अंजू की चूत, गाण्ड और झांटों की सुगन्ध -4

(Anju Ki Choot Gaand Aur Jhanton Ki Sugandh-4)

चूतेश 2015-03-07 Comments

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बेडरूम में मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और एक वहशी की तरह उस पर टूट पड़ा, उसके चूचे भम्भोड़ता हुआ मैं बोला- अब तू हरामज़ादी नाच नाच के चुदवायेगी… बहन चोद आज तेरे बदन का कचूमर निकाल के छोडूंगा… साली सड़कछाप रांड चार दिन तक चल नहीं पायेगी।

‘हाँ कुत्ते तोड़ दे मुझे… मां चोद के रख दे साले मेरी… और ज़ोर से निचोड़ इन मादरचोद कुचों को…’ अंजू रानी मस्ती में सिर इधर उधर हिला रही थी।

मैंने पूरी ताक़त से उसके मम्मे दबाने और निचोड़ने शुरू किये, मैं जितना ज़ोर से कुचलता था अंजू रानी उतनी ही मस्त हुए जा रही थी।

दिख रहा था कि अब वो चुदने को व्याकुल हो रही है।

मैंने लंड को उसकी रसरसाती हुई बुर के मुंह पर जमाया और एक ही शॉट में पूरा लंड घुसेड़ दिया, चूत काफी टाइट थी और खूब गरम भी हो रही थी, लौड़े को यूं लगा कि किसी गरम रस से भरी हुई, बेहद संकरी व नरम नर्म ग़ुफा म़ें चला गया हो।

ज्यों ही लण्ड चूत म़ें घुसा, अंजू रानी ने एक ज़ोर की सीत्कार भरी जबकि मैंने दुबारा से उसके कुचमर्दन का काम शुरू कर दिया।

मैंने ज़ोर ज़ोर से अंजू रानी की निप्पलों को उमेठा, उन्हें उंगलियों म़ें दबा के कस के नोचा और धीरे धीरे धक्के मारने लगा।
अंजू रानी ने अपनी टांगें कस के मेरी कमर पर लपेट लीं और दोनों हाथ मेरे कंधों पर जमा दिये।

‘बहन के लौड़े….बिना बताये ही ठूंस दिया इस मादरचोद लंड को… हाय हाय हाय… कमीना बिल्कुल फंसा हुआ है चूत म़ें… हाय हाय हाय… कुत्ते बहुत मज़ा आ रहा है… तू ठहर बहनचोद चूतेश के बच्चे… आज तेरे इस संडमुसंड का मैं बैंड बजाऊँगी… हाय हाय हाय… बस यूं ही पड़ा रहने चूत म़ें… बहुत मज़ा आ रहा है… धक्के जब मैं कहूँ तब लगाना… बस तू चूचे तोड़ता जा… उखाड़ के अलग कर दे मादरचोदों को… हाय हाय… मेरे राजा राजा राजा… मैं तो मर जाऊँ तुझ पर!’

अंजू रानी बेतहाशा उत्तेजित होकर क़ुछ क़ुछ बके जा रही थी और मैं दबादब उसके मतवाले मम्मे भम्भोड़े जा रहा था।
अब मैं धक्के नहीं मार रहा था।
जब यह हरामज़ादी चाहेगी, धक्के मार दूँगा, मुझे कौन सी जल्दी है। यह तो मानना पड़ेगा कि अंजू रानी किसी भी मर्द को रिझाने और उसे चोदने की कला म़ें पारंगत है।

मैं अंजू रानी के ऊपर लेट गया और लगा उसके होंठ चूसने।
कभी ऊपर वाला चूसता तो कभी नीचे वाला।
लंड को उसकी चूत म़ें घुसाये घुसाये मैं सिर्फ तुनके मार रहा था।

कुछ ही देर में अंजू रानी की ठरक इतनी बढ़ गई कि उसने मेरे होंठों से अपने होंठ अलग करके सी सी करना शुरू कर दिया।
उसकी अधखुली आँखों में उत्तेजना के नशे के मादक गुलाबी डोरे तैरने लगे थे।
सीत्कार भरते हुए अंजू रानी ने अपनी कमर ऊपर नीचे करके धक्के लगाने की कोशिश शुरू कर दी।
उसने अपनी टांगें उछाल कर अपनी रेशमी जाँघों में मेरे सिर को जकड़ लिया।

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‘चोद चूतेश चोद… धक्के मार मार के आज फाड़ दे चूत को… हरामज़ादी ने दुखी कर रखा है… हाय हाय अब जल्दी कर कुत्ते… अब सबर नहीं हो रहा…’ अंजू रानी का नशा अब काबू से बाहर होने लगा था।

मैंने लंड को बाहर निकाला और उसकी टांगें सिर से अलग करके उसे पलट दिया। फिर उसके चूतड़ ऊपर को उठा के पीछे लंड लपलपाती हुई चूत में ठोक दिया।
अंजू रानी ने एक चीख मारी और कस के चूत को टाइट करके लंड को भींच लिया।

‘उठ कुतिया… अब तू एक कुतिया जैसे ही चुदेगी… उठ ऊपर को… बहन की लौड़ी अपनी कोहनी और घुटनों पर टिक जा और चुपचुपा एक गरम कुतिया जैसे चुदवाये जा… अगर लंड बाहर निकल गया तो कमीनी तेरी गाण्ड फाड़ दूंगा.. उठ अब रंडी की औलाद!’

अंजू रानी एक एक्सपर्ट चुदक्कड़ थी। बड़े आराम से उसने लौड़ा बाहर निकलने दिये बिना ही खुद को पहले कोहनी के बल उठाया और फिर नितंब उठाते हुए घुटनों के बल हो गई।

मैंने भी खुद को साथ साथ उठाया ताकि लंड चूत से बाहर ना निकले।

इसके बाद मैंने पीछे से उसके मम्मे जकड़ के ऐसा दबाया, निचोड़ा और मसला है कि पूछो मत।
कुछ देर के बाद मैंने चूचियों को राहत देने के लिये अंजू रानी के चूतड़ मसलने शुरू किए।

यार रेशम जैसे मक्खनी चूतड़ !!! उनको मसल मसल के मज़े से बुरे हाल हो गया।
बस फिर मैंने यूं ही बारी बारी से अंजू रानी का कुचों और नितम्बों को बहुत देर तक मसला जिससे अंजू रानी ठरक से पगला गई।

अब वो चोदने की गुहार लगाने लगी, उसकी चूत से रस तो पहले ही से बहे जा रहा था- राजा क्या आज मेरी जान निकाल के रहोगे… अब तूने देर की तो कसम से मर जाऊँगी… अब चोद भी दे धड़ाम धड़ाम… चूत में आग लगी है राजा… दे कमीने दे ज़ोर का धक्का! अंजू रानी बेहाल हालत में बोली।

‘नहीं कमीनी रांड… जब तक तू भीख नहीं मांगेगी तब तक मैं धक्के नहीं मारूंगा… शुरू में तू कह रही थी ना मुझ से भीख मंगवाएगी चूत लेने की… ले बहन चोद… अब तू भीख मांग… साली रंडी की औलाद… मांग भीख… एक धक्का फ्री में देता हूँ… ले बहन की लौडी… एक धक्का ले.’ इतना कह के मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया।

अंजू रानी मज़े से चीख पड़ी और गिड़गिड़ाते हुए कहने लगी- हाँ राजा हाँ… प्लीज़ प्लीज़ अब और ना सताओं अपनी अंजू रानी को… हाथ जोड़ती हूँ राजा के पैरों में… प्लीज़ ज़ोर ज़ोर से चोद डालो… प्लीज़ राजा… तू जो कहेगा मैं करूँगी… उमर भर तेरी रखैल बन के रहूंगी… बस तू अब देर न कर!

इतना सुन कर मैंने दनादन धक्के पे धक्का ठोकना शुरू किया, मैंने उसके मम्मे जकड़ रखे थे और उन्हें जकड़े जकड़े ही मैं धक्के लगा रहा था ताकि हर धक्के में चूचा भी कस के मसला जाये।
अंजू रानी के बाल बिखर के इधर-उधर लहरा रहे थे, उसका सिर हर धक्के पर ऊपर नीचे हो जाता था, वो मदमस्त होकर किलकारियाँ मारते हुए चुदवा रही थी।
और क्यों ना हो, वो बेचारी तीन चार महीने से सूखी भी तो पड़ी थी बिना चुदे। बड़े समय के बाद आज उसे मौका मिला था कि वो हचक हचक के चोदी जाये।
उसकी चूत लगातार रस छोड रही थी, हर धक्के में थोड़ा सा रस और निकल आता, रस हर धक्के में थोड़ा सा चूत के बाहर भी सरक आता।
अंजू रानी की जाँघें और मेरी झांटें चूत के पानी से बिल्कुल भीग गयी थीं, हर धक्के पर खूब फचाक फचाक की आवाज़ें कमरे में गूंज उठतीं।

अंजू रानी मुंह से ‘हैं हैं हैं’ की आवाज़ें निकल रही थी, हम दोनों की साँसें फूल चुकी थीं।
अंजू रानी हाँफते हुए बोली- राजा… बस ऐसे ही चोदे जा… साले कुत्ते… बड़ा मस्त चोदता है गांडू तू… हाँ हाँ हाँ… यूं ही धक्के दे… ठीक ठीक है मेरे कुत्ते… हैं हैं हैं… फाड़ दे मेरी चूत कमीने… और ज़ोर से पेल बहन चोद लौडा… हाय मैं मर जाऊं… बहुत बड़ा मादरचोद है तू कमीने!

मैंने भी हाँफते हुए कहा- तेरी माँ को भी चोदूंगा हरामज़ादी… रंडी मादरचोद… ले बहन की लौड़ी… ले ले ले ले कमीनी कुतिया आज बनाता हूँ तेरी चूत की चटनी… बहनचोद चुदक्कड़ रांड… ले ले ले… लिये जा इस लंड को तेरी चूत में!
हर बार मैं ले ले कहता हुआ ज़ोरदार धक्का ठोकता और अंजू रानी सीत्कार लेते हुए, मज़े में चूर होते हुए चुदवाये जाती।
यूं ही गालियाँ बकते हुए करीब 30-35 मिनट तक अंजू रानी की जमकर चूत मारी गई।

मैंने अंजू रानी को एक धक्का इतने ज़ोर से मारा कि वो मुंह के बाल बिस्तर पर ढह गई।
मैंने एक गुलाटी मारी और उसे नीचे करके खुद ऊपर हो गया, फिर मैंने दनादन धक्के पे धक्के लगाने शुरू किये।
कमरे में चुदाई की पिच्च पिच्च, अंजू रानी की ‘हैं हैं आह आह ओह ओह’ और मेरी ‘हूँ हूँ हूँ’ की ज़ोर ज़ोर की आवाज़ें भरी हुई थीं।

कोई भी सौ मीटर दूर से भी सुन कर समझ सकता था कि यहाँ ज़बरदस्त चुदाई चल रही है।

हम पूरी तरह से बदहवास हो गये थे, अंजू रानी के बाल बिखर गये थे, उसके माथे पर पसीना आ गया था, आँखें बंद और मुंह थोड़ा सा खुला हुआ था।
अपने होशोहवास खोकर अंजू रानी चुदने का अलौकिक आनन्द लूट रही थी।

तभी अंजू रानी ने एक किलकारी मारी, बड़े ज़ोर से हाय हाय करते हुए मेरे बाल जकड़ कर खींचे और टांगें मेरी कमर में लिपटा कर ज़ोर ज़ोर से पैर मेरे चूतड़ों पर बरसाये।
मैं समझ गया कि वो झड़ने को है।
अंजू रानी के चूचे अपने पंजों में जकड़कर मैंने धड़ाधड़ कई धक्के पूरी ताक़त से मारे, एक ज़ोरदार सीत्कार के साथ वो झड़ी और चूत से रस कि बौछार छोड़ते हुए एक दम निढाल सी होकर हाय हाय करते हुए अपनी मां को याद करने लगी।

तब तक मैं भी बेहाल हो चुका था, चूत के गर्म गर्म रस से और भी उत्तेजित हो चुका था, बड़े ज़ोरों से अंजू रानी की चूचियाँ मसलते हुए मैं भी स्खलित हो गया।

लंड से गोली की रफ़्तार से छूटे वीर्य के बड़े बड़े लौंदों से अंजू रानी कि चूत भर गई, राजा राजा कहते हुए अंजू रानी ने मुझे खींच के लिपटा लिया और आँखें मूंद कर चुपचाप पड़ गई, मैं भी उसके ऊपर मूर्छित सा होकर लेट गया।

हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और अपनी उखड़ी हुई साँसें काबू में करते रहे। जब बदन में चुदाई से चढ़ी गर्मी शांत हो गई, साँसें ठीक हो गयीं और पसीना सूख गया तो अंजू रानी धीमे से फुसफुसाते हुए बोली- राजा आज तुझे चोदकर आनन्द आ गया… कसम से कहती हूँ… आज मैं कितनी बार झड़ी हूँ बता नहीं सकती… बस यूं समझ ले कि मैं झड़े गई, झड़े गई और बस झड़े गई… सबसे ज़्यादा मज़े की बात तो यह रही कि हमने तेरे बिस्तर पर चोदा…’
इतना कहकर अंजू रानी ने बड़े प्यार से मुझे चूमा।

मैंने भी उसे चूमते हुए कहा- रानी तू भी बहुत मस्त चोदती है… तूने आज जो मज़ा दिया है गाना बजाकर और झूम झूम कर… यार मज़े के मारे गांड़ ही फाड़ दी मेरी… अच्छा अब बता अब और क्या मज़ा देगी?

‘साले अब क्या जान लेगा कमीने मेरी… सारा शरीर दुख रहा है… कितने ज़ोर से चूचियाँ कुचली हैं बहनचोद… छूते ही दर्द से जान निकलने को होती है… हरामी चूत के पिस्सू… लेकिन कमीने तूने मज़ा भी बेहद दिया… चल तुझे चूस चूस के झाड़ने का लुत्फ देती हूँ… सच में चुदाई की हिम्मत नहीं हैं… नहीं तो बार बार चुदवा कर मज़े लूटती… बोल कैसे चुसवायेगा? लेटे लेटे या बैठ कर? जैसे तेरी मर्ज़ी हो वैसे ही चूसूँगी।

मैंने कहा- अंजू रानी जैसे तेरी इच्छा हो तू वैसे ही चूस। मुझे तो लौड़ा चुसवाने का स्वाद मिलेगा फिर चाहे लेते हुए मिले या खड़े हुए क्या फर्क पड़ता है।
इतनी देर में लंड भी अकड़ चुका था।

अंजू रानी ने मुझे बिस्तर पर ऐसे लेटने को कहा जिससे मेरी टांगें बेड से नीचे रहें, पैर फर्श पर टिके रहें।
उसने मेरी टांगें फैला दीं और खुद भी फर्श पर घुटनों के बल बैठ गई।
फिर उसने लंड को में ले लिया और होंठों को कस के लौड़े पर चिपका दिया।

लंड अंजू रानी के गरम गरम मुंह में जाते ही फुनफुनाने लगा और उसके मुंह के भीतर ही तुनके मारने लगा।

तब अंजू रानी ने जीभ से धीरे धीरे लंड के टोपे पर मारना शुरू किया तो यारों मेरे बदन में यूं लगा कि बिजली की लहरें नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे भाग रही हैं।
उसकी जीभ की ठोकर से बड़े ज़ोर की सरसराहट हो रही थी।
अंजू रानी होंठों को आगे पीछे करके लंड को मुंह से चोद रही थी और साथ साथ जीभ सुपारे से छुआ छुआ के मुझे पागल किये जा रही थी।

यकायक अंजू रानी ने मुंह से लंड को बाहर निकल कर अपना मुंह मेरी गाण्ड से सटा दिया और गीली जीभ से छेद के इर्द गिर्द चाटा। इतना मज़ा आया कि जिसका कुछ हिसाब नहीं।

थोड़ी देर मेरी गाण्ड चाट के अंजू रानी ने फिर से लौडा मुंह में ले लिया और लगी जीभ से छुआ छुआ के बेइंतिहा मज़ा देने लगी।

मैं आँखें मूंद के जन्नत का आनन्द लूटने लगा कि तभी अचानक अंजू रानी ने एक उंगली मेरी गाण्ड में तेज़ी से पूरी की पूरी घुसा दी।
उंगली गाण्ड में जाते ही ऐसी आग सी लगी बदन में कि एक ज़ोर की चीख मारकर मैं तपाक से झड़ा।

‘दन दन दन’ लंड ने पूरा का पूरा मसाला अंजू रानी के मुंह में छोड़ दिया।
बहुत दिनों के बाद किसी लड़की ने गाण्ड में उंगली घुसा के मुझे झाड़ा था। मेरी वर्षों पहले की गर्ल फ्रेंड स्वर्गीया चंदा रानी यह बहुत किया करती थी। जब उसकी मुझे जल्दी से झाड़ने की मर्ज़ी होती थी तो वो यही करती थी, गाण्ड में तेज़ी से उंगली घुसेड़ती थी और मैं झड़ जाता था।

चंदा रानी चुदाई की एक महान खिलाड़िन थी। अब लगा कि अंजू रानी भी टक्कर की खिलाड़िन है चोदम-चुदाई के खेल की।

अंजू रानी बड़े मज़े से सारा मक्खन पी गई और चटखारे लेते हुए बोली- चूतेश मज़ा आ गया… बोल तुझे भी पूरा मज़ा आया कि नहीं?

‘बहुत मज़ा आया मेरी कुतिया अंजू रानी… तूने गाण्ड में क्यों उंगली दी? हराम की औलाद, मैं उंगली घुसते ही झड़ गया।’

‘साले मादरचोद… इतना तुझे मज़ा आया कि तूने ज़ोर की चीख मारी कि सारे पड़ोसियों ने भी सुन ली होगी… अब झड़ झड़ा के बहन का यार शिकायत कर रहा है… कमीना कुत्ता कहीं का.’ अंजू रानी ने जवाब दिया।
यार इस चूत की भाषा तो मस्त कर देने वाली थी, मैंने उसे खींच के जकड़ लिया और कस के एक गहरा चुबन उसके प्यारे होंठों का लिया।

अंजू रानी ने भी मस्त होकर लिपट लिपट कर चुम्बन दिया, फिर उसने बड़े ज़ोर से मेरे चूतड़ों पर दांत मार के काटा।

मैंने दर्द से आह भरते हुए पूछा- रानी, यह किस खुशी में?

अंजू रानी ने इतराते हुए कहा- राजा यह तेरी सज़ा है…मैंने कहा था और तूने माना था कि चूत में लंड घुसा के तू जूसी रानी को फोन करेगा और मैं तेरे बात करते हुए चोदूंगी… तूने कहाँ किया उसे फोन… कमीने मादर चोद… अगर फोन नहीं करना था तेरी गांड फटती थी तो पहले ही माना कर देता… साला रांड की औलाद।

‘अरे नहीं रानी…उस समय ध्यान ही नहीं रहा…कमीनी, तू नहीं याद दिला सकती थी?’ मैं खीज के बोला।

अंजू रानी ने हंसते हुए कहा- हाय मेरा राजा… बुरा ना मान जानू मैं तो तुझे बना रही थी… असल में हम दोनों ही जोश में भूल गये थे कि तेरी बीवी को तुझे तब फोन करना है जब तू मेरी चूत में लौड़ा डाले हुए हो… कितना मज़ा आता ना… वो तुझसे कुछ पूछती और मैं झकास एक तगड़ा सा धक्का मारती.. कोई बात नहीं यार, अगली बार यह काम भी कर लेंगे… अच्छा राजा अब मैं चलती हूँ… कल जॉब जॉइन करनी है और तेरे दोस्त की चुदाई करनी है… तीन चार दिन के बाद फिर मिलेंगे।

मैंने अंजू रानी को पांच हज़ार रुपये दिये जो उसने मुझसे मिलने की तैयारी में खर्च किये थे, फिर एक ज़ोरदार आलिंगन में बंध कर और एक लम्बा और गहरा चुम्‍मा लेकर हम अलग हुए।

अंजू रानी ने अपने बाल ठीक किये और कपड़े पहने और बाय-बाय कर के चली गई।
इस घटना के छह दिनों के बाद फिर से मिलना हुआ, इस बार हम एक होटेल में मिले।
उस मिलन का वर्णन अगली कहानी में करूंगा, यह कथा यहीं समाप्त!
धन्यवाद
चूतेश

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