चाल थी, तुमने जानबूझ कर अपने फ्रेण्ड को इस समय पर आने के लिए कहा होगा, मैं जा रही हूँ!

मैंने उसको बहुत समझाया, पर वो नहीं मानी।

मैंने उसको बोला- अगर मेरी चाल होती, तो दरवाजा खोल न देता, पर मैंने ऐसा नहीं किया!

वो बोली- अगर तुम ऐसा करते तो मैं सुसाइड कर लेती।

फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों का झगड़ा होता रहा और वो चली गई और मेरी योनि देखने को हसरत आज फिर अधूरी रह गई।

इसे आप लोग मेरी बुरी किस्मत भी कह सकते हो या फिर मुझे गाली भी दे सकते हो। पर मैं उसके साथ ज़बरदस्ती नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने उसको जाने दिया।

हम दोनों को झगड़ा हो गया। अब मेरा किसी काम में मन नहीं लगता है एक आशिक़ की तरह मेरा हाल हो गया था।

मैंने अपने मकान-मालकिन के पास भी जाना बंद कर दिया। एक महीना बीत चुका था और दीवाली आने को थी।

तभी एक दिन मेरी मकान-मालकिन मेरे कमरे में आई और बोलीं- मनु आज शाम को तुम ऊपर ही खाना लेना।

मैंने कहा- ठीक है।

फिर शाम को ऊपर गया, वो बिस्तर पर बैठी थी। मैं जाकर चेयर पर बैठ गया, फिर उन्होंने उठ कर मेरे लिए खाना की थाली लगा दी और मैं खाना खाने लगा।

मैं शांत था, वो भी शांत थीं, हम लोग टीवी देख रहे थे। बच्चे पड़ोसी के घर पर खेलने के लिए गए थे, छोटा बेबी सो रहा था।

मैंने खाना खा लिया था और मैं जाने लगा।

तभी मकान-मालकिन बोलीं- अरे मनु बैठो.. मुझे कुछ बात करनी है!

मैं रुक गया और मैंने पूछा- बोलिए भाभीजी!

तो उन्होंने कहा- कुछ याद है, मैंने कुछ काम करने को कहा था!

मैंने पूछा- कौन सा काम?

तो फिर हँस कर बोलीं- अरे मज़े लिए या नहीं?

मेरे चेहरे पर कोई हँसी नहीं आई, तो वो बोलीं- अरे क्या हुआ.. कुछ तो बोलो!

फिर मैंने उनको सारी कहानी बता दी।

वो बोलीं- तुमने ये सब कब और कैसे किया?

मैंने कहा- दो महीने पहले..!

उन्होंने पूछा- पर किया कैसे?

मैंने कहा- मतलब?

उन्होंने पूछा- कैसे किया वो तो बताओ!

तो इतनी सब बातों के बीच उनका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था और उनके मम्मे की गोलाई उनके ब्लाउज में से दिख रही थी।

मेरी नज़र उनके सफ़ेद ब्लाउज पर रुकी थी। शायद ये सब आज उनको मालूम था कि मेरी नज़र कहाँ है, पर उन्होंने कुछ ऐतराज़ नहीं किया और वैसे ही बैठी रहीं।

मैं उनके मम्मों को देख रहा था।

फिर उन्होंने मुझसे कहा चेयर पर से उठ कर यहाँ आओ और पूरी कहानी बताओ!

तो आज फिर मेरे दिमाग़ में आग लग गई थी, क्योंकि उनके उरोज़ आज बहुत ही प्यारे लग रहे थे। जी कर रहा था कि चूस लूँ क्योंकि मैं कुसुम के आम चूस चुका था।

मैं उनके मम्मों को एकटक देख रहा था।

फिर उन्होंने मुझसे कहा- अरे मनु कुछ तो बोलो आखिर क्या हुआ, तुम्हारा और कुसुम का मिलन हुआ या नहीं?

मैंने कहा- हाँ.. मिला तो पर…!

वो बोली- पर क्या?

मैं शांत था।

‘ओह..!’ फिर उन्होंने कहा- चल नहीं बताना तो मत बताओ.. मैं फोर्स नहीं करूँगी!

इतना कह कर वो टीवी देखने लगीं। मगर उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक नहीं किया। अब भी उनके मम्मे दिख रहे थे और मैं देख भी रहा था।

थोड़ी देर बाद मैंने ही उनसे कहा- ठीक है, आपको मैं अब सब बताता हूँ!

फिर उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ देखा और एक स्माइल दी और बोली- शुरू करो!

मैंने कहा- भाभी एक महीने पहले कुसुम को मैंने अपने रूम में आने को बोला था और वो आई थी।

और मैंने उनको सब कुछ बता दिया।

तो फिर उन्होंने बोला- इसमें तेरी ग़लती नहीं है!

मैंने कहा- लेकिन कुसुम तो मेरी ग़लती ही समझती है।

तो फिर भाभी ने कहा- चल मुझे एक बात बता.. तू उसको प्यार करता है या सिर्फ़ मज़े लेना चाहता है..!

मैंने कहा- पता नहीं, पर उसके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।

फिर उन्होंने कहा- ठीक है.. मैं उससे बात करती हूँ!

और वे टीवी देखने लगीं।

मेरी नज़र उनके मम्मों पर थी, मैंने उनसे कहा- भाभी आपने किसी से लव किया है।

वो बोली- हाँ तेरे भाईसाहब से!

मैंने कहा- गुड.!

फिर मैंने पूछ लिया- आप भाईसाहब से शादी के पहले कभी अकेले में मिली थीं क्या?

वो बोली- हाँ..!

मैंने पूछा- क्या किया था?

वो मुस्कराईं और बोलीं- जो तूने नहीं कर पाया, वो किया था!

मुझे शर्म सी आई, फिर मैंने कहा- भाभी एक बात बोलूँ, आप भी बहुत सुंदर हैं, अगर आपकी कोई छोटी बहन हो तो मुझसे मिलवाओ ना…!

उन्होंने कहा- मेरी छोटी बहन तो नहीं है, पर मेरी भतीजी है और वो कल आने वाली है।

मैंने कहा- इट्स गुड न्यूज़…!

फिर भी मैं उनके मम्मे अभी भी देख रहा था। अब वो समझ गई थीं कि मेरी नज़र उनके मम्मों पर है।

तो उन्होंने मुझसे कहा- मनु अब मुझे नींद आ रही है, अगर तुम जाओ तो टीवी बंद कर देना और बिस्तर पर लेट गईं।

उनका सिर मेरी तरफ था और पैर दूसरी साइड, अब उनके मम्मे मुझे एकदम साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे थे। मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था।

मेरे दिमाग़ में एक बात चल रही थी ‘माँ चुदाए कुसुम.. आज मैं भाभी के साथ ही मज़े लूँगा!’

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