सोनी मौसी की चूत चुदाई-7

(Soni Mausi Ki Chut Chudai-7)

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा..

मैं उन्हें उठा कर बेडरूम में अपनी सेज़ पर ले गया और उन्हें उल्टा कुतिया पोज़ में कर दिया।
तो उन्होंने कहा- अब ऐसे क्यों कर रहे हो?
मैंने कहा- मैं फिर से आपकी गाण्ड मारूँगा।
वो मना करने लगीं और कहा- बहुत दर्द होता है..
लेकिन मैं तो मानने वाला ही नहीं था, यह बात वो भी समझ चुकी थीं और वो चुप हो गईं।

मैं उनकी गाण्ड मारने लगा.. वो चीखती रही.. लेकिन इस बार वो थोड़ा कम चीख रही थीं। आधा घंटे के बाद मैं उनकी गाण्ड में ही झड़ गया और लंड उनकी गाण्ड में डाले हुए ही उनके ऊपर ही लेट गया।
मुझे पता नहीं चला कि कब नींद आ गई।

अब आगे..

सुबह हम साथ उठे तो मुझे पेशाब लगी थी.. तो मैंने झट से उनके मुँह में अपना लंड डाल दिया और कहा- मुझे पेशाब आ रही है और मैं आपके मुँह में मुतूँगा।
उन्होंने कहा- प्लीज़ नहीं.. बाथरूम में कर लो..

लेकिन मैं नहीं माना और उनके मुँह में ही मूतने लगा.. जिसे ना चाहते हुए भी मौसी पी गईं।
फिर मैंने उनसे कहा- अब आप मेरे मुँह में मूतो..
तो उन्होंने भी ऐसा ही किया और मैंने भी उनका पेशाब पी लिया।

फिर मैंने मौसी से कहा- दस दिन तक मुझे जब भी पेशाब लगेगी तो मैं आपके मुँह में ही मुतूँगा और आप उसे पीना..
तो वो बोलीं- ठीक है.. क्योंकि अगर मेरा मन नहीं भी होगा.. तो भी तुम वो ही करोगे.. जो तुम्हारा मन करेगा।
मैंने कहा- हाँ.. ये तो है..
वो बाथरूम गई और मैं भी गया.. फिर हम दोनों साथ नहाने लगे।

उसके बाद नाश्ता किया और मैंने मौसी से कहा- जब तक हम अकेले हैं.. तब तक केवल बाहर जाने पर ही हम कपड़े पहनेंगे..
मैं उन्हें किस करने लगा और किस करने के बाद इस बार मैं बिस्तर पर लेट गया तो मौसी बिना बोले ही मेरा लंड चूसने लगीं।
वे लवड़े को बिल्कुल लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं।

दस मिनट के बाद मैंने अपने दोनों पैर ऊपर उठा लिए.. तो मौसी बोलीं- क्यों आशीष लंड नहीं चुसवाओगे?

तो मैंने कहा- अब आप मेरी गाण्ड चाटो।
मौसी बोलीं- छी..ईईईई.. कोई गाण्ड भी चाटता है क्या?
तो मैंने कहा- हाँ.. आप भी चाटो..

फिर वो ना चाहते हुए भी गाण्ड चाटने लगीं.. करीब 5 मिनट के बाद मैंने कहा- मौसी दोनों हाथों से खींचकर मेरी गाण्ड का छेद चौड़ा करो और जीभ अन्दर डाल कर चूसो।
उन्होंने भी सोचा कि कुछ बोलने से कोई फ़ायदा नहीं है और उन्होंने गाण्ड का मुँह चौड़ा करके मेरी गाण्ड में अपनी जीभ डाल कर चलाने लगीं। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

‘आहह मेरी प्यारी मौसी.. मेरी रानी.. तुम्हारी जीभ में गजब का जादू है..’
मेरे मुँह से ये सब निकल रहा था।

लगभग 15 मिनट के बाद में मैंने मौसी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनका बुर चाटने लगा.. साथ ही उंगली भी कर रहा था।
मौसी सिसकारियाँ ले रही थीं और मैं चाटे जा रहा था।
फिर मैं उनकी गाण्ड चाटने लगा.. तो उन्हें बड़ा मज़ा आने लगा था।
वो बोलीं- शाबाश बेटा.. ऐसे ही चाटते रहो..

मैं बीच-बीच में अपनी उंगली भी घुसा देता.. तो उनके मुँह से ‘आहह..’ निकल जाता था।
करीब 15 मिनट के बाद मैं उठ गया और मैंने कहा- मेरी रानी.. अब तैयार हो जाओ.. मैं तुम्हें अब चोदूँगा..
तो मौसी बोलीं- मेरे चूत के सरताज.. तुम जो चाहो वो करो.. मेरे स्वामी तुमने मुझे इतना खुश किया है कि मैं इसका एहसान पूरी जिंदगी नहीं चुका सकती हूँ मेरे स्वामी..

फिर मैं वाइन की बोतल ले आया और सोनी मौसी को पीने को दी और खुद भी पीने लगा। इससे दोनों को हल्का सा नशा होने लगा। मौसी ने पहली बार वाइन पी थी.. इसलिए उन पर कुछ ज्यादा ही नशा चढ़ गया था।

फिर मैं उनकी चूची और होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। नशे की हालत में मैं करीब आधे घंटे तक उनके मम्मों को चूसता रहा। फिर उनकी बुर को भी चूसने लगा और उसके बुर के दाने को होंठों से ज़ोर से खींच दिया.. जिससे वो सिहर उठीं।

इसी दौरान मेरे लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी। मैंने सिगरेट जलाई.. और पीने लगा मैंने एक-दो कश ज़ोर से अन्दर लेकर धुंए को अन्दर रोके रखा और मौसी को भी इसी तरह पीने को कहा.. तो उन्होंने भी उसी तरह से सिगरेट को पिया और अब वो पूरे नशे में आ गईं..

फिर मैंने मौसी को बिस्तर पर लिटा दिया और रसोई से जाकर दो गाजरें ले आया.. एक कंडोम जो मैं बाज़ार से लाया था और एक सेलो टेप लेकर आया और बिस्तर पर रख दिया। मौसी सोचने लगीं कि गाजर और टेप का मैं क्या करूँगा।

उन्होंने मुझसे पूछा भी.. लेकिन मैंने कहा- देखती जाओ मौसी.. कि तुम्हारा ये लाड़ला क्या करता है?

फिर मैंने अपने लंड के सुपारे को मौसी की बुर पर रख कर थोड़ा सा दबाब डाला.. जिससे मेरा सुपारा बुर के अन्दर चला गया। एक पल के लिए वो थोड़ा सा कसमसाईं.. फिर मैंने पूरी ताकत से एक धक्का मारा।

ठीक पहली बार की तरह इस दूसरी चुदाई में भी मेरा लंड उनकी बुर के आखिरी सिरे तक चला गया और वो ज़ोर से चिल्ला उठीं- आशीष.. निकालो.. प्लीज़.. निकालो प्लीज़.. प्लीज़ प्लीज़.. बेटा.. मैं मर जाऊँगी.. आशीष.. आहह.. ओह.. आशीष अपना लंड निकाल लो.. प्लीज़.. मैं मर जाऊँगी..

मैं उनकी तड़प और चीख सुनना चाहता था। मुझ पर उनकी चीख का कोई असर नहीं हुआ..

फिर मैंने अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाला.. तो वो कुछ शांत हुईं.. लेकिन अगले ही पल मैंने दोगुनी ताकत से फिर दूसरा धक्का लगा कर फिर लंड को उसकी जड़ तक पहुँचा दिया.।

वो फिर चिल्लाने लगीं- बेटा.. छोड़ मुझे.. मैं तेरी माँ जैसी हूँ.. निकालो प्लीज़.. निकालो तुमको मेरी कसम.. प्लीज़ प्लीज़.. बेटा.. मैं मर जाऊँगी.. आशीष तुम्हें अपनी मौसी की कसम.. आशीष.. आ.. ओह बेटा.. अपना लंड निकाल लो प्लीज़।

मैंने कहा- आज मैं तुम्हारा पति हूँ और आप मेरी बीवी हो, मैं अपनी बीवी को जैसे चाहूँ चोद सकता हूँ।
उन्होंने कहा- मैं मर जाऊँगी..
तो मैंने फिर कहा- अभी कहाँ मरोगी.. दुनिया में आज तक कोई औरत चुदने से नहीं मरी है।

इसी के साथ मैंने अपने लंड को फिर बाहर तक निकाल कर लगातार बिना रुके उसी तरह के 5-7 धक्के लगा दिए.. इससे वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगीं और रोने लगीं। वो रोते हुए दर्द से कराह रही थीं।
फिर मैं मौसी को होंठों पर चूमने लगा और बीच-बीच में लौड़े से लगातार उनकी मक्खन जैसी चूत को भी चोद रहा था।

ठीक उसी समय मैंने फिर पूरी ताकत से एक जोरदार धक्का फिर लगा दिया। वो फिर से चिल्लाने लगीं- प्लीज़… प्लीज़.. बेटा.. मैं मर जाऊँगी.. आशीष.. ओह आशीष अपना लंड निकाल लो प्लीज़.. तुम्हारा लंड बड़ा भी है और मोटा भी है।

इस बार मैं चूत की जड़ तक पहुँच कर रुक गया और दो मिनट के बाद जब मौसी थोड़ी शांत हुईं.. तब मैंने अपना लंड बाहर निकल लिया और ढेर सारी क्रीम को अपने लंड और उनकी गाण्ड पर लगा दिया।
जब तक सोनी मौसी कुछ सोच समझ पातीं.. मैंने अपना लंड उनकी गाण्ड पर रख कर एक जोरदार धक्का दे दिया।

मेरी इस कामरस से भरपूर कहानी को लेकर आपके मन में जो भी विचार आ रहे हों.. प्लीज़ ईमेल करके जरूर बताइएगा।
कहानी जारी है।
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