सोनी मौसी की चूत चुदाई-5

(Soni Mausi Ki Chut Chudai-5)

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अब तक आपने पढ़ा..

आख़िर वो घड़ी आ ही गई और मैं और मौसी दोनों उन लोगों को छोड़ने स्टेशन गए और ट्रेन निकल जाने के बाद जब मैं मौसी के साथ बाइक से लौट रहा था तो मैंने मौसी से कहा- अब दस दिन तक हमारी रोज सुहागरात होगी.. और अब आप थोड़ा सट कर बैठ जाओ न!
तो वे अपनी चूचियां मेरी पीठ से चिपका कर बैठ गईं। तभी मैंने मार्केट में एक जगह बाइक रोकी और मौसी से कहा- दो मिनट में आता हूँ।

फिर मैं मौसी को वहीं छोड़ कर.. जाकर 2 पैकेट सिगरेट और एक बॉटल वाइन की ले आया।
मौसी ने कहा- बैग में क्या लाया है?
तो मैंने कहा- घर चलकर देख लेना।

रास्ते में मैंने ढेर सारे फूल और सजावट का सामान लिया.. एक दुकान में मौसी के साथ गया और सेल्समैन से कहा- स्टाइलिश पैन्टी.. ब्रा और नाइट हाफ सूट दिखाओ..
मौसी मेरा मुँह देखने लगीं.. मैंने उनका हाथ पकड़ कर दबा दिया और फिर हमने 6 पैन्टी.. ब्रा और 2 नाइट सूट खरीदे।
मौसी ने कहा- इन सबका क्या करोगे?
तो मैंने कहा- सब घर चल कर पता चल जाएगा..

अब आगे..

जब हम घर लौटने लगे.. तो रास्ते में अंधेरा हो गया था और सुनसान सड़क थी.. तो मैंने मौसी से कहा- मन कर रहा है कि आपकी चुदाई यहीं पर करूँ..

तो उन्होंने कहा- तो रोका किसने है?
मैंने अचानक बाइक किनारे रोक दी तो मौसी चौंक गई और कहा- गाड़ी क्यों रोक दी?
तो मैंने कहा- चुदाई के लिए..
उन्होंने कहा- मैं तो मज़ाक कर रही थी.. तुमने तो सीरियसली ले लिया।
मैंने कहा- मैं भी मज़ाक ही कर रहा हूँ.. मुझे ज़ोर से पेशाब लगी है!

और मैं वहीं लौड़ा निकाल कर पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मेरा लंड मौसी को देख कर पूरा खड़ा हो गया था।

फिर मैंने मौसी से कहा- मौसी सच में एक बार यहाँ डालने दो ना.. यहाँ कोई नहीं है।
वो मना करने लगीं और मैं अपना लंड पकड़ कर उनकी ओर बढ़ने लगा.. और उन्हें पकड़ लिया।
वो बोलने लगीं- कोई देख लेगा..
मैंने कहा- कोई नहीं आएगा.. यह सुनसान सड़क है और अभी रात है.. कोई आएगा तो उसकी लाइट से हमें पता चल जायगा और कौन सा मैं आपको चोदने वाला हूँ। बस एक बार डाल कर निकल लूँगा..

यह कह कर मैंने उन्हें बाइक की सीट के सहारे उल्टा लिटा दिया और उनकी साड़ी ऊपर उठा दी।
मैं इतना अधिक उत्तेजित था कि एक ही धक्के में मैंने अपना लंड उनकी चूत में घुसा दिया.. और वो दबी ज़ुबान में चीख पड़ीं और बोलने लगी- अब घुसा लिया.. अब निकाल लो…
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लेकिन मैं तेज़ी से उन्हें उसी पोज़ में चोदने लगा और 5 मिनट बाद ही मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ और मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।

फिर हम घर आ गए.. घर में घुसते ही मैं उन्हें किस करने लगा और वे भी मुझे सहयोग करने लगीं।

मैं करीब 5 मिनट तक चुम्मी करता रहा और मैंने कहा- अब दस दिन तक मैं आपकी जवानी का मज़ा लूँगा.. मेरी प्यारी सोनी मौसी..
तो उन्होंने कहा- ठीक है बेटा.. तू ले ले.. अपनी माँ जैसी मौसी की चूत की चुदाई का मज़ा..

ये सब करते-करते रात के 8 बज चुके थे और हमने खाना भी होटल से मंगा लिया था।
मैंने मौसी से कहा- चलो मौसी, नहा लेते हैं।

हम साथ में नहाने चले गए और पन्द्रह मिनट में नहा कर निकल आए।

जब वो नाईटी पहनने लगीं.. तो मैंने कहा- मौसी नाईटी नहीं.. अपनी शादी वाली साड़ी पहनो और न्यू पैन्टी-ब्रा.. जो अभी लाया हूँ.. उसे पहनो न..
तो उन्होंने कहा- ठीक है..

वो तैयार होने चली गईं.. और मैं घर सजाने लगा और पूरा घर ख़ास कर बेडरूम को अच्छे से सज़ा दिया। जब मौसी आधा घंटे के बाद बाहर निकलीं.. तो मैं उन्हें देखता ही रह गया। वो बिल्कुल नई दुल्हन लग रही थीं।

अब मैं उनके नजदीक गया और कहा- आज मैं अपनी मौसी नहीं.. अपनी बीवी के साथ सुहागरात मनाना चाहता हूँ.. क्या बोलती हो?

तो उन्होंने कहा- यह कैसे हो सकता है?
मैंने कहा- बस देखती जाओ.. आज मैं अपनी मौसी से शादी करके उन्हें अपनी दुल्हन बनाऊँगा।

मैं जाकर दो फूल माला ले आया और एक मोम्बत्ती जला दी.. फिर एक माला उनके गले में डाल दी.. और दूसरी उनसे अपने गले में डलवा ली।
फिर उनकी साड़ी के पल्लू से अपने कपड़े में गाँठ लगा कर उनके साथ 7 फेरे लेने लगा। सात फेरों के बाद मैंने उनकी माँग में सिंदूर भर दिया और कहा- लो हो गई आज से आप मेरी पत्नी.. लेकिन ‘हाँ’ इस बात का पता किसी को और कभी नहीं चलना चाहिए।
वो मेरी इस हरकत से मानो अभिभूत हो गई थीं, बोलीं- ठीक है मेरे पतिदेव..

फिर उन्होंने सज़ा हुआ घर देखा तो कहा- घर क्यों सज़ाया है?
मैंने कहा- मेरी पत्नी के स्वागत और हमारी सुहागरात के लिए..

फिर इसके बाद मैंने उन्हें वहीं पर किस करने लगा और धीरे-धीरे उनके सारे गहने उतार दिए।

फिर मैंने उनकी साड़ी उतार दी.. इसके बाद ब्लाउज भी उतार दिया। अब वो सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा में थीं और जानलेवा माल लग रही थीं।
तभी मैंने एक झटके में उनकी ब्रा खींच कर अलग कर दी।
अब वो शर्माने लगीं और मैं उनकी चूची चूसने लगा.. चूची को चूसते-चूसते इतनी ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था कि वो चीखने लगीं और बोलीं- धीरे दबाओ न.. लगती है न..

मुझे उनकी चीख सुनकर बहुत मज़ा आ रहा था.. इसलिए मैंने और ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया और वो चीखती रहीं।
फिर मैं उनकी दूसरी चूची चूसने लगा और एक बार दाँतों से निप्पल को काट लिया।
वो इतनी ज़ोर से चीखीं कि मुझे मज़ा आ गया।

इसके बाद मैंने उनका पेटीकोट और पैन्टी उतार दी और उनकी चिकनी चूत चाटने लगा।
वो तड़फने लगीं ‘आअहह.. आआआआह.. आशीष… अच्छे से चूसो.. अगर तुम नहीं होते.. तो मैं इस मज़े से अंजान रह जाती.. मज़ा आ गया।’
वो इस तरह से सीत्कारने लगीं।

करीब दस मिनट के बाद मैंने उन्हें छोड़ते हुए कहा- अब आप मुझे नंगा करो..
तो उन्होंने मुझे नंगा कर दिया और फिर मेरा तन्नाया हुआ लंड पूरे 6 इन्च लम्बा 3 इन्च मोटा हवा में लहराने लगा.. उन्हें सलामी देने लगा।
अब में सोफे पर लेट गया और मैंने मौसी से कहा- अब आप मेरा लंड मुँह में लेकर चूसो।

तो उन्होंने मना कर दिया.. लेकिन फिर मैंने कहा- मैंने आपकी चूत चाटी है.. और चूत का पानी भी पिया है.. अब आप भी मेरा लवड़ा चूसो।
मेरे बहुत कहने पर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।

अब मुझे पेशाब लगी थी.. तो मैंने उन्हें बिना बताए उनका सर ज़ोर से पकड़ा और उनसे कहा- मुझे पेशाब लगी है.. और मैं तुम्हारे मुँह में मूतूंगा और आप उसे पी लेना।

तो वो ‘गों..गों..’ करके मना करने लगीं.. लेकिन फिर भी मैं धीरे-धीरे उनके मुँह में मूतने लगा और उन्हें ज़बरदस्ती अपना पूरा पेशाब पिला दिया..
जब कुछ पलों बाद उन्होंने मुँह हटा पाया तो वो लम्बी साँसें ले रही थीं।
उसके बाद मैंने फिर से उन्हें अपना लंड चूसने को कहा.. तो उन्होंने कहा- अब मैं नहीं चुसूंगी।
तब मैंने ज़बरदस्ती उनके मुँह में अपना लंड पेल दिया और वो फिर से लौड़ा चूसने लगीं।

करीब 10 मिनट लवड़ा चुसवाने के बाद मैंने मौसी को सोफे पर उल्टा लिटा दिया और उनसे कहा- आज हमारी सुहागरात है.. लेकिन आप तो पहले से चूत की चुदाई करवा चुकी हैं.. तो मेरे लिए क्या सील बन्द है।
तो वो बोलीं- तू भी इसी चूत में अपना लंड डाल दे..
मैंने कहा- नहीं मुझे फ्रेश छेद चाहिए।
तो वो बोलीं- मैं फ्रेश चूत कहाँ से लाऊँ?
मैंने कहा- ठीक है.. चूत नहीं है.. लेकिन आपकी गाण्ड तो है… मैं आज आपकी गाण्ड ही मारूँगा..

उन्होंने कहा- क्या बोल रहे हो.. भला कोई गाण्ड भी मारता है क्या?
तो मैंने कहा- मैं समझ गया था.. कि मौसा जी ने आपकी गाण्ड नहीं मारी होगी.. ठीक है आज मैं आपकी गाण्ड का उद्घाटन करूँगा।
मौसी बोलीं- नहीं.. मैं गाण्ड नहीं चुदवाऊँगी..
तो मैंने कहा- मैं तो आज हर हाल में आपकी गाण्ड मारूँगा..

मेरी इस कामरस से भरपूर कहानी को लेकर आपके मन में जो भी विचार आ रहे हों.. प्लीज़ ईमेल करके जरूर बताइएगा।
कहानी जारी है।
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